केजरीवाल सरकार दिल्ली में यमुना को 2025 तक साफ करने को लेकर युद्धस्तर पर काम कर रही है। किसी भी बड़ी नदी को साफ करने के लिए उसके नालों और सहायक नदियों को साफ करना जरूरी है। ऐसे में यमुना में गिरने वाले नालों में पानी की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार की ओर से कई पहल की गई हैं। इसी कड़ी में दिल्ली के बाढ़ एवं सिचाई मंत्री सौरभ भारद्वाज आज नजफगढ़ नाले की सफाई का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गाद निकालने के कार्य और पंटूल पुल पर इंस्टॉल हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर का मुआयना किया। साथ ही अधिकारियों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि केवल उपचारित सीवेज को यमुना में छोड़ा जाए। बाढ़ एवं सिचाई मंत्री ने भूजल के माध्यम से जल संरक्षण के मुद्दे की समस्या के समाधान पर भी जोर दिया।
केजरीवाल सरकार बड़े स्तर जलकुंभी नामक जंगली पौधों को हटाने में जुटी
निरीक्षण के दौरान बाढ़ एवं सिचाई मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पाया कि बड़े पैमाने पर नजफगढ़ नाले की डिसिल्टिंग की जा रही है, इस परियोजना की लागत 11.2 करोड़ रूपये है। वहीं, नजफगढ़ ड्रेन में हंप हटाने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा 20.8 करोड़ रूपये और ख्याला ब्रिज से बसईदारापुर ब्रिज तक 13.9 करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट के तहत गाद निकाली जा रही है। कई जगहों पर कई टन गाद नाले से निकालकर उसे सुखाया जा रहा है। इसके अलावा पंटूल पुल पर इंस्टॉल हाइड्रोलिक एक्सकेवेटर से बहुत बड़े-बड़े जंगली पौधों को निकाला जा रहा है। बड़े स्तर पर वाटर हाइसेंट (जलकुंभी) नामक जंगली पौधों को हटाने का कार्य चल रहा है।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि वाटर हाइसेंट (जलकुंभी) पानी के लिए बहुत खतरनाक होते हैं। ये पौधे पानी से ऑक्सीजन की मात्रा को खीचकर खत्म कर देते हैं, जिसकी वजह से पानी सड़ जाता है। आमतौर पर अगर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी होती है तो वो खुद ही पानी को साफ करने की प्रक्रिया को शुरू कर देता है। इसलिए दिल्ली सरकार नजफगढ़ नाले और कई बड़े नालों से जलकुंभी को निकालने का काम कर रही है। बड़े पैमाने पर नाले से गाद निकाली जा रही है, ताकि नाले का बहाव तेज हो सके और नाले में मौजूद पानी अपने आप को स्वस्छ करने की प्रक्रिया में जुट जाए।
यमुना के दूषित होने का एक बड़ा कारण है नजफगढ़ नाला
उल्लेखनीय है कि कुछ दशक पहले नजफगढ़ का यह नाला साहिबी नदी कहलाता था। मगर आधुनिकरण के कारण हरियाणा के कई शहरों का सीवर और इंडस्ट्रियल वेस्ट बादशाहपुर और धर्मपुरा नाले के रूप में नजफगढ़ झील से आकर मिल गया। जिसके बाद यह साहिबी नदी एक नदी से नाले में तब्दील हो गई। कई दशकों तक राजधानी में जिस तरीके से बसावट हुई है, उससे दिल्ली में हजारों अनधिकृत कॉलोनियां बनीं। इन कॉलोनियों और इंडस्ट्रियल क्लस्टर का सीवर और इंडस्ट्रियल वेस्ट छोटे-छोटे नालों के जरिए नजफगढ़ के नाले में आकर गिरने लगा। ऐसे में यमुना नदी के दूषित होने के पीछे का एक बड़ा कारण नजफगढ़ नाले के जरिए नदी में आने वाला सीवर और इंडस्ट्रियल वेस्ट है। ऐसे में इस दिशा में कदम उठाते हुए केजरीवाल सरकार नजफगढ़ नाले में गिरने वाले सभी बड़े-छोटे नालों को ट्रैप कर रही है।
नजफगढ़ ड्रेन को स्वच्छ जल चैनल में परिवर्तित कर यमुना में पहुंचेगा साफ पानी
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा नजफगढ़ नाले समेत सभी प्रमुख नालों को फिर से स्वच्छ जल चैनलों में परिवर्तित किया जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड अपने विभिन्न एसटीपी व डीएसटीपी के माध्यम से नजफगढ़ नाले में गिरने वाले दर्जनों नालों के पानी को ट्रीट कर रही है। नजफगढ़ ड्रेन की सफाई से पानी का बहाव बेहतर होगा। साथ ही मच्छरों का प्रकोप कम होगा, जिससे जनता को मच्छरजनित बिमारियों से राहत मिलेगी। हम्प को हटाने के बाद पहले की तुलना में ज्यादा जल्द पानी का डिस्चार्ज यमुना में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते कुछ वर्षों में सरकार के हर बजट में खासकर यमुना नदी की सफाई के लिए हजारों करोड़ रुपए का योगदान किया है। इसी का नतीजा है कि आज दिल्ली के अंदर बड़े नालों में गिरने वाले छोटे नालों को ट्रैप करके सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स में ट्रीट किया जा रहा है। ताकि सीवेज की गंदगी सीधे यमुना नदी में न पहुंचे और केवल साफ पानी ही यमुना नदी तक पहुंचाया जाए।
यमुना को साफ करना केजरीवाल सरकार का मुख्य उद्देश्य
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है। यमुना सफाई के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बेहतर समन्वय और एक एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में यमुना क्लीनिंग सैल का गठन किया गया था। यमुना क्लीनिंग सेल नए एसटीपी, डीएसटीपी का निर्माण, मौजूदा एसटीपी का 10/10 तक उन्नयन और क्षमता वृद्धि, अनधिकृत कालोनियों में सीवरेज नेटवर्क बिछाना, सेप्टेज प्रबंधन; ट्रंक/परिधीय सीवर लाइनों की गाद निकालना, पहले से अधिसूचित क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराना, आइएसपी के तहत नालों की ट्रैपिंग, नालियों का इन-सीटू ट्रीटमेंट आदि कार्य कर रही हैं।