साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सुप्रीम कोर्ट से बिना अनुमति लिए 1100 पेडों को काटने के मामले में केजरीवाल सरकार ने सख्त रूख अपनाया है। चोरी-छिपे काटे गए इन सैकड़ों पेड़ों की वजह से दिल्ली के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया गया है। लिहाजा, दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को वन विभाग के अफसरों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और उनसे इस संबंध में सारा रिकॉर्ड तलब किया है। उन्होंने अवैध रूप से पेड़ों को काटने के मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है। वन विभाग के अफसरों को यह सभी जानकारी गुरुवार को सुबह 11 बजे तक देने का निर्देश दिया है। बात दें कि रिज एरिया में गैर कानूनी तरीके से पेड़ों के काटने के मामले में एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है।
दरअसल, कुछ दिन पहले एक एनजीओ ने साउथ दिल्ली स्थित रिज एरिया में बिना किसी परमिशन के 1100 पेड़ काटने का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा था। एनजी ने कोर्ट को बताया कि साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में 1100 पेड़ गैरकानूनी तरीके से काट दिए गए हैं। जबकि रिज एरिया में पेड़ों को काटने से पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेना आवश्यक है। इन पेड़ों को काटने की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। एनजीओ ने कोर्ट को बताया कि पेड़ काटने के बाद डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में इनको काटने की इजाजत लेने आया। डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट को यह बात नहीं बताई कि उसने पहले ही ये पेड़ काट दिए हैं। डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है और अपने एफिडेविट पर भी झूठ बोला है।
यहां यह भी ज्ञात हो कि दिल्ली के फॉरेस्ट एरिया में केवल सुप्रीम कोर्ट पेड़ काटने की अनुमति दे सकता है। जब डीडीए की चोरी पकड़ी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उससे पूछा कि किसके कहने पर ये पेड़ काटे गए हैं? इधर, दिल्ली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया है।