आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले के पर्दाफाश पर भाजपा की नरमी को लेकर सवाल खड़ा किया है। सोमवार को ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर इस मामले में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भूमिका की भी जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग की मिली भगत से तीन पैटर्न पर शराब घोटाले को अंजाम जा रहा था। ऐसे कैसे हो सकता है कि इतने बड़े सिंडिकेट को चलाने के लिए सीएम का आशीर्वाद नहीं रहा होगा। सुनने में आ रहा है कि घोटाले का पैसा उपर तक जाता था। भाजपा को बताना चाहिए वो कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में हुए दो हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले पर इतनी नरम क्यों है?
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में ईडी द्वारा दो हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले पर कहा कि रायपुर में कांग्रेस के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को सात बार ईडी ने समन किया। इसके बाद भी वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए। इनके यहां कई बार छापेमारी हुई और वो होटल से भाग कर गायब हो गए। अंत में ईडी ने इन्हें पकड़ लिया है और कोर्ट ने चार दिन के लिए ईडी की कस्टडी में भेज दिया है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में शराब का कारोबार प्राइवेट नहीं, बल्कि सरकारी रूप से चलता है। यहां 800 सरकारी दुकानें और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) है जो शराब को केंद्रीय रूप से प्राप्त करता है। इस सरकारी कॉर्पाेरेशन के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं। जिसमें कहा गया है कि वहां जो शराब का सिंडिकेट और भ्रष्टाचार चल रहा है, उसे मैं जनता के सामने लाना चाहता हूं। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए आबकारी विभाग में ऐसे अफसरों को लगाया गया, जिन्हें डराकर काम करवाना आसान हो। इस बात को स्पष्ट रूप से अधिकारियों के नामों के साथ मीडिया रिपोर्ट्स में भी लिखा गया है।
“आप” के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी का सवाल है कि क्या कोई मेयर का भाई किसी आबकारी आयुक्त (कमिश्नर) को बदलवा सकता है? क्योंकि एक पूर्ण राज्य में आबकारी कमिश्नर को बदलने की शक्ति तो सिर्फ मुख्यमंत्री के पास होती है। एक पूर्ण राज्य में कौन आबकारी कमिश्नर और पीडब्ल्यूडी सचिव बनेगा, बड़े पदों पर किसकी नियुक्ति होगी, यह मुख्यमंत्री ही तय करते हैं। छत्तीसगढ़ के मामले में एक ऐसे अफसर को आबकारी कमिश्नर बनाया गया जो आसानी से बात सुन सकें और फिर उनकी देख-रेख के अंदर एक ऐसा सिंडिकेट चलाया गया जिसके अंदर प्राइवेट शराब की भट्टी (डिस्टिलरी), एफएल-10 लाइसेंट होल्डर, राज्य स्तर व जिले स्तर के आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और बोतल व होलोग्राम बनाने वाले लोग शामिल थे। इन लोगों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया, जो इस घोटाले में शामिल था।
इस सिंडिकेट के जरिए गड़बड़ी करने के पैटर्न को बताते हुए “आप” नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शराब का जितना भी कारोबार होता है, वो इस चीज पर आधारित होता है कि जितनी ज्यादा शराब बिकेगी उसके ऊपर सरकार को उतना ही ज्यादा उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) मिलेगी। अगर 100 रुपए की शराब बिकेगी तो सरकार को उस पर 60-70 रुपए का उत्पाद शुल्क मिलेगा। आमतौर पर ऐसा भी होता है कि असल में शराब 30 रुपए की होती है और सरकार के 60-70 रुपए के उत्पाद शुल्क को मिलाकर वो बाजार में 100 रुपए की बिकती है। इस तरह सरकार को इससे अच्छी आमदनी होती है। मगर छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को अंजाम देने के लिए जो पैटर्न बनाया गया वो यह था कि यहां गैर-कानूनी तरीके से बिना उत्पाद शुल्क वाली शराब बनाई जा रही थी। उसे एक प्रक्रिया के द्वारा समानांतर रूप से सरकारी दुकानों पर पहुंचाया जा रहा था। इस शराब बिक्री की सरकारी रिकॉर्ड में एंट्री नहीं हो रही थी, यानी इसकी खरीद किसी दस्तावेज में नहीं दिखाई जा रही थी। तो शराब के भट्टों में नकली शराब की अलग खेप तैयार होने लगी, जिसकी बोतलें-होलोग्राम सब नकली थे और उनकी सरकारी रिकॉर्ड में कोई एंट्री नहीं होती थी। अवैध शराब की बोतलें उसी प्रक्रिया से सरकारी शराब की दुकानों में पहुंचती और बिकती थी जैसे एक वैध शराब की बोतल पहुंचती और बिकती थी। ईडी ने यह भी बताया कि 2019-21 तक सरकारी शराब की दुकानों में जो सामान बिका है उसमें से 30-40 फीसद अवैध शराब थी। इस अवैध शराब के ऊपर कोई उत्पाद शुल्क का भुगतान नहीं किया गया था। यानी अगर 100 रुपए का माल बिक रहा था तो उसमें से 70 रुपए ये लोग अपनी जेब में रख रहे थे, सरकार को कुछ नहीं दे रहे थे। यह इस शराब घोटाले का पहला पैटर्न है।
आम आदमी पार्टी के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जाहिर सी बात है जबतक किसी सिस्टम में ऊपर से नीचें तक मिलीभगत न हो, ये काम संभव नहीं हो सकता। इन्होंने शराब बनाने वाली कंपनी, इसे वितरित करने वाले लोग और 800 सरकारी दुकानों में बातचीत कर रखी थी कि ये सरकारी रिकॉर्ड में अवैध शराब बिक्री का जिक्र नहीं करेंगे और इसे कैश में बेचेंगे ताकी इसमें बाकी लोगों का हिस्सा बांट सकें। इसे छत्तीसगढ़ की मार्केटिंग कंपनी, राज्य और जिले स्तर पर आबकारी अफसरों सभी की मिलीभगत से पूरा किया गया है। इतने बड़े सिंडिकेट को चलाने के लिए बड़े राजनीतिक नेतृत्व के आशीर्वाद की जरूरत पड़ती है। आम आदमी पार्टी का यह मानना है कि यह पैटर्न सीधे राज्य के राजनीतिक नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री की तरफ इशारा करता है। वरना इस सिंडिकेट को चलाना संभव नहीं है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने इस घोटाले में चोरी का दूसरा पैर्टन बताते हुए कहा कि जितनी भी वैध शराब यानी उत्पाद शुल्क जमा होने वाली शराब किसी कंपनी से निकलेगी और सरकारी दुकानों पर पहुंचती थी। उसमें भी हर केस पर 70 से 150 रुपए तक दलाली ली जाती थी। यानी वैध रूप से शराब बिक्री पर भी दलाली ली गई है। यह इस घोटाले का दूसरा पैटर्न है।
इस चोरी का तीसरा पैटर्न बताते हुए “आप” नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सरकारी शराब की दुकानों में अपने सामान को बेचने के लिए शराब कंपनियों ने मार्केट शेयर के हिसाब से छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पाेरेशन लिमिटेड को दलाली दी है। जो कंपनी दलाली नहीं देती थी उसकी शराब मार्केट में नहीं बिकती थी। अक्सर सरकारी वाइन शॉप में यह परेशानी देखी जाती थी, जहां सिर्फ उन्हीं कंपनियों का सामान बेचा जाता है जो कैश में सरकारी कॉर्पाेरेशन को कमीशन देने के लिए तैयार होती है।
आम आदमी पार्टी के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तीन पैटर्न में शराब घोटाला चल रहा था। कांग्रेस के मेयर के भाई इसके सरगना है। आम आदमी पार्टी की मांग यह है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की जाए। छत्तीसगढ़ में यह बात भी सुनने में आ रही है कि इस घोटाले का पैसा हाई कमान को भी जाता था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इतने करीबी हैं तो इस मामले में राहुल गांधी जी से भी पूछताछ की जानी चाहिए। अगर उनकी नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला चल रहा था तो यह संभव नहीं है कि उन्हें इसकी जानकारी न हो। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल राहुल गांधी के बहुत ही चहेते बताये जाते हैं। इसलिए हमारी यह मांग है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राहुल गांधी की भी जांच होनी चाहिए।