आम आदमी पार्टी का मानना है कि हाल ही में जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन रोकने वाले एनजीटी के फ़ैसले का पुनरावलोकन होना चाहिए। जंतर-मंतर दशकों पुरानी जगह है जहां से वो आवाज़ बुलंद होती हैं जिसे सत्ता के गलियारों में बैठे जनता के नुमाइंदे या फिर प्रशासन में बैठे अधिकारी नहीं सुनते हैं। जिस तर्क के आधार पर प्रदर्शन की जगह को स्थानांतरित करने का फ़ैसला दिया गया है दरअसल उस तर्क की भी गहराई से समीक्षा बेहद ज़रुरी है।
पार्टी कार्यालय में आयोजित हुई प्रेस कॉंफ्रेस में बोलते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन रोकने वाले NGT के फ़ैसले की पुन: समीक्षा बेहद ज़रुरी है क्योंकि जो तर्क एनजीटी द्वारा दिया गया है उस तर्क के हिसाब से रामलीला मैदान के रुप में नई जगह ज्यादा रिहायशी है और जंतर-मंतर के मुकाबले वहां आस-पास के इलाक़े में ज्यादा लोग रहते हैं। एनजीटी द्वारा लाउड-स्पीकर की आवाज़ को आधार बनाते हुए इसकी जगह बदलने का फ़ैसला दिया गया है लेकिन नई जगह पर पुरानी जगह से भी ज्यादा लोग रहते हैं लिहाज़ा इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
हम एनजीटी के हर उस प्रयास का सम्मान करते हैं जिससे पर्यावरण को साफ़-स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त बनाने में सहायता मिलती हो लेकिन जंतर-मंतर के इस फ़ैसले पर हमारा मत है कि इस फ़ैसले का पुनरावलोकन होना चाहिए।
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सरकार, NDMC और दिल्ली पुलिस से दरख्वास्त करती है कि वो एनजीटी के इस फ़ैसले के पुन:अवलोकन की मांग करें क्योंकि एनजीटी ने इन्ही एजेंसियों को अपने फ़ैसले को क्रियान्वित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है।
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