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GOVERNMENT OF NCT OF DELHI
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New Delhi: 25/10/2016

 

  • Deputy Chief Minister & Education Minister, Shri Manish Sisodia addresses the CABE meeting :
  • Stresses on increasing the education budget at the national level
  • RTE Act should be implemented for children below six years and above 14 years of age
  • Demands scrapping of No Detention Policy
  • Advocates teachers should not put on non-academic duties such as making of voter i-cards and ration cards
  • Quality centres for teachers training and in-service training
  • Specific road map to link skill education with higher education

Deputy Chief Minister and Education Minister, Shri Manish Sisodia on Tuesday said only the government schools and not the private schools provide an ultimate solution for school education in India.

Addressing the Central Advisory Board of Education (CABE) meeting, Shri Sisodia said private schools provide a makeshift arrangement in school education.

Shri Sisodia said his experience so far as Education Minister is that quality and accountability in government schools should be ensured. There is no dearth of talent in teachers of government schools but they are bound by too many formailities. Till the time, principals and teachers do not feel liberated a bit, till they don’t feel they have independence to do things their own way, big changes in education won’t be possible.

Shri Sisodia said right from nursery till class 12, teachers and principals are currently enslaved by curriculum, diary, syllabus and policy. Efforts at the national level are required to liberate teachers and principals from these shackles.

He said teachers should not be put on duties like making of voter i-cards, ration cards etc., since this adversely affects teaching schedules.

Deputy Chief Minister stressed that education budget must be increased at all levels and gave the example of Delhi where the government has increased and fixed 25% of its total budget for education during last two successive years. In case the budget for education is increased at the national level, it will benefit everyone.

NO DETENTION POLICY

Mr Sisodia said the No Detention Policy was implemented without any preparation. Text books were not changed, teachers were not trained and neither were any changes made in the B.Ed programmes before this policy was implemented.

He said given such a situation the No Detention Policy should be done away with for now. The Delhi Vidhan Sabha has already passed a resolution which was sent to the Central government for scrapping the No Detention Policy for now.

Mr Sisodia said quality of teachers is a challenge aggravated by mushrooming of colleges/universities running B.Ed courses and some stern measures to check this is required.

(Please find attached the 76-page booklet on education changes in Delhi distributed to all states who participated in the CABE meeting)

सरकारी स्कूल ही अल्टीमेट सलूशन हैं:मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली। एक राष्ट्र के रूप में हमें मानना पड़ेगा कि स्कूली शिक्षा के मामले में हमारे देश के लिए सरकारी स्कूल ही अल्टीमेट सलूशन है। प्राइवेट स्कूल अल्टीमेट सलूशन नहीं हैं। प्राइवेट स्कूल मेकशिफ्ट अरेंजमेंट्स हैं।केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्रीऔर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ये बातें कहीं।
उन्होंने ये भी कहा कि सरकारी स्कूलों के बारे में उनके डेढ़ साल के काम का अनुभव ये है कि वहां क्वालिटी और जवाबदेही कैसे सुनिश्चित करें। ऐसा नहीं है कि हमारे सरकारी स्कूलों में टैलेंटेड टीचर्स नहीं है। पर वहां औपचारिकताएं बहुत हैं। जब तक प्रिंसिपल्स और टीचर्स अपने क्लासरूम्स या स्कूल में खड़े होकर थोड़ा लिब्रल महसूस महसूस नहीं करेंगे, जब तक उनको ये नहीं लगेगा कि उन्हें वहां कुछ करने की आजादी है, तब तक चीजें ठीक कैसे होंगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नर्सरी से लेकर 12 तक किसी भी क्लास की बात कर लीजिए, टीचर्स-प्रिंसिपल्स कैरिकुलम, डायरी, सिलेबस और पॉलिसी के गुलाम बन गए हैं। टीचर्स-प्रिंसिपल्स को इनसे लिबर्टी दिलाने के लिए हमें नेशनल लेवल पर कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।
मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि निश्चित रूप से शिक्षा का बजट बढ़ाना चाहिए। दिल्ली सरकार ने अपने पिछले दो बजट में कुल बजट का 25 फीसदी शिक्षा के लिए रखा। अगर राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का बजट बढ़ता है तो उसका भी फायदा दिल्ली को मिलेगा।
नो डिटेंशन पॉलिसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमने इस पॉलिसी को बिना तैयारी के लागू कर दिया। हमने टेक्स्ट बुक्स नहीं बदलीं, टीचर्स ट्रेनिंग नहीं बदले, बीएड प्रोग्राम्स में कोई बदलाव नहीं किया, बस नो डिटेंशन पॉलिसी लागू कर दिया। इसलिए नो डिटेंशन पॉलिसी को अभी फिलहाल हटा लिया जाना चाहिए। इसीलिए दिल्ली विधानसभा ने इस संबंध में प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेजा है।
टीचर्स एजुकेशन का जिक्र करते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने कहा कि टीचर्स की क्वालिटी हमारे सामने एक बड़ा सवाल है। जिस तरह बीएड कोर्सेस चलाने वाले कॉलेजेस/यूनिवर्सिटीज की मशरूमिंग हुई है, इनसे बचाने के लिए हमें कुछ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
टीचर्स की एक और समस्या है कि उन्हें वोटर कार्ड बनाने, फैमिली रजिस्टर भरने के काम में लगाया जाता है, शिक्षा की मशीनरी को इन कामों में नहीं लगाया जाना चाहिए, चाहे इसके लिए अलग मशीनरी क्यों न खड़ी करने पड़े।
मनीष सिसोदिया ने स्किल एजुकेशन का जिक्र करते हुए कहा,“हमने स्किल एजुकेशन को प्लंबर और कारपेंटर की जॉब बनाकर छोड़ दिया है। मेरा मकसद इन जॉब्स को कमतर करना नहीं है। लेकिन हमारे सामने अभी तक क्लियर रोडमैप नहीं है।“
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के मुख्य प्रस्ताव:
1.केंद्र सरकार शिक्षा का बजट बढ़ाए।
2.RTE Actको6साल से कम व14साल से अधिक उम्र के बच्चों पर भी लागू किया जाए।
3. नो डिटेंशन पॉलिसी को हटाया जाए।
4.शिक्षकों से फैमिली रजिस्टर भरवाने,वोटर कार्ड बनवाने जैसे काम न कराये जाने की सख्त राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए।
5.टीचर्स ट्रेनिंग तथा इन सर्विस ट्रेनिंग के वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी व सेंटर स्थापित किए जाएं।
6.प्री-प्राइमरी और अर्ली चाइल्डहुड लर्निंग पर फोकस बढ़ाया जाए।
7.स्किल एजुकेशन को हायर एजुकेशन से जोड़ने का रोडमैप स्पष्ट किया जाये ताकि बच्चे स्किल में दिलचस्पी लें।
8.शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों को सिलेबस और करिकुलम की गुलामी से निकालकर,उन्हें पढ़ाने और सिखाने की आज़ादी की पालिसी बनाई जाए।
9.हमें देश भर में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और जवाबदेही पर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए।
10.देश में शिक्षा मंत्रालय नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। अभी हमारे यहां मानव संसाधन मंत्रालय है।
11.मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर देना चाहिए। मानव संसाधन विकास उसका एक हिस्सा है

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sudhir

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