मोदी सरकार ने शहीदों को मिलने वाली एक करोड़ सम्मान राशि के प्रस्ताव को वर्षों तक रोका: अरविंद केजरीवाल
हमने सुप्रीम कोर्ट तक शहीदों के सम्मान की लड़ाई लड़ी और प्रस्ताव लागू करवाया: केजरीवाल
नई दिल्ली। दिल्ली फायर सर्विस एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के एक समारोह को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने सरकार में आते ही शहीदों के परिवार के लिए 1 करोड़ की सम्मान राशि का प्रस्ताव पास किया था। केंद्र सरकार ने हमारी सम्मान राशि वाली पॉलिसी को खारिज कर दिया। हमने उसके खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ी और अंततः हमें शहीदों को सम्मान देने का यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट से वापस मिला।
पिछले 4 साल से केंद्र सरकार हमारे हर काम में अड़ंगा लगाती है। परंतु मेरी हाथ जोड़कर मोदी जी से प्रार्थना है की शहीदों की शहादत पर राजनीति न करें।
जब एक फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट का कर्मचारी आग बुझाने के लिए आग में कूदता है, अपनी जान की बाजी लगाता है, तो वह यह नहीं देखता कि जिसकी जान वह बचा रहा है वह भाजपा का है, कांग्रेस का है या आम आदमी पार्टी का है। वह तो केवल अपनी ड्यूटी पूरी करता है। तो मोदी जी को भी राजनीति से ऊपर उठकर, अपने देश के जवानों के शहीद होने पर,जो सम्मान राशि का प्रस्ताव दिल्ली सरकार ने रखा था, उसके साथ राजनीति नहीं करनी चाहिए थी, उसमें अड़ंगा नहीं लगाना चाहिए था। बल्कि केंद्र सरकार को तो 5 करोड रुपए सम्मान राशि का ऐलान करना चाहिए।
दिल्ली फायर सर्विसेज के लोग अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाते हैं। मुझे बड़ा दुख हुआ की दिल्ली फायर सर्विस के जो 5 जवान शहीद हुए थे,उनके परिवारों को ढाई साल तक सम्मान राशि के लिए धक्के खाने पड़े। यह केवल और केवल केंद्र सरकार की वजह से हुआ। केंद्र सरकार ने हमारी सम्मान राशि वाली पॉलिसी को खारिज कर दिया। हमने उसके खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ी और अंततः हमें शहीदों को सम्मान देने का यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट से वापस मिला। हमने उन पांचों शहीदों के परिवार वालों को एक करोड़ रुपए सम्मान राशि के तौर पर प्रदान किए।
किसी भी राज्य के सरकारी कर्मचारी के शहीद होने पर उसके परिवार की देखरेख उस राज्य की सरकार और मुख्यमंत्री का जिम्मा होता है। अगर शहीद के परिवार को सम्मान राशि के लिए दो दो साल तक धक्के खाने पड़े तो यह सम्मान नहीं हुआ। यह राज्य की सरकार का फर्ज है कि 15 दिन के अंदर उस शहीद के परिवार को सम्मान राशि मिल जानी चाहिए।
14 फरवरी 2015 को दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और सरकार बनने के 10 दिन के अंदर हमने शहीदों के परिवार को एक करोड़ रुपये सम्मान राशि का प्रस्ताव पास कर दिया। बदकिस्मती से कुछ दिन बाद ही दिल्ली पुलिस का एक कर्मचारी अपनी ड्यूटी करते हुए शहीद हुआ। हमारी सरकार ने15 दिन के अंदर उसके परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि प्रदान की।
हमारे देश में जब कोई क्रिकेट में सेंचुरी मार कर आता है तो उसे करोड़ों रुपए दिए जाते हैं। परंतु जब कोई दिल्ली पुलिस का जवान, फायर डिपार्टमेंट का जवान या बॉर्डर पर कोई शहीद होता है तो उसके परिवार की कोई सुध भी नहीं लेता। सिर्फ अखबार के किसी कोने में एक छोटी सी खबर छप कर रह जाती है। मेरा मानना है कि जब कोई जवान शहीद होता है, तो उसके परिवार को लगना चाहिए की सरकार और समाज उनके साथ हैं, वह अकेले नहीं हैं, उनकी देखभाल करने वाला कोई है।
भाजपा सरकार की धूर्तता के कारण दिल्ली सरकार के अधीन इस प्रकार के लगभग 15 से 20 केस रुके हुए थे। सुप्रीम कोर्ट से अधिकार मिलने के पश्चात,दिल्ली सरकार ने तुरंत सभी शहीदों के सम्मान राशि के चेक उनके घर जाकर उनके परिवार वालों को सुपुर्द किये।
फायर सर्विसेज एसोसिएशन के साथ हुई पिछली बैठक में आप लोगों ने जो सुरक्षा संयंत्रों की मांग रखी थी, मैं आपसे वादा करता हूं कि दुनिया के सबसे बेहतरीन संयंत्र दिल्ली की फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट को ला कर दूंगा। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट में कोई भी जवान शहीद ना हो,किसी का परिवार ना बिगड़े। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि हमें किसी भी कर्मचारी के परिवार को एक करोड़ की सम्मान राशि ना देनी पड़े। क्योंकि किसी भी कर्मचारी की जान एक करोड रुपए से बहुत कीमती है। जब एक कर्मचारी शहीद होता है तो केवल कर्मचारी नहीं उसके साथ उसका पूरा परिवार शहीद सा हो जाता है।
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