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Office of the Chief Minister, Government of Delhi

7 November 2019

CM Kejriwal meets experts, entrepreneurs, agriculturists to discuss possible solutions for stubble burning in Punjab and Haryana

Chief minister Arvind Kejriwal held several meetings over the last two days with agriculturists, entrepreneurs and industry experts to discuss the possible solutions for the disposal of agriculture waste or ‘parali’ that is left behind after the harvest of paddy crop in the states of Punjab and Haryana.

Over the past few years, Delhi has seen an annual spike in air pollution that can be directly linked to the burning of agricultural waste in the months of October and November in the neighbouring states. Although this issue has been identified some years ago, there has been no solution so far with lakhs of acres of farms being set on fire every year.

After the meetings yesterday, CM Kejriwal had tweeted, “I had several meetings today with experts. It is technologically and commercially possible to convert stubble into CNG. This will provide jobs, additional income to farmers and solve our annual problem of pollution. However, it requires all govts to come together and work on this.”

“Not only is the ecologically friendly means of disposing parali economically viable, it also has the potential for massive job creation. All the state governments and the Centre should consider all the options available and work together to ensure that next year such an environmental disaster is not repeated,” said experts.

With the air quality turning extremely unhealthy this year, the chief minister had invited several stakeholders to meet and discuss the potential solutions that can be offered for ecologically friendly disposal of farm waste. CM Kejriwal has maintained that the only way to put an end to the burning of stubble is to develop commercially viable processes to dispose off the paddy straw.

An entrepreneur said, “Only when the environmentally friendly disposal of stubble is made economically beneficial for farmers will they be incentivised to use stop burning. For this to happen, industry that can use the stubble for producing either materials or energy have to be supported and encouraged by the government.”

Over the past two days, CM Kejriwal met with entrepreneurs working on producing Compressed Natural Gas (CNG) using paddy straw as raw material. With equity infusion or capital support, a viable economic model exists for large scale production of gas using stubble. Such a solution also has the advantage of year round demand, since CNG is an essential fuel across the region.

Another model that CM Kejriwal studied consists of the conversion of agricultural waste into coal or bio fuel. With its high calorific value and durability, this can also be an effective economic model. Both of the above solutions are tested models that are known to provide returns for entrepreneurs.

The third model involved the conversion of stubble into paper pulp for the production of various household and stationery items ranging from file folders to paper plates. All such products have an existing market and are also easily biodegradable.

पंजाब और हरियाणा में जलने वाले पराली के निस्तारण पर चर्चा के लिए विशेषज्ञों, उद्यमियों, कृषि वैज्ञानिकों से मिले सीएम

  • पराली को व्यवहारिक तौर पर निपटाने की तकनीक पर हुआ विचार विमर्श
  • किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हो सकता है पराली का व्यवहारिक निस्तारण

नई दिल्ली – मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और हरियाणा में जलने वाले पराली के निस्तारण पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों, उद्यमियों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ पिछले दो दिनों में कई बैठक किए। जिसमें विशेषज्ञों ने पराली को व्यवहारिक रूप से निपटाने की तकनीक बताई। इस दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि पराली के निस्तारण से किसानों का आर्थिक लाभ भी हो सकता है।

पंजाब और हरियाणा में जलने वाले पराली से पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अक्टूबर और नवंबर में बढ़ा है। इस समस्या की पहचान कुछ साल पहले हो गई थी लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकला। इस कारण हर साल लाखों एकड़ खेतों में आग लगा दी जाती है।

बैठकों के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया कि, “मैंने विशेषज्ञों के साथ आज कई बैठकें कीं। पराली को सीएनजी में बदलना तकनीकी रूप से और व्यावसायिक रूप से संभव है। यह किसानों को रोजगार, अतिरिक्त आय प्रदान करेगा और प्रदूषण की हमारी वार्षिक समस्या का समाधान करेगा। हालाँकि, इसके लिए सभी सरकारों को एक साथ आने और इस पर काम करने की आवश्यकता है। ”

सीएम और विशेषज्ञों की आपसी चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि न केवल आर्थिक रूप से बल्कि व्यवहारिक रूप से भी पराली को निपटाने का पारिस्थितिक अनुकूल साधन है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की भी संभावना है। सभी राज्य सरकारों और केंद्र को उपलब्ध सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए कि अगले साल इस तरह की पर्यावरणीय आपदा दोहराया नहीं जाए।

इस वर्ष हवा की गुणवत्ता बेहद अस्वस्थ होने के कारण मुख्यमंत्री ने कई क्षेत्र के लोगों को पराली के निपटाने के लिए संभावित समाधानों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। विशेषज्ञों ने बताया कि पराली को जलाने पर रोक लगाने का एकमात्र तरीका धान के भूसे को व्यावसायिक रूप से निपटाने की प्रक्रियाएं विकसित करना है।

एक उद्यमी ने कहा पराली को पर्यावरण के अनुकूल निपटाना किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी बनाया जाना चाहिए, उन्हें स्टॉप बर्निंग का उपयोग करने के लिए तभी प्रोत्साहित किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए सरकर की ओर से उन उद्योगों का प्रोत्साहित किया जाए, जो ऊर्जा पैदा करने के लिए पराली का उपयोग कर सकते हैं।

पिछले दो दिनों में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कच्चे माल के रूप में धान के पुआल का उपयोग करके कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) का उत्पादन करने वाले उद्यमियों के साथ मुलाकात की। इक्विटी इन्फ्यूजन या कैपिटल सपोर्ट के साथ बड़े पैमाने पर पराली का उपयोग करके गैस के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक व्यवहारिक आर्थिक मॉडल मौजूद है। इस तरह के समाधान से पूरे साल भर की पराली की मांग बनी रहेगा क्योंकि सीएनजी हर क्षेत्र में एक आवश्यक ईंधन है।

विशेषज्ञों और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच हुई चर्चा में यह निकल कर आया कि पराली या कृषि अपशिष्टों को जैव ईंधन में बदला जा सकता है। अपने उच्च कैलोरी मान और स्थायित्व के साथ यह एक प्रभावी आर्थिक मॉडल भी हो सकता है। उपरोक्त दोनों समाधान परीक्षण पर निर्भर हैं। जिससे उद्यमियों को आमदनी भी होगी।

तीसरे मॉडल में फ़ाइल फ़ोल्डर से लेकर पेपर प्लेटों तक के विभिन्न घरेलू और स्टेशनरी आइटमों के उत्पादन के लिए पेपर पल्प में पराली को शामिल किया जा सकता है। ऐसे सभी उत्पादों का एक मौजूदा बाजार है और आसानी से बायोडिग्रेडेबल भी है।

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sudhir

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