PressRelease/AAP/15Feb2018/
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि ‘देश में 11 हज़ार 400 करोड रुपए का घोटाला पीएनबी के माध्यम से सामने आया है। 1300 करोड़ रुपए का मुनाफ़ा कमाने वाली बैंक अब इस 11 हज़ार करोड़ रुपए के घोटाले की भरपाई जनता के पैसे से ही करने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस देश की अर्थव्यवस्था को संकट में डालने का प्रयास लगातार हो रहा है, चंद उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए देश के आम आदमी को बर्बाद करने का इंतज़ाम करने का काम बीजेपी का सरकार कर रही है।
ज्ञात हो कि अरविंद केजरीवाल ने नोटबंदी के समय ही कह दिया था कि यह 8 लाख 55 हज़ार करोड का घोटाला है क्योंकि मोदी सरकार को बड़े बडे उद्योगपतियों का लोन माफ़ करना था।
विजय माल्या की तरह नीरव मोदी के घोटाले के बारे में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबकुछ पता था, लेकिन नीरव मोदी के ख़िलाफ़ काम करने कि बजाए मोदी जी ने उसे भगा दिया।
यह बड़े शर्म की बात है कि जिस व्यक्ति पर इनकम टैक्स के छापे पड़े हों, जो घोटालेबाज़ा हो वो व्यक्ति मोदी जी के साथ दावोस में फ़ोटो खिंचाने के लिए खड़ा है।
देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को साफ़ करना चाहिए कि एक घोटालेबाज़ा प्रधानमंत्री से कैसे मिल रहा है और कैसै वो विदेश में प्रधानमंत्री के डेलिगेशन में घूम रहा है?
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने प्रेस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए कहा कि ‘योजनाबद्ध तरीक़े से हम आपको बताते हैं कि इस मामले में क्या हुआ है। इस देश में कई लोग आर्थिक घोटाले करके देश छोड़कर भाग जाते हैं। चाहे ललित मोदी हों या फिर विजय माल्या हों और अब नीरव मोदी।
जुलाई 2016 में हरिप्रसाद नामक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक चिठ्ठी लिखी थी जिसमें यह बताया था कि कैसे हजारों करोड़ रुपए का घोटाला नीरव मोदी द्वारा किया जा रहा है।
26 जुलाई 2016 को यह शिकायत पीएमओ को दी गई थी इसका मतलब यह हुआ कि पीएम मोद को पहले ही पता चल चुका था कि नीरव मोदी नाम का व्यक्ति इस देश के आम लोगों के पैसों के साथ एक बड़े घोटाले को अंजाम दे चुका है।
हरिप्रसाद ने अपने ख़त में प्रधानमंत्री जी को लिखा था कि वो वित्त मंत्रालय, रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज़, और दूसरी एजेंसियों को बता चुका है लेकिन उसकी शिकायत पर कुछ भी नहीं हो रहा है, अब प्रधानमंत्री से ही उसको उम्मीद है।
लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि 23 जनवरी 2018 को स्विट्जरलैंड में प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे और पीएम मोदी के उस डेलीगेशन में वही नीरव मोदी मौजूद था जिस पर भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक में घोटाला करने का आरोप लगा और पीएम को भी उसके घोटाले के बारे में पता था।
दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा नीरव मोदी के साथ फोटो खिंचवाने के बाद पीएनबी के द्वारा 28 जनवरी को सीबीआई को शिकायत दी जाती है और अपील की जाती है कि नीरव के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस जारी किया जाए।
लेकिन अफ़सोस तब तक नीरव मोदी देश को छोड़कर भाग गया।
अब सवाल यह उठता है कि क्या पीएम मोदी ने ही नीरव मोदी को पहले ही दिया था कि तुम्हारे ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी इसलिए तुम सारा पैसा लेकर इस देश से भाग जाओ?
और अब 14 फरवरी 2018 को पीएनबी ने अपनी चिठ्ठी के ज़रिए बताया है कि 11,400 करोड़ रुपए का घोटाला अंजाम दिया गया है। आम आदमी पार्टी इस संदर्भ में कुछ सवाल पूछना चाहती हैं
1- इस घोटाले में कांग्रेस सरकार के दौरान कितना पैसा नीरव मोदी को दिया गया और मोदी सरकार के दौरान कितना पैसा नीरव मोद को दिया गया?
2- क्या प्रधानमंत्री के ऑफिस ने ही समय रहते नीरव मोदी को देश से भागने में मदद की है?
3- देश का वित्त मंत्रालय और दूसरे मंत्रालय और जांच एजेंसियां क्या एक ऐसे व्यक्ति को नहीं पकड पाईं जो इतना बड़ा घोटाला करके चला गया?
4- अब एक बैंक के अधिकारी पर इस घोटाले का ठीकरा फोड़ा जा रहा है, क्या मंत्रालय की ज़िम्मेदारी नहीं होनी चाहिए ऐसे मामलों में?
5- आज हम लोगों की कमाई जो बैंकों में रखी है, वो भी डूब सकती है क्योंकि FRDI कानून लाकर मोदी सरकार ऐसी व्यवस्था तो बना ही रही है कि नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों के लोन से होने वाले नुकसान की भरपाई हमारी मेहनत की कमाई से कर पाएं
सीनियर मोदी ने जूनियर मोदी को जिस प्रकार से घोटाला करके भगाया है ठीक वैसे ही कुछ और लोग भी घोटाला करते हैं, हमारी मांग है कि जांच एजेंसियां ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करें।
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