Aam Aadmi Party opposes NJAC Bill; MP Raghav Chadha calls it ‘Constitutional Impossibility’
AAP Rajya Sabha MP Raghav Chadha rose to oppose introduction of a Private Member Bill on judicial appointments during a session on December 9
Judiciary only independent institution left in the country; unconstitutional to allow political interference in it: Raghav Chadha
Collegium system functioning smoothly, scope for improvement but not for any political interference: Raghav Chadha
Central Government should in no manner be let to control appoint of judges: Raghav Chadha
NEW DELHI
The Aam Aadmi Party strongly opposed the NJAC Bill on Friday. AAP Rajya Sabha MP Shri Raghav Chadha registered the party’s opposition for the bill in the upper house calling it a ‘Constitutional Impossibility’. Shri Raghav Chadha rose to oppose the introduction of MP Shri Bikash Ranjan Bhattacharya’s Private Member Bill on judicial appointments during a session of the parliament.
The bill titled The National Judicial Commision Bill, 2022 was introduced by Rajya Sabha MP Bikash Ranjan Bhattacharya during Private Member’s Business in the Upper House. The objective of the Bill was to regulate the procedure to be followed by the National Judicial Commission for recommending persons for appointment judges of the higher judiciary.
Shri Raghav Chadha stated, “Judiciary is the only independent institution left in the country; harmful to allow political influence over it. Collegium system functioning smoothly, scope for improvement but not for any political interference. The Central Government should in no manner be allowed to control the appointment of judiciary.”
Opposing the Bill, Raghav Chadha said, “The concept of National Judicial Appointments Commission (NJAC) came thrice in the Supreme Court in 1993, 1998, and 2016. Every time, the Supreme Court prioritised the independence of the judiciary and rejected the idea of NJAC. I am here to oppose this bill.”
He further said, “I think we are attempting to do a constitutional impossibility. The current collegium system of appointment of judges is functioning smoothly. There could be a scope of improvement, which could be explored after discussions and dialogue with the judiciary.”
Concluding his speech, he said, “We should not give any handle to the Central Government that they could interfere with the judiciary and appointment of judges. As they do in the case of Directors of the CBI and the ED, they want to do the same with appointment of judges.”
Later, speaking to the media, he said, “The existing procedure of appointment of judges that is the collegium system in the past 30 years has done great. Though there could be a scope of improvement, but, to discard it and politically interfere in the appointment of judges should not happen at all. NJAC has been thrice rejected by the Supreme Court. Judicial independence is part of the basic structure of our constitution. I would like to say that no bill should come up that gives the government a handle to interfere in the appointment of judges. In these times, the only push back that the government is receiving is from the judiciary. Higher judiciary is the only impartial institution left in the country today. The intentions of the government are very clear – they want to appoint judges of the higher judiciary in the same manner as they appoint Directors of CBI and ED, which is against the basic structure of the constitution.”
PRESS RELEASE IN HINDI
आम आदमी पार्टी ने न्यायिक नियुक्ति विधेयक का किया विरोध, सासंद राघव चड्ढा ने इसे ‘संवैधानिक रूप से असंभव’ बताया
आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने 9 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान न्यायिक नियुक्तियों पर निजी सदस्य विधेयक पेश करने का विरोध किया
देश में एकमात्र निष्पक्ष संस्था आज न्यायपालिका बची है, जजों की नियुक्ति में राजनीतिक दखल बिल्कुल नहीं होना चाहिए- राघव चड्ढा
कॉलेजियम प्रणाली सुचारु रूप से काम कर रही है, इसमें सुधार की गुंजाइश है लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है- राघव चड्ढा
केंद्र सरकार को किसी भी तरह से न्यायाधीशों की नियुक्ति को नियंत्रित करने नहीं देना चाहिए- राघव चड्ढा
नई दिल्ली, 09 दिसंबर, 2022
आम आदमी पार्टी ने एनजेएसी विधेयक का शुक्रवार को राज्य सभा में पुरजोर विरोध किया। आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने उच्च सदन में विधेयक के खिलाफ पार्टी की तरफ से विरोध दर्ज कराया। सांसद राघव चड्ढा ने संसद सत्र के दौरान खड़े होकर न्यायिक नियुक्तियों पर सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य के निजी सदस्य विधेयक का पुरजोर विरोध किया।
उच्च सदन में राज्यसभा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने विधेयक पेश किया था। इस विधेयक का उद्देश्य उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लोगों की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को नियंत्रित करना था।
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि न्यायपालिका देश में एकमात्र स्वतंत्र संस्था बची है। उस पर राजनीतिक प्रभाव की अनुमति देना हानिकारक है। कॉलेजियम प्रणाली सुचारू रूप से काम कर रही है। इसमें सुधार की गुंजाइश है लेकिन किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। केंद्र सरकार को किसी भी तरह से इसे नियंत्रित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
बिल का विरोध करते हुए राघव चड्ढा ने कहा, “राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का कॉन्सेपट लगभग तीन बार सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन लाया गया। इसे पहली बार 1993, दूसरी बार 1998 और तीसरी बार 2016 में लाया गया। तीनों बार सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी और इस विचार को खारिज कर दिया। मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हम एक संवैधानिक असंभवता को करने का प्रयास कर रहे हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली बेहतरीन चल रही है। इसमें सुधार की गुंजाइश हो सकती है, जिसे न्यायपालिका के साथ चर्चा और संवाद के बाद किया जा सकता है।
राघव चड्ढा ने कहा कि मैं माननीय सदस्य को यह कहना चाहूंगा कि हमें केंद्र सरकार को ऐसा कोई भी अधिकार नहीं देना चाहिए कि वे न्यायपालिका और न्यायाधीशों की नियुक्ति में हस्तक्षेप कर सकें। सीबीआई डायरेक्टर्स व ईडी डायरेक्टर्स की जिस तरह से नियुक्ति होती है, उसी तरह यह न्यायाधीशों की नियुक्ति में भी घुसना चाहते हैं।
इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली ने पिछले 30 वर्षों में बहुत अच्छा काम किया है। हालांकि, इसमें सुधार की गुंजाइश हो सकती है, लेकिन इसे खारिज करना और जजों की नियुक्ति में राजनीतिक दखल बिल्कुल नहीं होना चाहिए। एनजेएसी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार खारिज कर दिया है। न्यायिक स्वतंत्रता हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई बिल नहीं आना चाहिए जो सरकार को जजों की नियुक्ति में दखल देने का मौका दे। ऐसे समय में सरकार को केवल न्यायपालिका से ही झटका मिल रहा है। न्यायपालिका आज देश में एकमात्र निष्पक्ष संस्था बची है। सरकार के इरादे बहुत स्पष्ट हैं। वह उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों को उसी तरह नियुक्त करना चाहते हैं, जैसे वह सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्ति करते हैं, जो संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।