अगर यह सच साबित होता है कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों या उसके ठेकेदारों ने किसी भी तरह का गलत काम किया है तो हम इसके सख्त खिलाफ हैं। हम ईडी के इस सरासर झूठे आरोप की भी निंदा करते हैं कि ‘‘आप’’ या उसके नेताओं का इस मामले से कोई लेना-देना है। जिन ‘‘आप’’ नेताओं के घर पर मंगलवार को ईडी ने छापेमारी की, उनके पास से एक भी पैसा या सबूत बरामद नहीं हुआ है।
यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार हिटलर की विचारधारा में बहुत विश्वास करती है कि अगर आप एक झूठ को हजार बार दोहराते हैं, तो लोग उस पर विश्वास करना शुरू कर देंगे।
पिछले 10 सालों में, मोदी सरकार और उनकी ईडी-सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसियों ने ‘‘आप’’ नेताओं के खिलाफ 230 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। फिर भी कोर्ट में एक भी मामला साबित नहीं हो सका है। इससे पता चलता है कि उनका एकमात्र उद्देश्य हर दिन मीडिया में सनसनी पैदा करके सीएम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बदनाम करना है।
बिना किसी सबूत के एक बार फिर ‘‘आप’’ का नाम लेकर ईडी ने साबित कर दिया है कि यह भाजपा के मुखपत्र के अलावा और कुछ नहीं है। हम ‘‘आप’’ को बदनाम करने के लिए ईडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।
यदि ईडी वास्तव में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटना चाहती थी, तो ऐसा क्यों है कि सीएजी द्वारा उजागर किए गए मोदी सरकार के घोटालों की कोई जांच नहीं की जा रही है, आयुष्मान भारत घोटाला या भारतमाला परियोजना घोटाला की जांच नहीं की जा रही है, जिसमें एक किमी सड़क 18 करोड़ रुपए के बजाय 250 करोड़ में बनाई गई थी।
ऐसा क्यों है कि ईडी ने छगन भुजबल, नारायण राणे, अजीत पवार और सुवेंदु अधिकारी जैसे भ्रष्ट लोगों की जांच सिर्फ इसलिए बंद कर दी है, क्योंकि वो सभी बीजेपी में शामिल हो गए हैं?