- देश को बांटने के लिए भाजपा और आरएएस कर रहे सुनियोजित साजिश : पंकज सिंह
- हिंसा पीडि़त परिवारों के प्रति व्यक्त की संवेदना, कहा- संविधान की मूल भावना को बचाना सभी की जिम्मेदारी
आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव पंकज सिंह ने कहा कि आज का यह प्रदर्शन 20 मार्च के माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में है, जिसमें दलित एवं आदिवासी समुदाय के साथ हुए ऐतिहासिक सामाजिक अन्याय की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल को देश को आरएसएस और भाजपा ने सुनियोजित तरीके से आग में झौंका है और इस मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने हिंसा में मारे गए परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ है, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि देश में लंबे समय से चले आ रहे सामाजिक अन्याय को देखते हुए भारतीय संविधान ने सामाजिक न्याय की अवधारणा के तहत दलित और आदिवासी समुदायों को विशेष दर्जा दिया है। यही मूल भावना एससी-एसटी एक्ट में भी लागू की गई है, जिसे तब तक बना रहना चाहिए जब तक कि समाज से अन्याय और गैरबराबरी खत्म नहीं हो जाते।
उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और इसका विरोध किसी दूसरे समुदाय के हितों का विरोध नहीं है। अगर सामाजिक रूप से पिछड़े और कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए एक कानून बना है, तो उसके प्रावधान किसी अन्य समुदाय के खिलाफ कतई नहीं हैं। यह बात समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस मिलकर सुनियोजित तरीके से इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, और पूरी सच्चाई नहीं बता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2014 में दलितों के खिलाफ 47,064 अपराध के मामले दर्ज किए गए। दूसरे शब्दों में कहें तो दलितों पर प्रतिदिन 123 अत्याचार के मामले दर्ज होते हैं। यही नहीं उन्होंने एक सामाजिक अध्ययन के हवाले से कहा कि दलित अभी भी भारत के गांवों में कम से कम 46 तरह के बहिष्कारों का सामना करते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2016 में दलितों के खिलाफ अत्याचार और अपराध के मामलों में 5.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साल 2016 में पूरे देश में दलितों पर हुए अत्याचार के कुल 40,801 मामले दर्ज हुए थे। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े बताते हैं कि तीन सालों में दलितों पर अत्याचार के मामले में कोई कमी नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि देश में दलित अत्याचार के मामले में शीर्ष चार राज्यों में मध्य प्रदेश भी शामिल है। मध्य प्रदेश में साल 2016 में दलित अत्याचार के कुल 4922 मामले दर्ज हुए, जो कुल मामलों के 12 प्रतिशत से भी ज्यादा है। आबादी के मुताबिक यह आंकड़ा बेहद ज्यादा है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में साल 2014 में दलित एक्ट के तहत 3294 मामले और 2015 में 3546 मामले दर्ज हुए थे। यानी साल दर साल मध्य प्रदेश में दलित हिंसा और अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए यह समझना जरूरी है कि एससीएसटी एक्ट में किसी भी बदलाव का सीधा असर समाज के सबसे कमजोर तबके पर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरों में भी दलित अत्याचार के काफी मामले सामने आए हैं। इसलिए यह कहना भी गलत है कि समाज के आधुनिक होने के साथ इस तरह की घटनाएं कम जो रही हैं। गांवों और शहरों में दलितों के साथ सामाजिक भेदभाव समान है और इसे कम करना समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मामले पर हमें गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
मध्य प्रदेश में बढ़ रहा दलित अत्याचार
साल दलित हिंसा की घटनाएं
2014 3294 मामले
2015 3546 मामले
2016 4922 मामले
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