शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘आजकल एक झूठे मामले में आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार को फसाने की साज़िश की जा रही है वो अब बेनकाब हो गई है। मात्र 2.64 करोड़ के टेंडर को 10 करोड़ का घोटाला बता कर झूठी अफवाएं फैलाई जा रही हैं।
यहाँ दो महत्वपूर्ण बिंदु ध्यान देने योग्य हैं
- जिस नाले के टेंडर में घोटाले की बात कही जा रही है, और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी का नाम घसीटा जा रहा है, असल में वो कोई घोटाला ही नहीं है
- 8 फरवरी 2015 को दिल्ली का चुनाव हुआ, 10 फरवरी 2015 को नतीज़े आए थे, और 14 फरवरी 2015 को अरविन्द केजरीवाल जी मुख्यमंत्री बने थे
जबकि नाले का टेंडर 6 जनवरी 2015 को लगा था, 8 कंपनियों ने इस टेंडर में आवेदन किया, विनोद बंसल की कम्पनी ने सबसे कम बिड किया, 22 जनवरी 2015 को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की नोटिंग है कि विनोद बंसल की कम्पनी ने सबसे कम बिड किया है लिहाज़ा इनको ठेका दे दिया जाए।
ध्यान देने योग्य बात ये है कि जब अरविन्द केजरीवाल जी के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही टेंडर हो गया था तो किसी भी प्रकरण में (जो की हुआ ही नहीं) उनकी संलिप्तता कैसे हो सकती है?
PWD ने IIT रुड़की को लिखा कि ‘आप आएं और ये जो नाला बनाया गया है, इसकी क्वालिटी जांच करें। IIT रुड़की जो कि केंद्र सरकार के अधीन आती है और हिंदुस्तान की सबसे बड़ा थर्ड पार्टी क्वालिटी चेक करने वाला एक प्रतिष्ठित संसथान है, उसके इंजिनियर यहां आए, उन्होंने कई जगह से सेम्पल लिए, जाँच के बाद IIT रुड़की द्वारा दी गई रिपोर्ट में उन्होंने स्वीकार किया कि नाले को बनाने में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है और काम एकदम सही हुआ है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘इस सम्बन्ध में ACB द्वारा भी केस दर्ज किया गया। ACB ने देश के एक और जाने माने संस्थान “श्री राम लेबोरेट्रीज” के द्वारा 28 जुलाई 2017 को जांच करा, इस जांच में 4 अलग-अलग विधियों द्वारा नाले को बनाने में इस्तेमाल हुए सामानों की जाँच हुई। लगभग 2 दर्ज़न सैम्पल लिए गए, जांच के बाद आई रिपोर्ट में श्री राम लेबोरेट्रीज ने भी माना कि नाले को बनाने में जो सामान इस्तेमाल किया गया है उसमें किसी भी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है।
सभी संस्थानों द्वारा जांच के बाद किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात नहीं कही गई है। और अगर मान भी लिया जाए कि भ्रष्टाचार हुआ है, तो वो कौन से अधिकारी है जिनकी मिलीभगत से ये भ्रष्टाचार हुआ है? क्यों नहीं अभी तक किसी भी अधिकारी की गिरफ़्तारी हुई?
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