दिल्ली के रोहिणी समेत दूसरे इलाक़ों में जिस तरह से वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे फ़र्ज़ी बाबा के आध्यत्मिक विश्वविद्यालय में लड़कियों के शोषण का मामला सामने आया है उससे साफ़ हो गया है कि यह सबकुछ पुलिस की रज़ामंदी से ही होता है, दिल्ली पुलिस पैसे लेकर अपराधियों को खुद संरक्षण प्रदान करती है और दिल्ली की कानून व्यवस्था के साथ ख़िलवाड़ करती है और यह सबकुछ बीजेपी नेताओं के संरक्षण में होता है।
पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रैस कॉंफ्रेस में बोलते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता एंव राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि ‘जिस तरह से वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे ढोंगी बाबा के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का मामला सामने आया है उससे साफ़ हो जाता है कि राजधानी दिल्ली में ना बच्चियां सुरक्षित हैं और ना ही महिलाएं, इस तरह के गोरखधंधे पुलिस के संरक्षण में फलते फूलते हैं, दिल्ली के स्थानीय लोग अपने पड़ोस में चल रहे गलत कामों की शिकायत पुलिस को करते हैं तो बीजेपी के नेता पुलिस पर दबाव बना कर उन गलत धंधे करने वाले लोगों को बचा लेते हैं और इसके बदले में लाखों रुपए उन धंधा करने वाले लोगों से एठ लेते हैं।‘
दिल्ली में कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी केंद्र में बैठी बीजेपी की सरकार के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस के पास है और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पुलिस को अपनी उगाही मशीन बना रखा है जिसके माध्यम से दिल्ली में सभी ग़ैर-कानूनी और गोरखधंधों को पनपने दिया जाता है और उसकी एवज में लाखों-करोड़ों रुपए की उगाही की जाती है। दिल्ली की जनता के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने और लोगों को सुरक्षा देने के दिशा में बीजेपी के नेता और उनकी पुलिस का ना कोई प्रयास ही करती दिखती है और ना ही उनकी नीयत ही होती है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘पहले नरेला की घटना हो या फिर अब रोहिणी समेत दिल्ली के दूसरे इलाक़ों में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय जैसे गोरखधंधे का मामला हो, दोनो ही मामलों में दिल्ली पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत की बू आती है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि दिल्ली में इस तरह का गोरखधंधा चल रहा हो और दिल्ली पुलिस को इसका पता ना हो, बीट कॉंस्टेबल और बीट ऑफिसर की नज़र में उसके इलाक़े की एक-एक गली रहती है, चाहे नरेला का अवैध शराब और नशा बेचने का मामला हो या फिर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर चल रहा बच्चियों और लड़कियों का शोषण का मामला हो, दोनो ही जगह पुलिस की मिलीभगत से ही ये सबकुछ चल रहा था।
दरअसल दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल करके मोटी रिश्वत और उगाही का पैसा बीजेपी के नेता अपनी जेब में डालते हैं, दिल्ली की गलियों में लोग आपस में बात करते हुए पाए जाते हैं कि दिल्ली के हर थाने के एसएचओ का रेट फ़िक्स है, जहां पहले 20 से 25 लाख रुपए में थाने की बोली लगती थी अब यह रेट 1 करोड़ से लेकर 3 करोड़ रुपए के बीच में पहुंच गया है। हर थाने के अंतर्गत उसके इलाक़े में सभी अवैध और हर तरह के गोरखधंधों और अपराधियों को पुलिस अपने संरक्षण में रखती है और उन्हें धंधा चलाने देती है जिसकी एवज में लाखों रुपए में उगाही उनसे की जाती है जो पैसा अलग-अलग स्तर पर बंटते हुए बीजेपी के नेताओं की जेब में पहुंचता है।
अगर यह उगाही ना हो तो दिल्ली से अपराध ख़त्म हो सकता है लेकिन बीजेपी के नेता अपनी जेब और तिजोरी भरने के लिए दिल्ली की जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं। आज अगर वीरेंद्र देव दीक्षित जैसे लोग हमारे समाज की बच्चियों और लड़िकयों का शोषण करते हैं और हमारे पड़ोस में ये गोरखधंधा चलता है तो उसके लिए बीजेपी के नेताओं के द्वारा की जाने वाली रिश्वत के पैसे की उगाही ज़िम्मेदार है।
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