भाजपा के सांसद महोदय यमुनापार की जनता के साथ कर रहे धोखा : दिलीप पांडेय
अपनी ही सरकार के अधीन आने वाले विभाग एमसीडी एवं डीडीए के खिलाफ प्रदर्शन का कर रहे झूठा नाटक: दिलीप पांडेय
नई दिल्ली, 27 मार्च 2019,
बुधवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उत्तरी पूर्वी दिल्ली लोकसभा प्रत्याशी दिलीप पांडे ने कहा कि जैसा कि सबको ज्ञात है काफी लंबे समय से सोनिया विहार और गोंडा गुजरान इलाके में खाली पड़े एक ज़मीन के टुकड़े पर कूड़ा डालने के लिए लैंडफिल साइट बने या ना बने इस मुद्दे को लेकर विवाद चल रहा है।
उन्होंने बताया कि 26 अप्रैल 2018 को जब यह मुद्दा दोबारा से उठा था तो आम आदमी पार्टी ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया था। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया, हमारे पार्षदों, विधायकों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत भी दर्ज कराई थी, इलाके की जनता के बीच डोर टू डोर के माध्यम से लोगों को इस लैंडफिल साइट से होने वाली समस्याओं से अवगत कराने का भी काम किया।
सोनिया विहार और गुंडा गुजरान इलाके में भाजपा द्वारा बनाए जा रहे इस लैंडफिल साइट के नुकसान बताते हुए दिलीप पांडे ने कहा कि यह सीधे तौर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2016 का उल्लंघन है। नजदीकी इलाके जैसे सोनिया विहार, वेस्ट करावल नगर, सभापुर विलेज, चौहान पट्टी, दयाल पुर विलेज, अंकुर विहार आदि इलाकों में रहने वाली जनता के जीवन से सीधे सीधे तौर पर खिलवाड़ है।
एनजीटी के एक आदेश का हवाला देते हुए दिलीप पांडे ने कहा कि इस इलाके में लैंडफिल साइट का बनना एनजीटी के 9 मार्च 2016 के आदेश का भी सीधे तौर पर उल्लंघन है, जिसमें एनजीटी ने डीडीए को साफ तौर पर कहा है कि बिना ट्रिब्यूनल की अनुमति के डीडीए ऐसे किसी भी काम के लिए अनुमति नहीं दे सकता।
भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करते हुए दिलीप पांडे ने बताया कि कोर्ट में झूठी दलीलें पेश करके जबरदस्ती इस इलाके में लैंडफिल साइट बनाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा ने नीरी की जिस अनुमति का हवाला दिया है, दरअसल वह अनुमति नहीं थी, बल्कि नीरी द्वारा उस जमीन के टुकड़े पर किए गए निरीक्षण का ब्यौरा था, जिसमें नीरी ने बताया था कि अगर यहां लैंडफिल साइट बनी तो जमीन कितनी अंदर धंस शक्ति है या और क्या परिवर्तन हो सकते हैं।
सरकारी संस्थान जीएसडीएल का हवाला देते हुए श्री पांडे ने कहा की जीएसडीएल की गाइड लाइन में साफ तौर पर लिखा है कि ऐसा इलाका जहां 100 वर्षों से बाढ़ ना आई हो उसे फ्लडप्लेन एरिया से बाहर माना जाएगा। परंतु यह इलाका 2008, 2010 और 2013 में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है, तो किस आधार पर डीडीए ने इस इलाके में लैंडफिल साइट बनाने के लिए अनुमति दी?
1996 में सुप्रीम कोर्ट के अंदर चले एक केस का हवाला देते हुए दिलीप पांडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन बिंदुओं के माध्यम से, साफ तौर पर कहा है, पहला, कि अगर कहीं भी पर्यावरण पर कोई भी हमला होते हुए दिख रहा है तो राज्य के सरकारी संस्थान उस पर पुनर्विचार करने और उसके समाधान के लिए सहायता लें।
दूसरा, जहां कहीं भी पर्यावरण में ऐसे नुकसान की संभावना है जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती, वहां आप वैज्ञानिक कारणों का हवाला देकर किसी प्रकार के कार्य की अनुमति नहीं दे सकते, आपको पर्यावरण को होने वाले इस नुकसान को रोकने के उपाय करने होंगे।
तीसरा, यह कि यहां किसी भी प्रकार से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, यह तय करने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है, जिस के सहयोग से या साझेदारी से उस जगह पर लैंडफिल साइट बनने जा रही है। अर्थात यह जिम्मेदारी सीपीसीबी, नीरी, डीडीए और एमसीडी की है।
दिलीप पांडे ने बताया कि हमने इस संबंध में जो पिछली पिटीशन दायर की थी, और जो नई पिटीशन दायर करेंगे, कुछ मुख्य मांगे हम उनके साथ संलग्न कर रहे हैं, जो निम्न प्रकार से हैं…
1- हम एनजीटी और कोर्ट से आग्रह करेंगे कि जितने भी विभाग इसमें सम्मिलित हैं, उन्हें आदेश दिया जाए कि इस समय पर्यावरण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना की जाए।
2- हमारी दूसरी मांग है कि डीडीए ने जो लैंडफिल साइट की परमिशन देकर एनजीटी के आदेशों का, पर्यावरण नियमों का उलंघन किया है, तुरंत प्रभाव से वह आदेश वापस लिया जाए।
3- इस जमीन के टुकड़े पर होने वाले संभावित नुकसान के संबंध में एक निरीक्षण कराया जाए और इस निरीक्षण के पूरा होने तक इस जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य किया जाए।
4- जिस भी विभाग ने इस लैंडफिल साइट के संबंध में कानून का उल्लंघन किया है, उन सब के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
5- भाजपा के सांसद महोदय यमुनापार की जनता को धोखा देने के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।
अंत में श्री पांडे ने कहा कि हम यमुनापार इलाके की जनता के पास, घर घर जाकर भाजपा के दोहरे चरित्र का भंडाफोड़ करेंगे। जनता को बताएंगे कि कूड़ा डालने के लिए जो जगह दी जा रही है, वह डीडीए की जमीन है, और डीडीए भाजपा के अधीन आता है। लैंडफिल साइट बनाने के लिए जो विभाग जमीन मांग रहा है, वह एमसीडी है, और एमसीडी भी भाजपा के अधीन आती है। दोनों ही विभाग भाजपा के हैं, और भाजपा के माननीय सांसद महोदय जनता के सामने नाटक करके कर रहे हैं कि मैं यह लैंडफिल साइट नहीं बनने दूंगा।
*Dilip Pandey exposes BJP Central govt’s silent conspiracy for a landfill site in North East Delhi*
Aam Aadmi Party leader and party’s candidate for North East Lok Sabha constituency, Mr Dilip Pandey on Wednesday condemned the BJP central government’s decision to allow a landfill site near a densely populated area in the Yamuna floodplains.
Mr Pandey who is one of the petitioners in the ongoing case before the National Green Tribunal regarding the allocation of land near Sonia Vihar and Gonda Gujran in North East Delhi, said he will file a fresh application challenging the BJP controlled DDA and East MCD move to quietly set-up a new landfill site on 42 acres at Gonda Gujran.
Mr Pandey challenged the Delhi BJP President and current North East Delhi MP Manoj Tiwari to make his stand clear on the issue, which concerns the health and well being of lakhs of residents of the area.
Mr Pandey said the BJP controlled MCD has no plan for solid waste management and corruption and incompetence of MCDs is playing havoc with Delhiites.
He said a simple Google image of the area will even make it clear to a layman what havoc will be wreaked if a landfill site is allowed in this area.
He was reacting to the latest reports that 42.5 acres of land has been allotted to East MCD for setting-up a new landfill site in North East Delhi.
“This is a clear violation of Solid Waste Management Rules 2016. Nearby areas like Sonia Vihar, West Karawal Nagar, Sabhapur Village, Ankur Vihar etc., will be destroyed if this foolish move is allowed,” Mr Pandey said.
He further said this move also violates the order of the NGT dated 9th March 2016, in which the NGT had clearly directed the DDA that is cannot allot land for a landfill site without the Tribunal’s permission.
Dilip Pandey said the BJP central government’s agencies are lying that NEERI had cleared the setting-up of a landfill site at this spot. It is untrue, since the NEERI has not given any such clearance. “NEERI report is merely about the land status and nothing else,” Mr Pandey said.
Dilip Pandey cited a 1996 Supreme Court judgment to state that a landfill sit cannot come up at the land allotted by the DDA, which ruled that any environmental degradation is enough to deny a landfill site.
Mr Pandey said the AAP will fight on possible avenues from legal to public mobilization to expose this BJP fraud.
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