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दिल्ली की लोअर कोर्ट से सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद भाजपा और उसकी ईडी पूरे देश के सामने बेनकाब हो गई है। ‘‘आप’’ के सांसद संजय सिंह ने कहा कि कोर्ट ने जमानत ऑर्डर में कहा है कि केजरीवाल के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है। ईडी ने मनगढंत तथ्यों और बयानों के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने आदेश में साफ कहा है कि गोवा चुनाव में पैसे के लेनदेन का ईडी के पास कोई सबूत नहीं है। दो साल की जांच के बाद भी मनी ट्रेल नहीं मिला है। ईडी चाहती है कि जब तक जांच चले, तब तक अरविंद केजरीवाल जेल में रहें, भले ही उसके पास कोई पुख्ता सबूत नही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद से भाजपा-ईडी में हड़कंप मच गया। इसलिए भाजपा ने स्टे लेने के लिए तुरंत ईडी को हाईकोर्ट भेज दिया। लेकिन केजरीवाल की जमानत का आधार पुख्ता है। हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट लोअर कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेगा।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देने का एक ऐतिहासिक फैसला दिया। शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे कोर्ट के आदेश की कॉपी जारी हुई। कोर्ट के आदेश ने भाजपा और उसके द्वारा संचालित ईडी को पूरे देश के सामने बेनकाब कर दिया है। कोर्ट के आदेश से स्पष्ट होता है कि ईडी ने मनगढ़त तथ्यों और दबाव बना कर लिए गए मनगढ़त बयानों के आधार पर केजरीवाल को गिरफ़्तार किया। ईडी ने केजरीवाल को फंसाने के लिए जो बयान जरूरी समझा, उसे कोर्ट के सामने रखा और जो बयान अरविंद केजरीवाल के पक्ष में थे, उन्हें छिपा लिया। ट्रायल कोर्ट ने साफ कहा है कि ईडी जिस गोवा चुनाव में लेनदेन की बात कर रही है, उसके पास उसका कोई सबूत नहीं है। इसका मतलब यह है कि पूरा मामला फर्जी है और इसका कोई आधार या प्रमाण नहीं है।

संजय सिंह ने आगे बताया कि ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत का भी जिक्र किया है, जिसमें कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं। यह मामला अगस्त 2022 से लंबित है, लेकिन सीबीआई की एफआईआर में कहीं भी अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं है। 21 मार्च 2024 को अरविंद केजरीवाल को हिरासत में लिया गया, उनकी गिरफ्तारी की वैधता का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और उस पर फैसला आना बाकी है। केंद्र की भाजपा सरकार ने एक गहरी साजिश के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन और मुझे जेल में डाल दिया। जिसका मकसद केवल अरविंद केजरीवाल की राजनीति और आम आदमी पार्टी को खत्म करना है।

संजय सिंह ने कहा कि ट्रायल कोर्ट से अरविंद केजरीवाल की जमानत का फैसला आने पर ईडी गहरे सदमे में चली गई और वह सुबह-सुबह इस आदेश पर स्टे लेने के लिए हाई कोर्ट पहुंच गई। मोदी सरकार की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। न्यायपालिका के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। आज जब कोर्ट के आदेश की कॉपी जारी ही नहीं हुई है, जज और ईडी को पता ही नहीं है कि कोर्ट के आदेश में क्या लिखा है, लेकिन वह उससे पहले ही अरविंद केजरीवाल की रिहाई पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट पहुंच गई। देश में यह सब क्या हो रहा है? क्या प्रधानमंत्री ऐसे देश की न्याय व्यवस्था चलाएंगे? इन जांच एजेंसियों के पीछे छिपकर आप कितने मखौल रचेंगे। कल तक भाजपा सवाल उठाती थी कि बेल नहीं मिल रही है, लेकिन आज जब बेल मिली तो बिना आदेश आए ही उसे रुकवाने के लिए कोर्ट पहुंच गई। हमें उम्मीद है कि हाई कोर्ट इस बात का संज्ञान लेगा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में क्या-क्या बातें लिखी गई हैं और किस आधार पर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी गई है। केजरीवाल की जमानत का एक मजबूत आधार है। देश के मुख्य न्यायाधीश ने ट्रायल और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों के एक सम्मेलन में चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि ट्रायल कोर्ट में बेल के मामले में लोगों को निर्णय नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से आज हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पास बहुत सारे जमानत के मामले लंबित हैं। अगर ट्रायल कोर्ट जमानत देने के अधिकार का सही इस्तेमाल करे तो इतने सारे मामले लंबित नहीं रहेंगे।

संजय सिंह ने ट्रायल कोर्ट का आदेश पढ़ते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के 28वें पैरा में साफ-साफ लिखा है कि ईडी इस मामले में पक्षपात कर रही है। वो यह साफ-साफ बताने को तैयार नहीं है कि इस तथाकथित घोटाले का मनी ट्रेल साबित करने में उसे और कितना समय लगेगा। लेकिन वह चाहती है कि जब तक यह जांच चले तब तक अरविंद केजरीवाल जेल में रहें, भले ही उसके पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। साथ ही, वह गोवा के चुनाव में इस्तेमाल किए गए पैसों की बात कर रही है, 2 साल की जांच के बावजूद वह इसका मनी ट्रेल नहीं साबित कर पाई। कोर्ट ने अपने 27वें पैरा में लिखा है कि जब ईडी के पास जुलाई 2022 में ही सारे सबूत थे तो उसने अगस्त 2023 में अरविंद केजरीवाल को क्यों बुलाया? 2 साल की जांच के बाद ठीक चुनाव से पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया। सीबीआई के फाइल में अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं था। हम सब जानते हैं कि पीएमएलए के मामले में जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है। जब जज इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि आरोपी निर्दाेष है तो उसे जमानत मिल जाती है। कोर्ट ने ईडी के सारे गवाह, बयान और सबूत को देखने के बाद अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत का आदेश दिया। लेकिन भाजपा ने बिना ऑर्डर की कॉपी जारी हुए ही ईडी को हाई कोर्ट दौड़ा दिया। इस आदेश के बाद पूरी भाजपा को खामोश होकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से माफी मांगनी चाहिए। असली चोरी, बेईमानी और भ्रष्टाचार भाजपाईयों ने किया है। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भाजपा ने सरथ रेड्डी से 60 करोड़ की रिश्वत ली है, इन्हें पकड़कर जेल में डालना चाहिए।

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