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AAP नेता और राजौरी गार्डन के पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा 186 सिख विरोधी दंगों के मामलों को फिर से खोलने का आदेश देने पर निम्नलिखित बयान जारी किया है::

1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों को फिर से खोलने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का आम आदमी पार्टी स्वागत करती हैं। हम सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि इन मामलों की जांच सीबीआई या कुछ स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए क्योंकि हमें दिल्ली पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है, उसका कारण यह है कि दिल्ली पुलिस सीधे उन हत्याओं में शामिल रही थी लिहाज़ा उनकी जांच संदेह के घेरे में रहेगी। हमारी अपील है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही इन मामलों की जांच और सुनवाई होनी चाहिए जैसा कि गुजरात दंगा मामलों में किया गया था और परिणामस्वरूप जिसमें कुछ लोगों को सज़ा भी हुई थी।

अगर 1984 के सिख कत्लेआम के मामले में कांग्रेस को अपनी भूमिका के संदर्भ में थोड़ी-बहुत भी शर्म आ रही है तो उन्हें सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को तुरंत पार्टी से बाहर निकालना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से पता चलता है कि पिछली कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों ने पीड़ितों की तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया था और सिर्फ़ सिख समाज को और दंगे के पीड़ितों को नज़रअंदाज़ ही किया था। अब हमें सारी उम्मीदें सर्वोच्च न्यायालय से हैं और हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को निर्देश देगा कि इन मामलों की समयबद्ध जांच और सुनवाई के लिए विशेष अदालत बनाई जाए ताकि पिछले 33 साल से इंतज़ार कर रहे पीड़ितों को न्याय मिल पाए।

आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा ने 30 जून, 2015 को ही 1984 के सिख कत्लेआम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था। अब ज़रुरी है कि, संसद भी सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति के खिलाफ एक मजबूत संदेश देते हुए इसी तरह का प्रस्ताव पास करे। एक “सांप्रदायिक और जातीय हिंसा बिल” भी संसद में इस वक्त लंबित है, जिसमें सांप्रदायिक या जातिय हिंसा के दौरान राजनेताओं, पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही तय करने के प्रावधान शामिल हैं, वो बिल तत्काल पास होना चाहिए। यदि सरकारी लोग हिंसा को रोकने में विफल रहते हैं, तो उन पर मुकदमा चलना चाहिए और उनपर सख्त सज़ा का प्रावधान भी किया जाना चाहिए।

 

Aam Aadmi Party welcomes the decision of Supreme Court to re-open the cases of 1984 Sikh Genocide which is still a source of great anguish in Sikh community. We appeal to the Supreme Court to ask CBI or some independent investigation agency to investigate these cases as we have no trust in Delhi Police which was directly involved in killings and made the biggest cover up in the history of India. These cases should be monitored by Supreme Court as it was done in Gujarat riot cases and resulted in a few convictions. If congress is ashamed of its role in 1984 Sikh Genocide than they should throw Sajjan Kumar and Jagdeesh Tytler out of Party immediately. Supreme Court ruling shows how consecutive Govt.’s Congress led or BJP turned a blind eye towards victims. Now all hopes are on Supreme Court. We hope, Supreme Court will direct Govt. Of India to form special courts for time bound investigation and trial of these cases. Victims have been waiting for justice for last 33 years. Delhi Assembly passed a resolution against 1984 Sikh Genocide on June 30th, 2015. Now, it’s time for Parliament to do the same to send a strong message against politics of hatred and communal violence. A “anti-communal and ethnic violence bill” is pending in Parliament which should be passed immediately with provisions of fixing accountability of politicians, police and administration during communal or ethnic violence. They should be prosecuted if they fail to stop the violence. Provisions of exemplary punishment should be made against leaders who instigate mob violence.

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sudhir

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