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AAP/PR2/20April

नए प्रोफ़ेसर की नियुक्तियों और पोस्टिंग का धंधा चलाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजिज़ की गवर्निंग बॉड़ीज़ के चुनाव को कराया जा रहा है प्रभावित

 प्रैस कॉंफ्रेंस में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने कहा कि ‘पिछले एक साल से दिल्ली के कॉलेजिज़ में गर्वनिंग बॉडी नहीं थी, बहुत दबाव के बाद अब चुनाव हो रहे हैं।‘

‘लगातार हमें ये शिकायतें मिल रही थीं और अब प्रिंसिपल के द्वारा भी हमें बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी की तरफ़ से बहुत से प्रिंसिपल को डराया और धमकाया जा रहा है कि अगर “गवर्निंग बॉडी में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि चुने गए तो तुम्हारे साथ वो सलूक किया जाएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा”

‘आपको बता दें कि कॉलेज की बॉडी में 15 मेम्बर होते हैं जिसमें 5 मेंबर दिल्ली सरकार के और 5 यूनिवर्सिटी के होते हैं, और कॉलेज के लोग एंव प्रिंसिपल भी मौजूद रहते हैं। बैठक आयोजित होने के लिए कुल सदस्यों में से एक तिहाई का मौजूद होना ज़रुरी होता है। हाल ही में सत्यवती कॉलेज में गवर्निंग बॉडी के चुनाव हुए थे जहां जानबूझकर तीन लोगों को ग़ैर-हाज़िर रखा गया और इस दलील के साथ बैठक आयोजित ही नहीं की गई जबकि नियम एक तिहाई मौजूदगी का होता है जो पूर्ण कर लिया गया था। ज़ाहिर है ऐसा सिर्फ़ इसलिए किया गया ताकि मुख्य पदों पर दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि चुनकर ना आ जाएं।‘

‘अभी हाल ही में रजिस्ट्रार ने एक चिठ्ठी लिखकर ये बताया है कि अब दो स्टेज में गवर्निंग बॉडीज़ की बैठक होगी जिसमें एक बैठक सिर्फ़ परिचय के लिए होगी और दूसरी में चुनाव होंगे। जबकि पिछले 20 साल का इतिहास गवाह है कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि ही गवर्निंग बॉडीज़ के पदाधिकारी रहते आए हैं, चुनाव की प्रक्रिया तो अभी हो रही है और उसमें भी वर्तमान दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों को आने से रोका जा रहा है।‘

‘यूनिवर्सिटी में ज्वाइंट डीन के पद पर पायल मग्गो हैं जो एक कॉलेज की प्रिंसिपल भी हैं। ज्वाइंट डीन के पद पर बैठने वाला दरअसल कॉलेजिज़ के प्रशासन को सुपवाइज़ करता है। ये बड़ा मज़ेदार हैं कि पायल मग्गो प्रिंसिपल भी हैं और ज्वाइंट डीन भी और इसका मतलब ये हुआ कि वो अपने ही काम को सुपरवाइज़ कर रही हैं। और भी हैरानी की बात ये है कि पूर्व में पायल मग्गो एबीवीपी की वाइस प्रेसिडेंट भी रही हैं जो छात्र संगठन भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा है।‘

‘आपको बता दें कि आखिर ये पूरा खेल बीजेपी की तरफ़ से क्यों खेला जा रहा है, दरअसल यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों का बड़ा मोटा कारोबार चलता है और अगर दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि गवर्निंग बॉडीज़ में आ जाएंगे तो उन लोगों का ये कारोबार रुक जाएगा जो इससे मोटा पैसा कमा रहे हैं, यहां बहुत बड़ी रकम रिश्वत के रुप में लेकर प्रोफ़ेसर नियुक्त किए जाते रहे हैं और इसलिए गवर्निंग बॉडी बनाने का काम पिछले एक साल से लगातार रोका जा रहा था।‘

‘दरअसल सच्चाई यह है कि भाजपा, यूनिवर्सिटी में विभिन्न पदों पर मौजूद संघ के लोग और वाइस चांसलर मिलकर ये सारी साज़िश रच रहे हैं और गवर्निंग बॉडीज़ के माध्यम से दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों को दूर रखकर इस साजिश को अंजाम दिया जा रहा है। अगर दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि इन गवर्निंग बॉडीज़ में आ गए तो इनका नियुक्तियों और पोस्टिंग की रिश्वत का पूरा खेल रोक दिया जाएगा और इनका धंधा बंद हो जाएगा।‘

नोट- इस प्रेस कॉंफ्रेंस को नीचे दी गई वीडियो में देखा जा सकता है 

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sudhir

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