प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज दिल्ली की कानून व्यवस्था बिलकुल ध्वस्त हो चुकी है। भाजपा के लोग खुले आम दिल्ली कि सड़कों पर गुंडागर्दी कर रहे हैं और पुलिस को हिदायत दी गई है की भाजपा के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं करनी है, कोई FIR दर्ज़ नहीं करनी है।
हाल ही में खिड़की गॉव में हुई एक वारदात के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि खिड़की गॉव में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति संतोष कुमार गुप्ता के साथ भाजपा के लोकल नेता सूरज चौहान और उसके साथी ने मारपीट की। उनकी मारपीट का ये सारा वाक्या वहां पर लगे एक CCTV कैमरा में रिकोर्ड हो गया। शर्म कि बात यह है कि ये सारे सबूत लेकर जब वह बुज़ुर्ग व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज़ कराने के लिए पुलिस थाने गया, तो पुलिस कई घंटो तक उसे गुमराह करती रही, यहाँ वहां कि बाते करती रही। जब बुज़ुर्ग कई घंटो तक वहां बैठा रहा तो मजबूरन उसकी शिकायत ले तो ली, परन्तु उसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
थोड़ी देर बाद सूरज चौहान (ज्ञात रहे कि इससे पहले भी सूरज चौहान पर मारपीट और महिला उत्पीडन के कई केस दर्ज हैं) अपने कुछ साथियों के साथ थाने पहुँच गया, और थाने में भी बुज़ुर्ग के साथ बदतमीज़ी की, उन्हें डराया धमकाया। पुलिस ने भी सूरज चौहान का ही पक्ष लिया। ये सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ, सूरज चौहान के लोगो ने कई बार बुज़ुर्ग की दूकान पर जाकर उसे मारने-पीटने की धमकी दी और शिकायत वापस लेने को कहा।
सौरभ भरद्वाज ने बताया की पुलिस की तरफ से कोई सहयोग ने मिलने पर वह बुज़ुर्ग व्यक्ति संतोष कुमार गुप्ता मेरे पास आए और मुझे पूरा वाक्या सुनाया। संतोष कुमार जी की अच्छी बात ये थी इतनी उम्र होने के बाद भी उनके मन में इन गुंडों के प्रति जरा भी खौफ नहीं था। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं इस पर कार्यवाही करना चाहता हूँ। इस गुंडागर्दी के खिलाफ लड़ना चाहता हूँ। जब मैंने इस बारे में डीसीपी और एसएचओ (मालवीय नगर) से बात की तब जाकर इस मामले में FIR दर्ज़ की गई। परन्तु FIR के बावजूद ना तो कोई गिरफ़्तारी हुई, और ना ही किसी से पूछताछ की गई।
उन्होंने बताया कि चार दिन पहले संदिग्ध तरीके से उनकी मृत्यु हो गई। चार दिन पहले संतोष कुमार गुप्ता जी अपनी दुकान से घर वापस आए, उनके मुंह से झाग निकल रहा था। उनके परिवार वालो ने उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया जहाँ उनकी मृत्यु हो गई। डॉक्टर का मानना था कि उनकी मृत्यु सामन्य नहीं थी। डॉक्टर ने उनका पोस्टमार्टम कराने की बात कही। 26 घंटे तक उनके मृत शरीर को अस्पताल में रखा गया, और उसके बाद उनके परिवार को सौप दिया गया, परन्तु पोस्टमार्टम नहीं किया गया।
जब डॉक्टर का भी मानना था की उनकी मृत्यु सामान्य नही है, तो किसके दबाव में उनका पोस्टमार्टम नहीं होने दिया गया। प्रथम दर्शया पुलिस ने कोई सहायता नहीं की, दबाव बनाने के बाद FIR दर्ज की गई, परन्तु उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई, और अंततः उस बुज़ुर्ग की संदिग्ध हालत में मृत्यु हो गई। सवाल ये उठता है कि क्यों न माना जाए की इसके पीछे भाजपा का हाथ है। क्योंकि जिस गुंडे ने उस बुज़ुर्ग की पिटाई की वह भाजपा का नेता है, और दिल्ली की पुलिस भाजपा के अधीन आती है।
सौरभ भरद्वाज ने कहा कि बड़ा सवाल ये है कि अगर पुलिस पर और अस्पताल पर कोई दबाव था भी, तो क्या किसी दबाव के कारण पुलिस और अस्पताल को अपने कर्तव्य से समझोता करना चाहिए था। क्या पुलिस को सूरज चौहान को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था, उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं करनी चाहिए थी ? क्या अस्पताल को बुज़ुर्ग व्यक्ति का पोस्टमार्टम नहीं करना चाहिए था? ताकि पता चल सके की किस साजिश के तहत उनकी मृत्यु हुई।
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