मोदी सरकार के तानाशाही अध्यादेश के खिलाफ गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं सीएम अरविंद केजरीवाल की मुहिम रंग ला रही है। मंगलवार को सीएम अरविंद केजरीवाल की मुलाकात के बाद सीपीआई(एम) जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने भी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की। सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीताराम येचुरी का धन्यवाद करते हुए कहा कि दिल्ली में मोदी सरकार अपनी तानाशाही चला रही है और अध्यादेश लाकर दिल्ली की जनता के हक छीन रही है। राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है। अगर पूरा विपक्ष एक साथ आता है तो राज्यसभा में इस अध्यादेश को गिराया जा सकता है। वहीं, सीपीआई(एम) जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने गैर भाजपा दलों से अपील करते हुए कहा कि सभी केंद्र के इस अध्यादेश का विरोध करें और संविधान पर आक्रमण करने वाली मोदी सरकार से इसको बचाएं। इस दौरान ‘‘आप’’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और राघव चड्ढा तथा कैबिनेट मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं।
मोदी सरकार के अध्यादेश के अनुसार दिल्ली के लोगों के पास कोई अधिकार नहीं है- अरविंद केजरीवाल
दिल्ली में सीपीआई(एम) जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी से मुलाकात बाद ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने संयुक्त प्रेस वार्ता कर कहा कि मोदी सरकार ने दिल्ली के लोगों के अधिकार छीनने वाला अध्यादेश जारी किया है। दिल्ली के लोगों के अधिकारों की आठ साल की लड़ाई के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भारत एक जनतंत्र है और यहां जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को जनता के लिए काम करने के लिए पूरे अधिकार और शक्तियां होनी चाहिए। मोदी सरकार ने 2015 में एक अधिसूचना जारी कर हमारी सारी शक्तियां छीन ली थी। जबकि पहले ये शक्तियां दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पास होती थी। लेकिन केंद्र सरकार ने सारी शक्तियां छीन कर दिल्ली सरकार को पंगु बना दिया गया। फिर भी हमने दिल्ली में बहुत सारे काम किए। इतने सारे काम हमने कैसे किए, ये बात सिर्फ हम ही जानते हैं। वहीं, आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्ली के लोगों को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला, जिसे 19 मई को आठ दिन के अंदर ही मोदी सरकार ने खत्म करते हुए अध्यादेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए मोदी सरकार ने कहा कि दिल्ली के लोगों के पास कोई अधिकार नहीं है।
दिल्ली के लोगों को न्याय दिलाने के लिए सभी गैर भाजपा दल दें साथ- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के जरिए न सिर्फ दिल्ली के लोगों के अधिकार छीने गए हैं बल्कि दिल्ली की जनता को तमाचा मारा गया है और उनका अपमान किया गया है। मोदी सरकार का जनता को संदेश है कि तुम चाहे जो मर्जी सरकार चुन लो, हम उन्हें काम नहीं करने देंगे। यह अध्यादेश संसद के अंदर मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। जब यह संसद में पहुंचेगा तो राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 238 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के केवल 93 सदस्य ही हैं। इसलिए अगर सभी गैर भाजपा राजनीतिक दल एक साथ आ जाएं तो इस अध्यादेश को राज्यसभा में गिराया जा सकता है। इसलिए मैं एक-एक कर सभी राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष से मिल रहा हूं और उनका समर्थन मांग रहा हूं, ताकि जब भी संसद में यह बिल आए तो वे भी दिल्ली के लोगों के साथ खड़े हों और उन्हें न्याय दिलाएं। क्योंकि दिल्ली के लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है।
ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, केसीआर ने भी हमारा समर्थन किया है- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस संबंध में मैं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिला और उन्होंने हमारा समर्थन किया। इसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और तेलांगना के सीएम के. चंद्रशेखर राव से मिला और सबने हमारा समर्थन किया है। वहीं, आज सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी और उनकी पार्टी से राज्यसभा में समर्थन मांगने के लिए मिलने आया हूं। सीपीआई(एम) का समर्थन देने के लिए मैं सीताराम येचुरी का शुक्रिया यदा करता हूं कि उन्होंने दिल्ली के लोगों के साथ खड़े होने का निर्णय लिया है और वे हमारा समर्थन करने के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस केजरीवाल का समर्थन न करे, लेकिन केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता के साथ खड़ी हो- अरविंद केजरीवाल
अध्यादेश पर कांग्रेस के समर्थन को लेकर सवाल का जवाब देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मीडिया से जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस केजरीवाल का समर्थन नहीं करेगी। लेकिन यहां केजरीवाल महत्वपूर्ण नहीं है। यह मुद्दा देश के जनतंत्र, संविधान और दिल्ली के लोगों का जो अपमान हुआ है उससे जुड़ा है। मैं कांग्रेस से यही कहना चाहता हूं कि आप केजरीवाल को छोड़ दीजिए, मेरा समर्थन मत कीजिए, लेकिन मोदी सरकार ने दिल्ली के लोगों का अपमान किया है और उनकी शक्ति छीन ली है। इसलिए आप दिल्ली की जनता के साथ खड़े हों। आज मोदी सरकार ने दिल्ली के साथ ये किया है, कल को अगर ये राजस्थान में इस तरह का अध्यादेश लाते हैं तो हम राजस्थान के साथ खड़े होंगे। तब हम ये नहीं कहेंगे कि यह बीजेपी-कांग्रेस का मामला है। यह देश का मामला है तो हमें देश के साथ खड़े रहना है। कांग्रेस को ये तय करना है कि वो मोदी के साथ खड़ी है या जनता के साथ। यहां मेरा समर्थन करने की बात नहीं है, क्योंकि यहां जनता के हक को छीन जा रहा है और संविधान को रौंदा जा रहा है। ऐसे में पूरे देश के 140 करोड़ लोगों और सभी पार्टियों को जमकर इसका विरोध करना चाहिए।
केंद्र के अध्यादेश को हम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे- अरविंद केजरीवाल
एक अन्य सवाल के जवाब में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस समय कोर्ट की छुट्टियां चल रही हैं और कोर्ट बंद है। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया और उन्होंने उसी दिन से अध्यादेश लाने की तैयारी शुरू कर दी थी। मगर जैसे ही 19 मई को शाम 5 बजे सुप्रीम कोर्ट छुट्टी पर गया, ये लोग रात 10 बजे अध्यादेश ले आए। इसका मतलब है कि इनके दिल में खोट है। इन्हें पता है कि कोर्ट में यह अध्यादेश नहीं टिकेगा। इस तरह इन्होंने एक महीना बर्बाद किया है। अब हम इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती तो देंगे ही। लेकिन जब ये राज्यसभा में आए तब सभी गैर भाजपा दलों को साथ मिलकर ये संदेश देना चाहिए कि हम चाहे किसी भी पार्टी से हों, देश सुप्रीम है। जब देश, जनतंत्र और संविधान की बात आएगी तो कोई पार्टी अलग नहीं है। हम सभी मिलकर इनका विरोध करेंगे।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली में मोदी सरकार अपनी तानाशाही चला रही है और दिल्ली की जनता के हक़ छीन रही है। आज सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता श्री सीताराम येचुरी जी एवं पार्टी के अन्य नेताओं से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की। सभी नेताओं का मानना है कि मोदी सरकार दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय कर रही है। सीपीआई(एम) ने दिल्ली के लोगों के समर्थन में एक रैली भी निकाली थी। संसद में भी सीपीआई(एम) दिल्ली के लोगों का साथ देगी। दिल्ली की जनता की तरफ़ से मैं येचुरी साहब एवं अन्य सभी नेताओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।’’
मोदी सरकार राज्य सरकारों के अधिकारों पर हमले कर केंद्र-राज्य के रिश्ते को खत्म कर रही- सीताराम येचुरी
वहीं, सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि 19 मई को मोदी सरकार ने अध्यादेश जारी किया और 20 मई को हमने इसका पूर्ण खंडन किया। हमने साफ कहा कि यह हमारे देश की संवैधानिक व्यवस्था और जनतंत्र के खिलाफ है। एक तरह से देखा जाए तो यह न्यायालय की अवमानना का भी मामला है, क्योंकि देश के सर्वाेच्च न्यायालय ने कोई आदेश जारी किया और आप उसे अध्यादेश के जरिए पलट रहे हैं। हमारे देश के संविधान के जो बुनियादी स्तंभ हैं, उनमें से एक “संघवाद” है। यानी केंद्र और राज्य की सरकार की शक्तियां अलग हैं। मोदी सरकार केंद्र और राज्य के बीच में जो रिश्ता है, उसे पूरी तरह से नष्ट कर रही है। अब राज्य की सरकारों के अधिकारों के ऊपर कई तरह के हमले हो रहे हैं। आज जिस तरह से यह अध्यादेश लाया गया, यह हमारे संविधान का उल्लंघन है। हम इसका खंडन और विरोध करते हैं। हम प्रतिबद्ध हैं कि इस अध्यादेश के ऊपर अब राज्यसभा या कहीं पर भी मतदान करने का मौका मिलेगा तो सीपीआई(एम) इसके विरोध में वोट डालेगी।
सभी गैर भाजपा दल साथ आएं और हम सब मिलकर देश के संविधान की रक्षा करें- सीताराम येचुरी
सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने सभी गैर भाजपा दलों से अपील करते हुए कहा कि यहां राजनीतिक दलों का सवाल नहीं है, यह कोई सीपीआई(एम) या आम आदमी पार्टी और अन्य पार्टी का सवाल नहीं है। यहां देश की संवैधानिक व्यवस्था के ऊपर हो रहे हमले का सवाल है। आज अगर हम उसका डटकर मुकाबला नहीं करेंगे तो हमारे देश के अंदर एक तानाशाही व्यवस्था ही नहीं, बल्कि उससे भी बुरा फांसीवादी रुझान के साथ जो पूरे देश को चलाने की कोशिश हो रही है, उसका खतरा भी सामने आएगा। इसलिए हमारी सभी राजनीतिक दलों व खासकर उन पार्टियों से अपील है, जिन्होंने अभी तक इस अध्यादेश का खंडन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आज यह दिल्ली सरकार के साथ हो रहा है, लेकिन कल को ऐसा उन राज्यों में भी हो सकता है, जहां कांग्रेस और स्थानीय पार्टियों की सरकार है। मोदी सरकार इन सभी विपक्षी पार्टी की सरकार को अस्थिर करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसलिए इसे रोकना है। हमारी सभी विपक्षी पार्टी और खासकर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस से यह अपील है कि वे साथ आएं और हम सब मिलकर देश के संविधान की रक्षा करें। जो लोग भी संविधान के ऊपर हमला कर रहे हैं, उनके खिलाफ जुटकर मुकाबला करें। यही हमारा मुख्य मुद्दा है। सीपीआई(एम) की आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण सहमति है।