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*कांग्रेस के राजनीतिक उद्देश्य एवं रणनीति में जमीन आसमान का अंतर।*
*कांग्रेस देश को मोदी जी की तानाशाही से बचाने की बात करती है परंतु कांग्रेस की रणनीति कुछ और ही इशारा कर रही है : गोपाल राय*
*नई दिल्ली, 31 मार्च 2019,*
रविवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश संयोजक एवं कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि राजनीति के वर्तमान परिवेश में जब पूरा देश मोदी जी की तानाशाह सरकार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह ऐलान होना, कि राहुल गांधी केरला से भी चुनाव लड़ेंगे बड़ा ही आश्चर्य चकित करने वाला है।
आज पूरे देश में सभी विपक्षी पार्टियों एवं देश की जनता के बीच यही है चर्चा है, कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि राहुल गांधी, मोदी जी की तानाशाही के खिलाफ लड़ने की बजाए पूरे देश में जो-जो विपक्ष के मुख्य केंद्र हैं, उसको निशाना बना रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के अंदर भी कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि वहां वोटों का बंटवारा हो जाए, पश्चिम बंगाल के अंदर भी कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि वहां भी वोटों का बंटवारा हो जाए, आंध्र प्रदेश के अंदर भी कांग्रेस कोशिश कर रही है कि वहां वोटों का बंटवारा हो जाए और अब केरला जहां पर लेफ्ट विंग का एक मजबूत जनाधार है, वहां से चुनाव लड़ने का ऐलान करना इस बात को दर्शाता है कि काँग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की प्राथमिकता भाजपा और मोदी जी की तानाशाही से मुक्ति दिलाने की जगह, कहीं न कहीं भाजपा को मदद पहुंचाने की है।
प्रेस वार्ता के माध्यम से गोपाल राय ने कांग्रेस एवं राहुल गांधी के समक्ष तीन प्रश्न रखें जो निम्न प्रकार से हैं….
1- अगर राहुल गांधी जी साउथ से चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो केरला ही क्यों कर्नाटका या तमिल नाडू से क्यों नहीं?
2- क्या कांग्रेस वर्तमान की मोदी सरकार से किसी प्रकार के दबाव में है, आखिर वो क्या मजबूरी है जिसके चलते कांग्रेस को ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं?
3-राहुल गांधी बताएं कि वो देश को बचाने की बजाए विपक्ष को कमज़ोर करने में क्यों लगे हुए हैं?
गोपाल राय ने कहा की वर्तमान में देश में कांग्रेस की जो रणनीतियां सामने आ रही हैं, वह उनकी कथनी और करनी में फर्क को दर्शाती है। राहुल गांधी जी कहते हैं कि वह देश को मोदी जी की तानाशाही से बचाना चाहते हैं। परंतु पूरे देश में जहां जहां पर विपक्ष मजबूत है, वहीं पर कांग्रेस पूरी ताकत से विपक्ष को कमजोर करने का काम कर रही है।
हाल ही में हरियाणा के जींद में हुए उप-चुनाव के नतीजों से भी यह सामने आया है, कि अगर हरियाणा में विपक्ष एकजुट हो जाए तो हरियाणा की 10 सीटों पर भाजपा को हराया जा सकता है। हरियाणा के कांग्रेस के नेता भी यही चाहते हैं कि हरियाणा में विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े। परंतु राहुल गांधी जी ने अभी तक भी उस बात पर कोई विचार नहीं किया है।
यही स्थिति कांग्रेस की दिल्ली में भी बनी हुई है। पिछले 3 महीने से कांग्रेस एक अजीब से असमंजस में घिरी हुई है। पूरी दिल्ली की जनता चाहती है कि दिल्ली में विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े और दिल्ली और देश को मोदी जी की तानाशाही से छुटकारा दिलाएं। परंतु कांग्रेस पार्टी एवं राहुल गांधी जी पिछले 3 महीने में एक छोटा सा फैसला नहीं ले पाए कि गठबंधन करना है या नहीं करना है।
पूरे देश में जिस तरह से कांग्रेस रणनीतियां अपना रही है, उसको देखकर एक बात तो तय है, कि यह रणनीतियां देश से भाजपा की तानाशाही को हटाने में नहीं बल्कि भाजपा को और मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
AAP response on Congress Part’s announcement that it’s President Sh Rahul Gandhi will contest from second Lok Sabha seat Waynad in Kerala :
AAP leader Gopal Rai on Sunday said in India’s electoral history many leaders have contested from two Lok Sabha seats and it is the decision of a party and it’s leadership.
However given the fact that priority of all non-BJP parties has to be to get rid of Hitler type dictatorial regime of Narendra Modi govt, this decision is surprising to say the least.
There appears to be a contradiction in the publicly stated strategy of the Congress of getting rid of Modi govt and it’s intentions.
Instead of concentrating attention of removing a dictatorial and anti-federal regime, the Congress seems to be dividing votes where Anti-BJP forces are strong.
Look at what Cong is doing in UP, West Bengal, Andhra Pradesh.
Now by going to Kerala, where Left Front is strong and BJP has no presence what signal is Congress giving?
Why not some other State like Karnataka or Tamil Nadu?
Instead of concentrating in states where there is a direct BJP-CONG fight, the Congress is attacking regions which have presence of strong anti-BJP forces.
Even in Delhi, Congress has been in a state of confusion since last three months and is unable to decide whether it wants to defeat BJP or not.
Anti-BJP parties are unable to understand what Cong wants to achieve.
Cong needs to tell whether it is under some pressure of the Central govt to split Anti-BJP votes.
Is Cong serious in removing a dictatorial regime ?

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sudhir

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