पाकिस्तान का साथ देने वाली देशद्रोही डे-ला-रु कम्पनी से नोट क्यों छपवा रही है मोदी सरकार?
नोटबंदी इस देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला, करीबियों का काला धन सफ़ेद किया गया
8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी के रुप में जो तीर भारत देश की जनता के सीने में मोदी सरकार ने दागा था दरअसल वो तीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की एक सोची समझी साज़िश थी जिसके तहत आज़ाद भारत के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी सरकार द्वारा दिए गए तर्कों के हिसाब से पूरी तरह से फ़ेल साबित हुई है। और उपर से सरकार ने नए नोट की प्रिंटिंग में भी ब्लैक लिस्टिड कम्पनी का सहारा लेकर देश के धन को बर्बाद किया है।
पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रैस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘जैसा कि उस वक्त सामने आया था कि सरकार डे-ला-रु नामक उस ब्लैक लिस्टिड कम्पनी की मदद से नोट छापने का काम कर रही है जिसके उपर पाकिस्तान की आईएसआई का साथ देने का आरोप है। अप्रैल 2016 में इस कम्पनी का नाम पनामा पेपर में आता है, इस कम्पनी पर भारत देश में भी एक रिकवरी का मुकदमा चल रहा है और बड़े शर्म की बात है कि देश के वित्त मंत्री इस ब्लैक लिस्टिड कम्पनी से सरकार के किसी भी सम्बंध को सार्वजनिक तौर पर नकार रहे थे। देश के वित्त मंत्री ने खुले-आम देश की जनता से झूठ बोला है जबकि सच यह है कि एक देशद्रोही कम्पनी के साथ उनकी सरकार काम कर रही है।
अगर आरबीआई के ताज़ा आंकडों की ही मानें तो उसमें यह बताया गया है कि 16 हज़ार करोड़ रुपए बैंकों में नहीं आया और 21 हज़ार करोड़ रुपया सरकार ने नए नोटों को छापने में लगा दिया, यह कौन सा गणित है? यह तो देश का नुकसान ही है। नोटबंदी नामक आज़ाद भारत के सबसे बड़े घोटाले पर आम आदमी पार्टी देश के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी से कुछ सवाल पूछ रही है-
1. मोदी सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके तहत सरकार एक ब्लैक लिस्टिड और पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी आईएसआई का साथ देने वाली डे-ला-रु कम्पनी के साथ नोट छापने का काम कर रही है?
2. नोटबंदी के नुकसान के बारे में देश की जनता से लगातार झूठ क्यों बोला जा रहा है? नोटबंदी के पीछे के सच को जनता को क्यों नहीं बता रही है सरकार?
3. नोटबंदी नामक घोटाले की वजह से देश की अर्थव्यवस्था और देश की जनता को हुए नुकसान पर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी माफ़ी कब मांगेंगे ?
पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि ‘आरबीआई ने 27 नवंबर 2016 को कहा था कि 14,18,000 करोड़ रुपये को डीमोनेटाइज़ किया गया है लेकिन अब आरबीआई दावा कर रही है कि यह आंकड़ा वास्तव में 15,44,000 करोड़ रुपए है जिसमें से 15,28,000 करोड़ रुपए वापस आया है। ये 1,10,000 करोड़ रुपए का गैप क्या है, कहीं ये काला धन तो सफ़ेद नहीं किया गया है, क्या ऐसा तो नहीं कि नकली नोट भी सिस्टम में डालकर सफ़ेद कर लिया गया है? बहुत सारे प्रश्न हैं जिनका इस देश की सरकार जवाब नहीं दे रही है। उपर से यह भी सामने आया है कि 21 हज़ार करोड़ रुपए इन्होंने नए नोट छापने में खर्च कर डाले वो भी एक ब्लैक लिस्टिड और देशद्रोही कम्पनी के साथ मिलकर।
नोटबंदी से ना तो आतंकवाद खत्म हुआ, ना भ्रष्टाचार ख़त्म हुआ, ना नक्सलवाद ख़त्म हुआ, ना नकली नोट छापने वाले खत्म हुए और ना ही काला धन ख़त्म हुआ। देश की मोदी सरकार इस मुद्दे पर देश की जनता से असलियत छुपा रही है क्योंकि इन्होंने इस नोटबंदी के नाम पर बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया है जिसमें बीजेपी नेताओं और अपने उद्योगपति दोस्तों के काले धन को सफ़ेद करने का काम प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मिलकर किया है। हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री देश की जनता से नोटबंदी की विफलता पर माफ़ी मांगें और देश की जनता को इसकी असलियत बताएं।
PR on MCD issue under mentioned –
MCD की सत्ता में बैठे BJP नेता कर रहे हैं एमसीडी अधिकारियों के साथ बदसलूकी
नजफ़गढ़ ज़ोन की डिप्टी चेयरमैन सुमन डागर ने एमसीडी अधिकारी के साथ की मारपीट
एमसीडी की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के नेता सत्ता और पावर के नशे में इतना डूब चुके हैं कि वो अब अधिकारियों के साथ मारपीट करने से भी बाज़ नहीं आते।
आम आदमी पार्टी के पार्षद और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष रमेश मटियाला ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ‘हाल ही में नजफ़गढ़ ज़ोन की डिप्टी चेयरमैन और बीजेपी पार्षद सुमन डागर ने एमसीडी में डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टीकल्चर के साथ अपने ऑफ़िस में मारपीट की है जिसका मुकदमा भी दर्ज़ हो गया है। इससे पहले भी बीजेपी की इन पार्षद पर सफ़ाई कर्मियों के साथ मारपीट का मामला दर्ज़ हो चुका है।‘
‘इससे यह साबित हो जाता है कि बीजेपी के चाहे पुराने पार्षद रहे हों या फिर ये नए पार्षद, इनके सभी नेता पैसे और सत्ता के नशे में चूर होकर ना केवल अधिकारियों के साथ दुर्भावनापूर्वक व्यवहार करते हैं बल्कि ये जनता के साथ भी कमोबेश ऐसा ही व्यवहार करते हैं’
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