पत्रकारों से बात करते हुए दिल्ली प्रदेश के संयोजक और पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की राजधानी के विकास के लिए कोई नई योजना या नया पैसा देश के आम बजट में दिल्ली को नहीं दिया गया। जिस प्रकार से देश की राजधानी की सरकार को राजनीतिक रुप में परेशान किया जाता है ठीक उसी तरह से अब आर्थिक मोर्चे पर भी दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
जीएसटी के बाद भी राजधानी दिल्ली के लिए एक रुपए का फायदा देश की मोदी सरकार को नहीं दिखा और दिल्ली को कुछ नहीं दिया। प्रदूषण से लड़ने के लिए दिल्ली की तरफ़ से 2000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए डिमांड की गई लेकिन केंद्र से कुछ नहीं मिला।
राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की हालत बेहद ख़राब है लेकिन फिर भी पुलिस की संख्या बढ़ाने के लिए या दूसरे पुलिस सुधार के लिए एक नए पैसे की एलॉटमेंट नहीं की गई। आम बजट में देश की राजधानी दिल्ली को एक नए पैसे की एलॉटमेंट ना करके केंद्र सरकार ने दिखा दिया है कि भाजपा दिल्ली के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करती है और भाजपा शासित केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों का विकास चाहती ही नहीं हैं।
आम आदमी पार्टी के नेता, आर्थिक मामलों के जानकार एंव राज्यसभा सदस्य एन डी गुप्ता ने कहा कि ‘सैलरी क्लास के लिए 40 हजार की छूट तो दी लेकिन उसके उपर अलग से सेस बढाकर और दूसरे चार्ज लगाकर पहले से ज्यादा बोझ डाल दिया गया है, अगर हम टैक्स का हिसाब भी लगाएं तो हम पाएंगे कि पहले के मुकाबले ज्यादा ही बोझ एक सैलरी-क्लास मध्यमवर्गीय इंसान की जेब पर पड़ने वाला है।
आम बजट में एसएमई को कोई फायदा नहीं दिया, यहां भी सेस बढ़ाकर बोझ डाला गया है जिससे छोटे स्केल के व्यापार को कोई फ़ायदा होता हुआ नज़र नहीं आ रहा है बल्कि मध्यमवर्ग के व्यापारियों पर ‘टैक्स का बोझ ही बढ़ाया गया है।
लॉंग टर्म निवेश में टैक्स लगाकर एक तरह से देश के मध्यमवर्गीय इंसान को चोट मारी गई है। कोई पेंशनकर्मी, या कोई साधारण व्यक्ति अपनी सेविंग को लॉंग-टर्म में निवेश करता है लेकिन उसकी ग्रोथ पर भी टैक्स लगाकर देश के आम आदमी की सोशल सिक्योरिटी को नुकसान पहुंचाने का काम देश के आम बजट में किया गया है।
बड़ी चतुराई से मोदी जी ने अपनी सारी घोषित योजनाओं को 2022 की डेडलाइन्स दी हैं, जबकि 2014 में जब चुनाव लड़ा था तो उस वक्त सिर्फ़ पांच साल का समय मांगा गया था, अब जानबूझकर 2022 की डेडलाइंस दी जा रही है जो देश की जनता के साथ एक धोख़ा है।
भाजपा शासित केंद्र सरकार ने अपने आम बजट में आम आदमी पार्टी की कई योजनाओं को कॉपी किया है, जैसे दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक जैसा हैल्थ क्लीनिक खोलने की बात भाजपा शासित केंद सरकार ने अपने आम बजट में की है, आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की तारीफ़ पूरे विश्व में हो रही है और अगर केंद्र सरकार भी उससे प्रभावित होकर देश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रयास करती है तो आम आदमी पार्टी इसका स्वागत करती है क्योंकि इससे देश के लोगों का ही भला होगा।
दिल्ली सरकार ने जितने प्रयास दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था का कायापलट करने के लिए किए हैं उसकी तारीफ़ भी देश-विदेश में हो रही है, ठीक दिल्ली सरकार की ही तर्ज पर केंद्र सरकार ने भी अब अपने आम बजट में ब्लैक-बोर्ड टू डिजिटल करने की बात कही है जो दिल्ली सरकार पहले ही दिल्ली के स्कूलों में कर चुकी है और शिक्षा में नवीन तकनीक को अपना चुकी है। केंद्र सरकार ने यह योजना भी दिल्ली सरकार से कॉपी की है।
एक और बात इंश्योरेंस को लेकर है जिसमें कम्पनियों को मर्ज करने की जो बात देश के आम बजट में की गई है, इससे बेरोज़गारी बढ़ जाएगी क्योंकि अलग-अलग कम्पनियों को मर्ज करने के बाद काफ़ी लोगों को नौकरियों से निकाला जाएगा। मोटे-मोटे तौर पर सारी कम्पनियों को एक करके उसका प्राइवेटाइज़ेशन कर दिया जाएगा। जिस इंश्योरेंस स्कीम की बात बजट में की गई है उससे मेडिकल इंश्योरेंस के नाम पर 1 लाख करोड़ रुपए की बंदरबांट करने की योजना बनाई गई है जो सीधे तौर पर मेडिकल कम्पनियों और उन लोगों में बंटेगा जो इस पैसे पर का दुरुपयोग करने की ताक में बैठे हैं।
कुल मिलाकर भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया यह आम बजट देश की जनता के साथ एक धोख़ा है जिसमें ख़ासतौर पर दिल्ली के लोगों के साथ तो सौतेला व्यवहार करते हुए एक नया पैसा या नई योजना नहीं दी गई है।
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