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केंद्र में भाजपा की सरकार के सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री ने नारा दिया था, ‘सबका साथ, सबका विकास’। उस वक्त सभी को लगा था कि प्रधानमंत्री जी देश के सभी आम और ख़ास लोगों को साथ लेकर देश को आगे बढ़ाने का काम करेंगे लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता, नारे की हकीक़त सामने आने लगी कि ये नारा कोई नया नहीं है, ये भारतीय राजनीती का घिनौना सच है कि सत्ता में भले ही कोई रहे मगर किसी के भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यही केजरीवाल ने गुस्ताख़ी कर दी, जब उन्होंने टैंकर और CNG घोटाले में शीला दीक्षित के खिलाफ़ ACB जाँच के आदेश दे दिए, फिर क्या था ACB को दिल्ली सरकार से छीनकर गृह मंत्रालय के अधीन कर दिया गया और यहीं से शुरू हुआ असली टकराव।

याद करिए चुनाव से पूर्व कैसे भाजपा नेता पानी पी-पी कर भाषण देते थे कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो एक वर्ष के भीतर कॉंग्रेस सरकार के समय में हुए भ्रष्टाचार की जाँच पूरी की जाएगी और दोषियों को जेल भेजा जाएगा, रॉबर्ट वाड्रा के ज़मीन घोटाले की जाँच होगी और दोषी जेल जाएंगे। अब तो भाजपा सरकार का कार्यकाल भी खत्म होने वाला है लेकिन अभी तक ना तो कोई जाँच ही अंजाम तक पंहुची है और ना ही कोई जेल गया है। समझिए, ये सब तो चुनावी जुमले थे दरअसल इनको कांग्रेस के नेताओं के ख़िलाफ़ कुछ करना ही नहीं था। अब जब केजरीवाल कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने चले थे तो उनका रास्ता ही बंद कर दिया गया।

दूसरी ग़लती जो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की वो थी ‘अपने सबसे बड़े वादे यानि लोकपाल के वादे को पूरा करना और उसमें भी दिल्ली की धरती पर हुए किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को उसके दायरे में रखना’ अब ज़रा सोचिए, जब साहेब ने गुजरात में लोकपाल नहीं बनाने दिया, अभी तक केंद्र के लोकपाल बिल को अटकाए पड़े है तो फिर यहाँ कैसे बनाने दे सकते थे? और केजरीवाल के लोकपाल से तो उन्हें डर यह भी था कि कहीं दिल्ली में भाजपा सरकार के समय में हुए भ्रष्टाचार ना खुल जाएं,? तो केजरीवाल सरकार द्वारा बनाए गए लोकपाल को भी असंवैधानिक बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। भाजपा की सरकार सुझाव दे रही थी कि दिल्ली सरकार के मंत्रियों व कर्मचारियों को ही इसके दायरे में रखा जाए जबकि सच्चाई यह है कि भ्रष्टाचार तो दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के कर्मचारी भी करते है मगर मध्यप्रदेश में शिवराज के व्यापम, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के चावल और नमक घोटाले, महाराष्ट के दाल और चक्की घोटाले पर खामोश रहने वाली केंद्र की भाजपा सरकार का मूल मन्त्र तो यही है, सबका साथ और सबका विकास।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तीसरी सबसे बड़ी गुस्ताख़ी यह है कि उनके शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूलों की काया पलट ही कर दिया जिससे केजरीवाल भाजपा-कांग्रेस के मित्रों और शिक्षा माफियाओं के निशाने पर आ गए और फिर आग में घी का काम किया मनीष सिसोदिया के शिक्षा-बिल ने जिसमें प्राइवेट स्कूलों पर सरकार ने शिकंजा कस दिया। V.V.I.P एडमिशन कोटे व डोनेशन के नाम पर अभिभावकों की जेब की लूट बंद करने वाला बिल शिक्षा-माफ़ियाओं के गले की फांस बन गया था, सबका साथ सबका विकास के तहत भाजपा की सरकार ने शिक्षा बिल को भी ठन्डे बस्ते में डाल दिया और उसी के साथ भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने वाले भूमि-अधिग्रहण बिल जैसे केजरीवाल सरकार के तक़रीबन 14 बिलों को अटका कर रखा है क्योकि उनके ‘सबका साथ सबके विकास’ की परिभाषा में आने वालों का विकास जो बाधित हो रहा है।

विवेक यादव –

आम आदमी पार्टी नेता विवेक यादव की कलम से लिखे गए अन्य लेख आप नीचे दिए गए उनके ब्लॉग के लिंक पर पढ़ सकते हैं –

http://vivekyadavaap.blogspot.in/2017/10/

 

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sudhir

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