निगम में भाजपा से ना स्कूल चल रहे और ना ही अस्पताल, अपने निकम्मेपन के लिए दिल्ली की जनता से माफ़ी मांगे भाजपा: दिलीप पांडे
नए चेहरे और नई उड़ान के नाम पर निगम की सत्ता में दोबारा आई भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि वो दिल्ली नगर निगम को चला पाने में अभी भी अक्षम है और उन्होंने निगम की शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था का बंटाधार कर दिया है।
आम आदमी पार्टी कार्यालय में आयोजित हुई प्रैस कॉंफ्रेस में बोलते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘जैसा कि पूरी दिल्ली और देश को पता है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार में आते ही अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान दिया था और जनता से किए गए वादो को पूरा किया था, जिसमें बिजली-पानी, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर तुरंत काम किया गया था। वहीं दूसरी तरफ़ अगर भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम की बात करें तो वहां शिक्षा और स्वास्थ्य में आज भी हालात बेहद ख़राब हैं।
शासन और सुशासन की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बीजेपी एक छोटे से निगम को अब तक ठीक नहीं कर पाई है, पिछले 12 साल से ज्यादा वक्त से निगम में बीजेपी शासन कर रही है लेकिन आज भी नगर निगम की हालत बदतर बनी हुई है।
अभी हाल ही में हाईकोर्ट ने भी निगम को कहा था कि अगर भाजपा शासित नगर निगम से स्कूल नहीं चल पा रहे हैं तो वो अपने स्कूल दिल्ली सरकार को सौंप दें। दिल्ली सरकार उन स्कूलों को बेहतर तरीक़े से चला लेगी।
आपको बता दें कि ‘नए चेहरे और नई उडान’ सिर्फ़ कह देने भर से नहीं बनती है। आलम ये है कि अब तो हाई कोर्ट भी निगम को आड़े हाथो ले रहा है, लेकिन हैरानी की बता तो यह है कि भाजपा शासित निगम फिर भी निगम के कर्मचारियो और शिक्षकों को सैलरी तक नहीं दे रहा है।
स्वास्थ्य में भी नगर निगम ने बंटाधार कर दिया है। आपको बता दें कि हाल ही में उत्तरी नगर निगम में एक प्रस्ताव लाया गया था और उस प्रस्ताव में पूरी तरह से दंडवत होकर केंद्र सरकार से कहा गया कि कृपया निगम के अस्पताल का अधिग्रहण कर लें, निगम से अब अस्पताल नहीं चल पा रहे हैं। यह निगम में बैठी भाजपा के लिए बेहद शर्म की बात है।
भाजपा ने दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात किया है। साफ-सफ़ाई तो कर ही नहीं रहे हैं अब उपर से स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हाथ खड़े करके भाजपा बैठ गई है।
अभी हाल ही में उत्तरी नगर निगम में सदन के नेता और भाजपा पार्षद पूरी बेशर्मी से दिल्ली सरकार के विभाग लेने की बात करते हुए नज़र आए थे, वो दरअसल अपने आप को और पूरी भाजपा को सदन में हंसी का पात्र बना रहे थे। हक़ीक़त तो यह है कि भाजपा शासित नगर निगम खुद अपने स्कूल और अस्पताल छोड़ रहा है तो हमारी उनको सलाह है कि बीजेपी पार्षद सदन में इतनी-इतनी लम्बी लम्बी डींगें ना हांकें कि दुनिया उनका खुलेआम मज़ाक उड़ाए।
हम भाजपा से पूछना चाहते हैं कि क्या आपको नहीं लगता कि
- निगम को आकंठ भ्रष्टाचार में डुबोने के बावजूद नए नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, और निगम में भाजपा पूरी तरह से फेल साबित हुई है?
- तो फिर क्यों ना भाजपा नगर निगम में अपने निकम्मेपन को लेकर दिल्ली की जनता से माफ़ी मांगे और दोबारा चुनाव में जाए ?
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