
*कांग्रेस ने पूर्ण राज्य को लेकर दिल्ली की जनता के साथ किया सौतेला व्यवहार*
*भाजपा की तर्ज पर ही कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली की जनता के साथ कर रही धोखा : गोपाल राय*
*नई दिल्ली 2 अप्रैल 2019*
मंगलवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली प्रदेश संयोजक एवं कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आज कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपना घोषणापत्र जारी किया और घोषणा पत्र में कांग्रेस ने सीधे तौर पर दिल्ली की जनता के साथ सौतेला पन दिखाया है।
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पांडिचेरी के लिए तो पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात कही है, लेकिन दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात पूरे घोषणा पत्र में कहीं नहीं है।
पूर्व में कांग्रेस के नेताओं ने समय-समय पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही है। 23 जनवरी 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की बात कही है। परंतु आज कांग्रेस के घोषणा पत्र से दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का मुद्दा हटाना दिल्ली वालों के लिए दुख और आश्चर्य की बात है।
जब 2015 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही थी, तो आज जब पूरी दिल्ली में पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए आंदोलन चल रहे हैं, पूरी दिल्ली पूर्ण राज्य की मांग कर रही है, तो कांग्रेस अपने 2015 के वादे से क्यों मुकर रही है? कांग्रेस क्यों दिल्ली की जनता का साथ देने के बजाय पूर्ण राज्य के मुद्दे से भाग रही है?
आज का कांग्रेस का घोषणा पत्र इस बात को साबित करता है कि कांग्रेस ने भी भाजपा की भांति दिल्ली की जनता के साथ धोखा किया है।
गोपाल राय ने कहा कि हमारा दिल्ली को पूर्ण राज्य के मुद्दे पर एकदम स्पष्ट प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार भी चले सम्मान के साथ और दिल्ली की जनता के साथ भी नाइंसाफी ना हो। इसके लिए जो एनडीएमसी का एरिया है, जहां पर केंद्र सरकार के सभी कार्यालय हैं, वह सारा इलाका केंद्र सरकार के अधीन हो, और बाकी दिल्ली का अधिकार दिल्ली सरकार को सौंपा जाए। ताकि दिल्ली का पूर्ण रूप से विकास किया जा सके।
गोपाल राय ने मीडिया के माध्यम से कांग्रेस पार्टी से अपील करी के अपने इस घोषणा पत्र पर पुनर्विचार करें, और दिल्ली एवं पांडिचेरी के लिए पूर्ण राज्य के मुद्दे पर कांग्रेस ने जो दोहरा मापदंड अपनाया है, उस पर पुनर्विचार करके दिल्ली की जनता के साथ इंसाफ करे।
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