मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए ही हांसिल की विजय गोयल ने डीडीए की ज़मीन, झूठ बोल रहे हैं विजय गोयल
आम आदमी पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि ‘राजधानी दिल्ली में एक प्राइम लोकेशन पर डीडीए का प्लॉट बीजेपी नेता विजय गोयल की संस्था को उनके केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद ही आवंटित हुआ है और निश्चित तौर पर बीजेपी नेता विजय गोयल ने अपने पद और प्रभाव का ग़लत इस्तेमाल करते हुए इस सरकारी ज़मीन को अपनी संस्था के नाम ग़लत तरीक़े से कराया है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने साल 2002 में भी ऐसा ही किया था जब वो तत्काल बीजेपी सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री पद पर थे।
पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने तफ़्सील से बताया कि ‘आरोप लगने के बाद मीडिया में आकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता विजय गोयल ने जो सफ़ाई दी है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ झूठ है, हम मीडिया के माध्यम से विजय गोयल जी की झूठी सफ़ाई से जुड़े कुछ असल बिंदु रख रहे हैं-
1. बीजेपी नेता विजय गोयल जुलाई 2016 में केंद्र सरकार में मंत्री बने थे और ये ज़मीन उन्हें सितम्बर 2016 में अलॉट कर दी गई थी इसका मलतब साफ़ है कि मंत्री बनने के बाद ही उनकी संस्था को यह ज़मीन मिली और ज़ाहिर तौर पर उन्होंने अपने पद और प्रभाव का ग़लत इस्तेमाल किया, साल 2002 में भी वो केंद्र में मंत्री रहते हुए ऐसा कर चुके हैं।
2. विजय गोयल की जिस संस्था के नाम डीडीए की यह ज़मीन दी गई है उस संस्था में विजय गोयल जी उपाध्यक्ष हैं, और उनके बच्चे सदस्य हैं, ये बात उनकी सामाजिक और राजनीतिक प्रोफ़ाइल से साबित भी हो जाता है और इसके साथ ही विजय गोयल जी डीडीए के एडवाइज़री मेम्बर भी रहे हैं। इस बिंदु पर भी विजय गोयल ने झूठ बोलते हुए कहा था कि उनका इस संस्था से कोई लेना-देना नहीं है, जबकि उनकी यह बात सरासर झूठ है।
3. बीजेपी नेता और मंत्री विजय गोयल की इस संस्था ने डीडीए की उस ज़मीन के टुकड़े को लिखित में यह कहते हुए लिया है कि वहां झुग्गी-झोपड़ी का इलाक़ा है और वे आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्ग के बच्चों के लिए काम करना चाहते हैं और जिसके तहत वे यहां एक खिलोना बैंक खोलेंगे जबकि हक़ीक़त यह है कि वह इलाक़ा और कॉलोनी मध्यम वर्गीय है जिसके आस-पास भी कोई झुग्गी-झोपड़ी नहीं है। विजय गोयल का झूठ यहां भी पकड़ा गया।
4. यह भी अब सार्वजनिक होना चाहिए कि आधारशिला नामक उस जूनियर विंग के स्कूल की ज़मीन बीजेपी नेता विजय गोयल को कैसे मिली थी? क्या वहां कोई कमर्शियल एक्टिविटी करने की इज़ाज़त है भी या नहीं?
5. जिस स्पॉंसरशिप लेटर की बात विजय गोयल कर रहे हैं वो दरअसल कोई स्पॉंसरशिप लेटर नहीं है, वह अलग तरीक़े का लैटर है, जो महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने डीडीए को नहीं बल्कि उस संस्था को ही लिखा था, और उस पत्र में सिर्फ सहायता करने की बात लिखी है, किसी भी तरह की कोई स्पॉंसरशिप का ज़िक्र तक उसमें नहीं है। और ध्यान देने वाली बात यह है कि एप्लीकेशन फ़ाइल में स्पॉंसरशिप सर्टिफ़िकेट को बाद में जबरदस्ती जोड़ा गया था जो कि फ़ाइल के उस पेज की लिखावट से साफ़ पता चल रहा है।
6. उस ज़मीन के ले-आउट प्लान को डीडीए ने दरअसल विजय गोयल की संस्था को ज़मीन देने के लिए ही उनके मुताबिक बदला था क्योंकि डीडीए के अपने कागज़ात और विजय गोयल की संस्था की एप्लीकेशन की फ़ाइल से यह साबित हो जाता है। इस बिंदु पर भी विजय गोयल झूठ बोल रहे हैं
7. इस पूरे मसले पर बीजेपी की केंद्र सरकार, डीडीए और भारतीय जनता पार्टी कुछ नहीं बोल रहे हैं, ऐसी क्या वजह है कि ये सब चुप हैं?
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