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राजस्थान सरकार पेय जल को निजी हाथों में सौंपने का नीतिगत फैसला कर चुकी है। यह इस बात का संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा सरकार अपने दायित्व पूरा करने में सक्षम नहीं है। इससे भी गंभीर बात यह है कि वसुंधरा सरकार का जल वितरण में भ्रष्टाचार करने का रिकार्ड रहा है। आम आदमी पार्टी मानती है कि पानी का निजीकरण भ्रष्टाचार की तरफ एक और कदम साबित हो सकता है। पुराने रिकार्ड के मुताबिक राजस्थान जलदाय विभाग को एडीबी से 820करोड़ की पहली किस्त सितंबर 2017 में मिली थी. एशियन डेवलप मेंट बैंक फंड के इस्तेमाल के तरीकों से खुश नहीं थी और काम काज में सुधार की मांग की थी। चूंकि सरकार को यह आशा नहीं है कि एडीबी उसे दूसरी किस्त देगी इस लिए अब निजी क्षेत्र में जल वितरण नीति बनाई गई है। आम आदमी पार्टी जानना चाहती है कि एडीबी से मिले 820 करोड़ रूपये का क्या इस्तेमाल हुआ यह जनता को बताया जाना चाहिए।

राजस्थान में पीने के पानी को निजी कंपनी के हाथों सौंपने की तैयारी पूरी कर वसुंधरा सरकार राजस्थान की जनता के साथ छलावा कर रही है। प्रदेश की जनता के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने का दायित्व सरकार का होता है और जो सरकार इस दायित्व से पल्ला झाड़ने की कोंिशश करती है, उसके दो ही अर्थ होते हैं पहला सरकार का नाकारापन तथा दूसरा पानी जैसी अतिआवश्यक सुविधा को निजी हाथों में सौंप कर भ्रष्टाचार करना। वसुंधरा सरकार पर यह दोनों आरोप लागू होते हैं।

यूएन की वल्र्ड वाटर रिपोर्ट कहती है कि हर एक व्यक्ति की जरूरत का पानी इस पृथ्वी पर उपलब्ध है। अगर पानी की कमी होती है तो उसके कारणों में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार प्रमुख कारक देखे गए हैं। पानी के निजीकरण पर यू.एन. की रिपोर्ट कहती है कि निजीकरण जहां-जहां हुआ असफल रहा है और उससे महामारियां फैली हैं, पानी की गुणवत्ता गिरी है, पानी को लेकर झगड़े हुए हैं। पानी मंहगा हुआ है क्योंकि निजी क्षेत्र सदैव मुनाफे की सोचता है।

हिंदुस्तान में अब तक 3-4 जगह निजीकरण का प्रयोग हुआ है जिसमें छत्तीसगढ़, नागपुर, लातूर, कर्नाटक शामिल हैं। सभी जगह यह प्रयोग बुरी तरह असफल रहे हैं। नागपुर में बीजेपी के शासन काल में यह कोशिश हुई, दिल्ली में कांग्रेस के शासन काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यह प्रयास किए और अब राजस्थान में भाजपा निजी क्षेत्र के माध्यम से जलवितरण नीति लेकर आई है। भाजपा की इस मामले में दोगली नीति रही है। दिल्ली में शीला दीक्षित की नीतियों का भाजपा ने जम कर विरोध किया किंतु जहां-जहां भाजपा सरकारें हैं वहां यही प्रयोग किए जा रहे हैं।

इसके विपरीत आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में पानी के निजीकरण का हमेशा विरोध किया है। अरविंद केज़रीवाल जी की ओर से लगाई गई एक आरटीआई में यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली में पानी के निजीकरण में भारी भ्रष्टाचार हुआ। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की‘आप’ सरकार ने दिल्ली के हर परिवार को 20,000 लीटर पानी मुफ्त देने की व्यवस्था की है। इसके साथ ही पानी की बर्वादी रोक कर और बारिश के पानी संग्रहण के अत्याधुनिक तरीके अपना कर जल बोर्ड को लाभ में ला दिया है।

आम आदमी पार्टी राजस्थान प्रदेश की सरकार की नई जलनीति का पुरजोर विरोध करती है जिसमें पानी जैसे जीवन के लिए जरूरी कमोडीटी को निजी हाथों में बेचा जा रहा है। जल सेवा के निजीकरण का अर्थ है पानी का व्यवसायीकरण इसमें निजी कंपनी पानी के स्त्रोतों पर काबिज होगी, वितरण की सारी व्यवस्था को नियंत्रित करेंगे,  बिलिंग नियंत्रित करेंगी,कनैक्शन नियंत्रित करेंगे अर्थात पूरा नियंत्रण निजी हाथों में चला जाएगा.

पानी जीवन के लिए आधार भूत जरूरत है और मानव अधिकार के दायरे में आता है। अतः राजस्थान जैसे मरूस्थलीय प्रदेश में पानी का निजीकरण व व्यवसायी करण आम जनता के लिए अभिशाप से कम नहीं होगा।

आम आदमी पार्टी का ‘मटका फोड़ जल स्वाराज इंकलाब’

आम आदमी पार्टी राजस्थान के कार्यकर्ता गुरूवार 28 मार्च से प्रदेश भर में भाजपा व कांग्रेस विधायकों के घर के आगे‘मटका फोड़ो जल स्वराज इंकलाब’ करेंगे। शुरूआती तीन दिन भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के आवास के सामने यह अभियान चलेगा। उसके बाद कांग्रेसी विधायकों के आवास के सामने भी आम आदमी पार्टी राजस्थान के कार्यकर्ता ‘मटका फोड़ जल स्वराज इंकलाब’ करेंगे।

सोशल मीडिया पर छाया रहा ‘हैशटेग राजस्थान वाटर स्कैम’

आम आदमी पार्टी राजस्थान  सोशल मीडिया टीम ने आज जल विभाग में चल रही गड़बड़ियों को सोशल मीडिया पर ज़ोर शोर से उठाया ।

आज का हैश टैग  #RajasthanWaterScam ट्वीटर पर नैशनल लेवल पर तीसरे नम्बर पर छाया रहा।

क्या था मामला 

राजस्थान जल विभाग को एशियन विकास बैंक से मदद के रूप में820 करोड़ की मदद की पहली किश्त 11 सितम्बर 2017 को मिली थी , दूसरी किस्त के लिए कुछ सुधार माँगे थे । पैसा मिलने के बावजूद सुधार नहीं हुए जिसके कारण दूसरी किश्त की सम्भावना नहीं ।इस विफलता को दबाने के लिए निजी क्षेत्र में जाने की तैयारी।

ये 820 करोड़ कहाँ गए ? साफ़ तौर से ये एक बड़ा घोटाला है ।

इससे पहले भी २ सप्ताह पहले राजस्थान सरकार की हर क्षेत्र में विफलता पर #RajasthanMeJungleRaj हैश्टैग चलाया था जो देशव्यापी नम्बर एक पहुँचा था।

ये साफ़ दर्शाता है कि राजस्थान में आप सोशल मीडिया भाजपा ओर कांग्रिस के सोशल मीडिया  से काफ़ी आगे चल रहा है ओर 2018 के रण के लिए पूरी तरह तैयार है ।

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sudhir

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