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दिल्ली सरकार ने 3 सालों में ही घोषणा पत्र के लगभग 90 प्रतिशत से  भी अधिक काम करके, अपने प्रो-पीपल गवर्नेंस का लोहा मनवाया है। थोड़ा-बहुत कार्य जो बाक़ी है, वो अगले 2 सालों के भीतर हो निश्चित रूप से हो जाएगा। तमाम मुश्किलों और अड़चनों के बावजूद दिल्ली की सरकार काफी कुछ डिलीवर कर पाई है। ‘आप’ की सरकार ने गवर्नेंस के नाम पर यह भली भांति समझा और सीखा कि सरकारों में नीयत की कमी न हो और ईमानदारी बरती जाए, तो जनहित का कोई भी काम ऐसा नहीं, जिसे सरकार नहीं कर पाए। भाजपा के तमाम प्रयास सिर्फ ‘आप’ सरकार के गवर्नेंस की लकीर को मिटाने में लगे, जबकि दिल्ली सरकार ने समय की चट्टान पर अमिट रहने वाली गवर्नेंस की लकीर खींच कर सही मायनों खुद को आम आदमी की सरकार साबित किया है।

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sudhir

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