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पेट्रोल के दाम तय करने में कच्चे तेल का दाम सबसे महत्वपूर्ण किरदार निभाता है, इस वक्त अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल तक़रीबन 50 डॉलर प्रति बैरल के भाव से मिल रहा है लेकिन बावजूद इसके भारत में पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। 18 सितम्बर 2017 को भारत में पेट्रोल का औसतन भाव 74 रुपए प्रति लीटर था लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वेनेजुएला देश में ठीक इसी दिन पेट्रोल के दाम भारतीय रुपए में 0.58 पैसे प्रति लीटर था। यहां तक कि भारत के पड़ोसी मुल्क भी भारत से सस्ता पेट्रोल अपने नागरिकों को मुहैय्या करा रहे हैं लेकिन भारत के लोग सस्ता पेट्रोल खरीदने से अभी भी वंचित हैं।

पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर केंद्र सरकार और सरकार से जुड़े लोग अपने ही तर्क दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने बड़े ही हास्यास्पद तरीक़े से कहा है कि राज्य सरकारें अगर वैट में कटौती करेंगी तो तेल के दाम कम होंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले तीन साल में पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क यानि एक्साइज़ ड्यूटी को दोगुने से भी ज्यादा बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार खुद अपने टैक्स में कटौती करने कि बजाए बढ़ोतरी करती जा रही है और ठीकरा राज्य सरकारों पर मढ़ा जा रहा है, इस कड़ी में एक और हैरान करने वाली बात यह है कि बीजेपी के ही शासित मध्यप्रदेश राज्य में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा 36% की दर से टैक्स लग रहा है।

पेट्रोल के बढ़ते दाम के इस पूरे खेल को समझने के लिए 19 सितम्बर को देश के प्रतिष्ठित अख़बार ‘जनसत्ता’ के संपादकीय पृष्ठ पर छपे श्री अतुल कनक के इस लेख को ज़रुर पढ़ें।

http://www.jansatta.com/politics/jansatta-article-about-logic-of-inflation/434909/ 

 

Credit: Jansatta

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sudhir

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