- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने की मांग को लेकर बुलाया गया है तीन दिन का विशेष विधानसभा सत्र: सौरभ भारद्वाज
मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आज तक दिल्ली में जिस भी पार्टी की सरकारें रही हैं, उन सभी ने माना है कि दिल्ली का जो प्रशासनिक ढांचा है, उसमें इतने सारे सरकारी संस्थान हैं कि आपको एक छोटे से छोटा काम कराने के लिए बहुत सारे विभागों से बात करनी पड़ती है। और उन विभागों की जो जवाबदेही है वो दिल्ली सरकार के प्रति नहीं है। इस कारण किसी भी प्रकार से यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि वो विभाग दिल्ली के विकास के कार्य में दिल्ली सरकार का साथ देंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले 4 साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है और मूलतः यह केंद्र के हाथ में है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दे सके। प्राय: जब कभी भी हम दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग करते है तो हमारा मानना होता है कि दिल्ली में जितने भी सरकारी संस्थान हैं, उनकी जवाबदेही दिल्ली सरकार के प्रति होनी चाहिए। और इसी मुद्दे पर ये तीन दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाया गया है।
इस तीन दिवसीय सत्र में आम आदमी पार्टी और भाजपा के विधायक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने पर अपना-अपना मत रखेंगे। आम आदमी पार्टी सत्र में अपनी बात को दोहराते हुए एक बार फिर दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग करेगी। लेकिन देखना यह है कि क्या भाजपा अपने उसी पुराने मत पर कायम है या दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे पर उनकी सोच में कोई परिवर्तन हुआ है?
भाजपा के नेताओ द्वारा समय-समय पर दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग उठाने को लेकर उदहारण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि साल 1993 में भाजपा के मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने दिल्ली विधानसभा में खुद दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग की, और कहा कि दिल्ली में बहुत सारे सरकारी संस्थान जैसे डीडीए है, एमसीडी है, डीटीसी है, जिनमे से कुछ केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते है तो कुछ दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते है। तो ऐसे में दिल्ली सरकार के लिए स्वतंत्र रूप से काम कर पाना बेहद मुश्किल है। इसीलिए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया जाए।
साहिब सिंह वर्मा और लाल कृष्ण आडवानी का उदहारण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि समय समय पर भारतीय जनता पार्टी के खेमे से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने के लिए आवाज़ उठाई गई है। साल 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेई चुनाव लड़ रहे थे, तो भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली की जनता से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का वादा किया था। एक बार फिर 2003 में पार्लियामेंट में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का मामला उठाया गया और लाल कृष्ण आडवाणी ने इसका समर्थन किया था।
भाजपा के एक बड़े नेता वी के मल्होत्रा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2011 में जब वी के मल्होत्रा नेता विपक्ष हुआ करते थे तब उन्होंने भी ये बात उठाई थी, और विधान सभा में कहा थी कि भाजपा साल 1956 से इस मुद्दे को उठाती रही है।
साल 2013 में जब दिल्ली में विधान सभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली की जनता से ये वादा किया कि अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया जाएगा। उसके बाद जब भाजपा राष्ट्रीय चुनाव की तैयारी कर रही थी और नरेन्द्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री दावेदार थे, तब भी भाजपा ने दिल्ली के लिए एक इस्पेशल मेनिफेस्टो तैयार किया था, जिसमे भाजपा ने कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया जाएगा। पुलिस, एमसीडी और डीडीए तीनो ही दिल्ली सरकार के अधीन आने चाहिए।
जो भाजपा सरकार साल 1956 से दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्ज़े की मांग कर रही थी, पिछले चाल सालों में जब से भाजपा केंद्र की सरकार में आई है, भाजपा ने इस बारे में सोचा तक नहीं है।
देश के अन्य राज्यों की तरह दिल्ली की जनता को भी अब अपने हक़ की आवाज़ खुद उठानी पड़ेगी। जिस तरह आंध्रप्रदेश ने अपने राज्य के लिए स्पेशल पैकेज की मांग की, तेलंगाना के लोगों ने कहा कि केंद्र में जिसकी सरकार बनेगी वो हमें एक अलग राज्य देंगे, और उतराखंड के लोगो ने भाजपा और कॉंग्रेस से सवाल किया कि अगर आपकी सरकार बनेगी तो आप हमें उत्तराखंड राज्य देंगे या नहीं देंगे, ठीक ऐसे ही अब दिल्ली के लोगों को भी अपने हक़ की बात उठानी पड़ेगी।
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