आम आदमी पार्टी ने तथाकथित आबकारी घोटाले मामले में चल रही ईडी की जांच पर बड़ा खुलासा किया है। मंगलवार को ‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि ईडी ने सबूत मिटाने के लिए सीसीटीवी फुटेज से ऑडियो को डिलीट कर दिया है। लिहाजा, यह प्रश्न उठ रहा है कि बिना ऑडियो के कैसे पता चलेगा कि ईडी ने जिन गवाहों से बयान लिए, वो सही है या गलत है या फिर उनकी गवाही से मेल खाते हैं या नहीं। सच तो यह है कि ईडी की पूरी जांच ही फर्जी है। ईडी जांच नहीं कर रही है, बल्कि उसकी जांच में ही घोटाला है। उन्होंने 2020 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि कोई भी जांच सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में एजेंसी गवाहों से पूछताछ करेगी और वीडियो के साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड करना होगा। इसके बावजूद ईडी ने ऑडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी। आखिर किसे बचाया जा रहा है। इसलिए ईडी से हमारी मांग है कि पिछले डेढ़ साल में गवाहों से हुई पूछताछ की ऑडियो देश और कोर्ट के सामने रखे।
पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेन्स में आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि जबसे सोमवार शाम ट्विटर में बताया कि मंगलवार सुबह ईडी को एक्सपोज करने को लेकर एक बहुत बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को डराने और चुप कराने के लिए मंगलवार सुबह 7 बजे से ही पार्टी से जुड़े लोगों के घर में ईडी की रेड शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता और उनके पीए के घर पर रेड हो रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए के घर में रेड हो रही है और सुनने में आ रहा है कि आज दिन भर आम आदमी पार्टी के नेताओं के घर में ईडी रेड करने वाली है। बीजेपी शासित केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी आम आदमी पार्टी को डराने, धमकाने और दबाने की कोशिश कर रही है। आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और उनकी एजेंसियों ईडी और सीबीआई को यह बताना चाहती है कि वह किसी धमकियों से डरने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से आम आदमी पार्टी के नेताओं को डराया और धमकाया जा रहा है। इस तथाकथित शराब घोटाले के नाम पर कभी किसी नेता के घर पर छापा पड़ता है, कभी किसी नेता को समन आता है तो कभी किसी को गिरफ्तार किया जाता है। लेकिन इस 2 साल की जांच में ईडी को अभी तक कोई भी सबूत नहीं मिला है। किसी भी क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन में 3 चीज महत्वपूर्ण होती है। सबसे पहले रिकवरी आफ मनी, जिसकी लॉन्ड्रिंग हुई है। ईडी प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट की तहत कार्रवाई करता है। लेकिन 2 साल की जांच और रेड के बाद भी ईडी एक भी रुपये की रिकवरी नहीं कर पाई है। किसी केस में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है सबूत। लेकिन 2 साल की जांच के बाद भी ईडी को एक भी सबूत नहीं मिला है। वहीं, किसी भी केस में तीसरी महत्वपूर्ण चीज होती है स्टेटमेंट यानी की गवाही। ईडी का सारा कैस स्टेटमेंट पर था और उसने कई लोगों को सरकारी गवाह बनाकर स्टेटमेंट दिलवाए थे।
आतिशी ने कहा कि आज जो खुलासा करने जा रहे हैं, उससे पता चल जाएगा कि ये सारी स्टेटमेंट फर्जी हैं। ईडी ने सारे स्टेटमेंट में फर्जीवाड़ा किया हुआ है। ईडी के स्टेटमेंट लेने के बाद कई गवाह सामने आए और उन्होंने कहा कि उनसे स्टेटमेंट दबाव पूर्वक लिया गया है। इनमें से एक गवाह ने तो यहां तक कहा कि ईडी वालों ने स्टेटमेंट लेने के लिए उनके कान पर इतने जोर से थप्पड़ मारा की कनपटी फट गई, इसलिए उसने दबाव में स्टेटमेंट दिया। एक गवाह ने कहा कि ईडी ने उनसे कहा कि अगर आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ बयान नहीं दिया तो हम देखेंगे कि तुम्हारी बेटी कॉलेज कैसे जाती है। एक गवाह को डराया और कहा गया कि अगर तुमने आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ बयान नहीं दिया तो तु्म्हारी पत्नी को गिरफ्तार कर लेंगे। ऐसे में बार-बार डरा- धमका कर अलग-अलग लोगों से स्टेटमेंट ली गई। अब कैसे पता चलेगा कि जो स्टेटमेंट ईडी ने कोर्ट में पेश किया है, वह सही है या । गलत।
ष्आपष् की वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस देश में एजेंसी और पुलिस के डराने और धमकाने को रोकने के लिए साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आर्डर दिया था। परमवीर सिंह सैनी वर्सेज बलजीत सिंह एंड अदर्स के आर्डर के तहत किसी भी इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी को अपनी पूछताछ सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में करनी होती है। इस जजमेंट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि यह आदेश ईडी पर भी लागू होता है। इस आर्डर में साफ तौर पर यह भी लिखा है कि सीसीटीवी की फुटेज केवल वीडियो नहीं हो सकती है, बल्कि ऑडियो भी होनी चाहिए, क्योंकि अगर ऑडियो और वीडियो फुटेज नहीं होगी तो यह सबूत नहीं बचेगा कि क्या किसी को डराया और धमकाया गया है। जो गवाह ने बोला और कागज पर लिखा है, क्या वह एक ही चीज है या अलग-अलग है। सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में जब एक आरोपी ने ईडी की सीसीटीवी फुटेज मांगी तो इसी आदेश का वाला देते हुए जस्टिस एमके नागपाल ने कहा कि हर गवाह और आरोपी का अधिकार है कि उसे ऑडियो और वीडियो के साथ सीसीटीवी फुटेज मिले। जब एक आरोपी, जिसका ईडी ने एक सरकारी गवाह से आमना-सामना करवाया और स्टेटमेंट ली गई तो उसने कुछ दिन पहले कोर्ट में एप्लीकेशन डाली और कहा कि उसे सीसीटीवी फुटेज चाहिए। आरोपी और सरकारी गवाह के आामने-सामने की इस पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी की निगरानी में हुई, लेकिन जब वह स्टेटमेंट कोर्ट में जमा कराई गई तो आरोपी ने देखा कि जो बात कमरे के अंदर हुई है और जो बात स्टेटमेंट में लिखी हुई है, वह दोनों अलग-अलग है। आरोपी के मांगने पर जब ईडी ने उस सीसीटीवी फुटेज को जमा कराया तो उसका ऑडियो डिलीट कर दिया, केवल वीडियो फुटेज दी गई। ऑडियो न होने के चलते वीडियो फुटेज में बातचीत के सारे सबूत मिट गए थे। न केवल उसे केस में, बल्कि आम आदमी पार्टी के पास विश्वसनीय सूत्रों से खबर है कि जब से इस आबकारी नीति के इन्वेस्टिगेशन का मैटर शुरू हुआ है। पिछले डेढ़ साल के सारे इंटेरोगेशन सारे सवाल-जवाब जो ईडी में हुए थे, सभी के ऑडियो फुटेज को डिलीट कर दिए गए है।
आतिशी ने कहा कि इससे पता चलता है कि एक तो पैसों की रिकवरी नहीं हुई। दूसरा सबूत नहीं मिला और जो ईडी का कोर्ट में एकमात्र आधार स्टेटमेंट था, वह भी फर्जी निकला। अगर स्टेटमेंट से फर्जी नहीं होती तो ईडी को ऑडियो डिलीट करने की जरूरत नहीं पड़ती। आज देश के सामने यह बात आ गई है कि यहां पर घोटाले की जांच नहीं हो रही है। ईडी के इस जांच में ही घोटाला है। ईडी से पूछना चाहते हैं कि वह ऑडियो रिकॉर्डिंग डिलीट करके किसको बचाना चाहती है। ईडी ऐसा क्या छिपाना चाहती है, जिसकी वजह से उन्होंने पिछले डेढ़ साल की सारी ऑडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दी है। आप पूरे देश और कोर्ट के सामने पूरी डिटेल रखिए कि पिछले डेढ़ साल में आपने जितनी जांच और सवाल-जवाब किए हैं, उनमें से कितनों के ऑडियो रिकॉर्डिंग आपके पास मौजूद हैं। ईडी अगर ऑडियो रिकॉर्डिंग देश और कोर्ट के सामने नहीं रख पाती है तो इस सारे इन्वेस्टिगेशन के दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसको लेकर आम आदमी पार्टी ने राऊज एवेन्यू के ईडी और सीबीआई कोर्ट में एप्लीकेशन फाइल कर सारे वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग की डिमांड की है।