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देश की मोदी सरकार ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के निलंबन का एक तरफ़ा फै़सला किया जिसमें पहली नज़र में चुनाव आयोग की भूमिका भी संदेह के घेरे में नज़र आ रही है। आप विधायकों के निलंबन का फ़ैसला पूरी तरह से एक-तरफ़ा रहा क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के विधायकों का पक्ष ही नहीं सुना गया और जो न्याय के सिद्धांत के ख़िलाफ़ भी है।

इस फ़ैसले की ना केवल दिल्ली की जनता बल्कि पूरे देश की जनता निंदा कर रही है, मोदी सरकार के इस तुगलकी फरमान की आलोचना देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी कर रही हैं।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने विधायकों के निलंबन पर आम आदमी पार्टी के पक्ष में ट्वीट करते हुए इसे मोदी सरकार का तुगलकी फरमान बताया।

बीजेपी सांसद और मशहूर फ़िल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी आम आदमी पार्टी के पक्ष में खड़े होते हुए मोदी सरकार की तानाशाही कार्रवाई की आलोचना की।

शिवसेना के वरिष्ठ नेता एंव राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी बयान मीडिया में बयान देते हुए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के निलंबन को लेकर चुनाव आयोग की रिपोर्ट और मोदी सरकार के तानाशाही फ़ैसले पर सवाल उठाया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, 20 विधायकों के मसले पर ममता बनर्जी आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ी नज़र आईं।

CPI-M की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने भी 20 विधायकों के निलंबन मामले में आम आदमी पार्टी का समर्थन किया और कहा कि चुनाव आयोग का यह फ़ैसला पूरी तरह से ग़ैरलोकतांत्रिक है, ऐसे फ़ैसलों से संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा कमज़ोर होता है.

 

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sudhir

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