आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने हरियाणा सरकार द्वारा दिल्ली को उसके हक का पानी न देने पर भाजपा व दिल्ली में उसके सातों सांसदों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों ने भाजपा के सातों सांसद जिताए हैं। इसके बाद भी हरियाणा की भाजपा सरकार दिल्ली के लोगों को सजा दे रही है। इतनी भीषण गर्मी में हरियाणा की भाजपा सरकार दिल्ली के हक का पानी रोककर हमसे दुश्मनी निकाल रही है। मैं भाजपा के सातों सांसदों से कहना चाहता हूं कि उनको दिल्ली को पानी देने के लिए हरियाणा और केंद्र सरकार से अपील करनी चाहिए और एलजी से मिलना चाहिए, लेकिन वो लापता हैं। साथ ही, हरियाणा सरकार से कहना है कि आप हमसे दुश्मनी निकालिए, लेकिन दिल्ली के लोगों को परेशान मत कीजिए।
पार्टी मुख्यालय में एक प्रेसवार्ता के दौरान मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते हुए सासंद संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली के लोगों को घर-घर पानी देने के लिए केजरीवाल सरकार लगातर प्रयास कर रही है, लेकिन बीजेपी की हरियाणा सरकार हमसे दुश्मनी निकालने पर तुली है। हमारा भाजपा की हरियाणा सरकार से कहना है कि आप हमसे दुश्मनी निकालिए, कोई बात नहीं है, लेकिन दिल्ली के लोगों को क्यों सजा दे रहे हैं? दिल्ली के लोगों ने भाजपा के 7 सांसद जिताए हैं, अब वो सातों सांसद कहां हैं? पानी पिलाने से ज्यादा पुण्य का काम कुछ और नहीं होता है। मैं दिल्ली के सातों सांसदों से अपील करता हूं कि वो दिल्ली को पर्याप्त पानी देने के लिए हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकार से अपील करें और अपने एलजी से भी मुलाकात करें। राजनीति अपनी जगह है, लेकिन पानी के मामले पर ऐसे भेदभाव नहीं करनी चाहिए। दिल्ली में पानी के संकट की इस स्थिति में भाजपा पहले दिल्ली सरकार और दिल्लीवालों का साथ दे, इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते रहेंगे।
आरएसएस और भाजपा ने एक-दूसरे को त्यागने का फैसला कर लिया है- संजय सिंह
सांसद संजय सिंह ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान, ऑर्गेनाइजर पत्रिका का लेख और अब इंद्रेश कुमार का बयान, इन तीनों बातों से साबित होता है कि अब आरएसएस और बीजेपी के बीच मां- बेटे का झगड़ा शुरु हो गया है। अब बेटे ने अपनी मां का त्याग करने और मां ने अपने बेटे को सबक सिखाने का अभियान शुरु कर दिया है। इसकी शुरुआत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान से हुई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी को आरएसएस की जरूरत थी, लेकिन मोदी जी की बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है। इसके बाद लोकसभा चुनाव के परिणाम में बीजेपी 240 सीट पर लटक गई और बहुमत की सरकार नहीं बना पाई। उसे बैसाखी की सरकार चलानी पड़ी। तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया कि मणिपुर में एक साल से शांति की राह देख रहा है। वहां हिंसा जारी है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। संघ का स्वयं सेवक अहंकारी नहीं होता है। इसके बाद आरएसएस प्रचारक इंद्रेश कुमार ने बयान दिया कि अहंकार के कारण जनता ने सबक सिखाया। इन तीनों बातों से साबित होता है कि विपक्ष के मुद्दे 100 फीसद सही थे।
मणिपुर को लेकर विपक्ष ने पूरजोर आवाज उठाई, लेकिन मोहन भागवत चुप रहे- संजय सिंह
सांसद संजय सिंह ने कहा कि मैंने संसद में मणिपुर की आवाज उठाई तो मुझे सस्पेंड करके बाहर कर दिया गया। मैंने संसद के परिसर में कई रातें गुजारीं। मैंने प्रधानमंत्री से मणिपुर में शांति बहाली के लिए अपील की थी। सारे विपक्ष ने एक साथ आवाज उठाई थी। अगर उस समय मोहन भागवत बोलते तो सरकार या तो कार्रवाई करने के लिए बाध्य होती या आज उसकी 240 से भी कम सीटें आतीं। पिछले 10 साल में बीजेपी में अहंकार के ढेरों लक्षण दिखे। कभी कांग्रेस की विधवा, जर्सी गाय, कभी केजरीवाल को बदनसीब, आतंकवादी, खालिस्तानी या अर्बन नक्सल, तो कभी 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। राजनीतिक लड़ाई के अलावा इन्होंने भाषा की सारी मर्यादा पार कर ली। प्रधानमंत्री ने मटन, मुगल, मदरसा, मुजरा जेसे शब्दों का इस्तेमाल किया।
‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ गाने पर मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार ने आपत्ति क्यों नहीं जताई?- संजय सिंह
सांसद संजय सिंह ने कहा कि इन्होंने विपक्ष के सारे नेताओं को पकड़कर जेल में डाल दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री को झूठे केस में जेल के अंदर डाल दिया गया। मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार को तब अहंकार क्यों नहीं दिखा जब बीजेपी ने जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे गाना बनाया था। इन्होंने अहंकार की सारी सीमाएं तोड़ दीं। मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार ने इस गाने पर आपत्ति क्यों नहीं दिखाई। बीजेपी और आरएसएस के लोगों को वो पोस्टर क्यों नहीं दिखा जिसमें बड़े से मोदी जी छोटे से भगवान का हाथ पकड़कर उन्हें ले जा रहे हैं। आपको तब ये अपमान और अहंकार क्यों नहीं दिखा? संबित पात्रा ने कहा कि भगवान जगन्नाथ मोदी जी के भक्त हैं। जेपी नड्डा ने मोदी जी को देवताओं का देवता बताया। उन्हें तब अहंकार क्यों नहीं दिखा जब मोदी जी ने खुद कहा कि मेरा बायोलॉजिकल जन्म नहीं हुआ है बल्कि मैंने अवतार लिया है। आपने अपने आप को भगवान से ऊपर मान लिया तो इससे बड़ा अहंकार क्या हो सकता है।
आरएसएस को अपने स्वयं सेवकों से नरेंद्र मोदी का विरोध करने की अपील भी करनी चाहिए- संजय सिंह
सांसद संजय सिंह ने कहा कि भगवान श्रीराम ने सबक सिखा दिया और उनका साफ संदेश है कि हमने रावण के अहंकार को भी तोड़ था, किसी इंसान के अहंकार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राम वन पथ गमन मार्ग के जिन रास्तों से भगवान राम होकर गुजरे, वहां ये अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयाग राज, चित्रकूट, रामपुर सीतापुर और श्रावस्ती में हार गए। भोले नाथ की कृपा से यह काशी में जीत गए वरना वहां भी हारते। 1952 से बनारस में पहली बार कांग्रेस को 4 लाख 65 हजार वोट मिले हैं। इसलिए मोहन भागवत, इंद्रेश कुमार और ऑर्गेनाइजर पत्रिका में मोदी जी के बारे में छपा बयान 100 फीसद सही है। अब उन्हें केवल बयान तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि बीजेपी का समर्थन करने वाले और इस अहंकार को बर्दाश्त करने वाले स्वयं सेवकों से अपील करनी चाहिए कि वो सामने आकर नरेंद्र मोदी के विरोध में बोलें।
नीट परीक्षा घोटाला है और इसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है, इसकी जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए- संजय सिंह
नीट परीक्षा में हुई गड़बड़ी पर सांसद संजय सिंह ने कहा कि आज तक किसी परीक्षा में ऐसा देखने को नहीं मिला जहां एक साथ 67 बच्चे पूरे 720 अंक लेकर आए हों। इससे साफ हैं कि एक जगह पर सारे उत्तर तैयार किए गए और उसी के हिसाब से परीक्षाएं हुईं। सबको बराबर अंक मिल गए और सब टॉप कर गए। एक ही सेंटर से 6 बच्चों ने टॉप किया। किसी को 719, 718 तो किसी को 717 अंक मिले हैं। नीट परीक्षा के अंकों के केलकुलेशन के हिसाब से ऐसे नंबर मिलना संभव ही नहीं है। इसका मतलब साफ है कि घपला किया गया है। कितनी मेहनत से अपना पेट काटकर मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, उनकी कोचिंग करवाते हैं। लेकिन जब वो एग्जाम देते हैं तो पेपर लीक हो जाता है। पेपर लीक की वजह से करोड़ों बच्चों का जीवन बर्बाद हो गया। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में 60 लाख नौजवानों ने एग्जाम दिया। लेकिन पेपर लीक की वजह के परीक्षा रद्द हो गई। यह नीट एग्जाम घोटाला है। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है। शिक्षा विभाग और एनटीए केंद्र सरकार के अधीन आते हैं। खासतौर से भाजपा शासित प्रांतों में यह घोटोला हुआ है। यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। इसकी जांच करके जिम्मेदार लोगों के प्रति कार्रवाई होनी चाहिए।