दिल्ली में ठोस कचरे के उठान से लेकर उसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा संचालित नगर निगम (एमसीडी) के अधीन है। शुक्रवार को गाज़ीपुर की जिस लैंड-फ़िल साइट पर हादसा पेश आया है उस लैंडफ़िल की ऊंचाई 45 मीटर पर है जो शेड्यूल3 के मानकों के हिसाब से बहुत ज्यादा है। बीजेपी शासित MCD ना तो इस तरफ़ कोई ध्यान ही देती है और उपर से और ज्यादा कूड़ा लगातार डाला ही जा रहा है।
प्रैस कॉंफ्रैंस को सम्बोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘गाज़ीपुर जैसी दुर्घटना होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी अपनी दूषित राजनीति से बाज़ नहीं आ रही है और अपनी नाकामी का ठीकरा दिल्ली सरकार के सिर फोड़ने की कोशिश कर रही है। पिछले 10 साल से एमसीडी में भारतीय जनता पार्टी का शासन है और पिछले तीन साल से केंद्र में भी भारतीय जनता पार्टी का शासन है। एमसीडी भी भारतीय जनता पार्टी के पास है और डीडीए भी लेकिन बीजेपी काम करने कि बजाए सिर्फ़ अपनी गंदी राजनीति का ही प्रदर्शन करती रहती है और अपनी नाकामी छिपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाने लगती है।
‘CAG की रिपोर्ट में लैंडफ़िल साइट को लेकर एमसीडी को कठघरे में खड़ा किया गया था। तीन साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को एक वैकल्पिक लैंड-फिल के लिए एमसीडी को ज़मीन देने के लिए कहा था। लेकिन ये अलग बात है कि डीडीए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता विजय गोयल को एक खिलौना फैक्ट्री बनाने के लिए सारे नियमों को ताक पर रखकर ज़मीन आवंटित कर देता है, लेकिन दिल्ली की जनता के लिए बनने वाले स्कूलों, अस्पतालों आदि के लिए डीडीए ज़मीन नहीं देता है और ना ही कूड़ा डालने के लिए ही डीडीए के पास ज़मीन है जिसे वो लैंडफ़िल साइट के लिए दे सके। दिल्ली की जनता के भले के लिए बीजेपी की एजेंसियों के पास ना तो ज़मीन है और ना ही नीयत।’
‘ऑड ईवन के वक्त दिल्ली सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी से इन लैंडफ़िल साइट्स पर एक रिपोर्ट बनवाई थी जिसमें यह साफ़ तौर पर कहा गया था कि दिल्ली में MCD की सभी लैंडफ़िल साइट्स शेड्यूल 3 के मानकों के हिसाब से अयोग्य हैं जिन्हे तुरंत रोक दिया जाना चाहिए। इनकी उंचाई पर्यावरण सुरक्षा के मानकों से कहीं ज्यादा है लेकिन बावजूद इसके उस रिपोर्ट पर किसी ने चर्चा तक नहीं की। अब सुनने में आया है कि उपराज्यपाल महोदय ने कहा है कि गाज़ीपुर का मलबा भलस्वा की लैंडफ़िल साइट्स पर डलवाया जाए। हमारा ये मानना है कि ये फ़ैसला और बड़े हादसे की संभावना को प्रबल करेगा क्योंकि भलस्वा की साइट पहले से ही तय मानकों के हिसाब से ज्यादा उंची हो चुकी है।’
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने आगे कहा कि ‘हम भाजपा शासित MCD और उपराज्यपाल महोदय के समक्ष 3 मांगें रख रहे हैं –
1. वर्तमान लैंडफ़िल साइट्स पर कचरा डालना बंद करके तुरंत प्रभाव से नई लैंडफ़िल साइट्स का बंदोबस्त किया जाए। डीडीए लैंडफ़िल साइट्स के लिए ज़मीन मुहैय्या कराए।
2. एक लैंडफ़िल साइट से दूसरी लैंडफ़िल साइट पर कचरा शिफ़्ट करने के फ़ैसले को रोका जाए और दिल्ली की सभी साइट्स को DPCC एनवॉयरमेंट नॉर्म्स के मुताबिक व्यवस्थित किया जाए।
3. सीएजी ने कहा था कि भाजपा शासित MCD के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई लॉंग टर्म प्लान नहीं है, हमारी मांग है कि MCD तुरंत एक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लान तैयार करें, उसे सार्वजनिक करें और जल्द ही क्रियान्वित करें।
‘एमसीडी से जुड़ी ऐसी दुर्घटनाओं के प्रति भाजपा को जवाबदेह होना चाहिए क्योंकि दिल्ली में कचरे के उठाव से लेकर उसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी भाजपा शासित एमसीडी की है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा के नेता अपनी इस ज़िम्मेदारी से पहले भी भागते आए हैं और आज भी भाग रहे हैं।’
दिल्ली के कोंडली से AAP विधायक मनोज कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ‘मैंने व्यक्तिगत तौर पर गाज़ीपुर के लैंडफ़िल साइट को बंद कराने और इसकी उंचाई कम कराने की बहुत कोशिश की है लेकिन एमसीडी इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दे रही। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को ख़त लिखकर यह मांग की थी कि गाज़ीपुर लैंडफ़िल का कचरा नेशनल हाईवे के काम में इस्तेमाल किया जाए ताकि लैंडफ़िल की उंचाई कम हो सके, गडकरी जी की तरफ़ आश्वासन तो मिला था लेकिन इस दिशा में कोई काम आजतक नहीं हुआ।’
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