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आम आदमी पार्टी ने आज बड़ा खुलासा किया है। एलजी विनय सक्सेना ने पिछली बार मनगढ़ंत तरीके से मुकेश गोयल का नाम प्रोटेम स्पीकर के पद से हटाया था‌। तब एलजी ने कहा था कि मुकेश गोयल के ऊपर मामला दर्ज है। जबकि असलियत यह है कि आज भी मुकेश गोयल के ऊपर कोई एफआईआर नहीं है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सोच समझकर इस बार भी सबसे वरिष्ठ सदस्य मुकेश गोयल का नाम भेजा है। ऐसे में एलजी वर्षों से चली आ रही परंपरा के साथ रहें। दिल्ली सरकार की सिफारिश उपराज्यपाल के ऊपर बाध्यता है। उनके पास दो ही विकल्प है पहला सिफारिश को मान लें और दूसरा राष्ट्रपति को भेज दें। एलजी के पास खुद से नाम बदलकर भेजने की शक्ति नहीं है। लेकिन एलजी लगातार कानून को तोड़ रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में आज महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एमसीडी के अंदर वर्षों से परंपरा रही है कि दिल्ली सरकार किसी नाम की सिफारिश करती है। दिल्ली सरकार उसकी सिफारिश करती है जो कि सबसे वरिष्ठ पार्षद हो। आज की तारीख में पांच बार के पार्षद मुकेश गोयल सबसे वरिष्ठ हैं। उनका नाम हमने पिछली बार भी भेजा था और इस बार भी भेजा है। दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सिफारिश उपराज्यपाल के ऊपर बाध्यता है। एलजी के पास दो ही विकल्प है कि एक वह सरकार की सिफारिश को मान लें और दूसरी वह उसे नहीं मानते हुए राष्ट्रपति को भेज दें। खुद से नाम बदलकर उसको भेज देना एलजी की शक्तियों में नहीं आता है। लेकिन एलजी लगातार कानून को तोड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस दिया। डीआरसी के मामले में कल ही एक उनको नोटिस मिला है। इसके अलावा 3 हफ्ते पहले एल्डरमैन गलत तरीके से नियुक्त किए। उनको नोटिस सुप्रीम कोर्ट से नोटिस मिला है। इससे पहले एल्डरमैन को मताधिकार का अधिकार देने की वजह से नोटिस मिला है और फिर मताधिकार के नोटिस को हटाया गया। फिनलैंड में अध्यापकों को ट्रेनिंग से रोकने की वजह से दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई। इसके बाद एलजी को नोटिस मिला हुआ है। यह कोई अच्छी बात नहीं है। हर दूसरे मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत को दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस देना पड़ रहा है।

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछली बार एलजी ने एक प्रेस रिलीज दी थी। उसके लीपापोती करते हुए कहा गया कि कमिश्नर ने 6 नाम भेजें और सरकार ने एक नाम भेजा। इस वजह से वह 6 नामों पर गए। इन 6 नामों में से मुकेश गोयल सहित 2 नाम यह कहकर हटा दिए कि इनके ऊपर कोई मुकदमा है मैं आज एलजी को यह बताना चाहता हूं कि मुकेश गोयल के ऊपर कोई मुकदमा नहीं है। उनकी तरफ से मीडिया और दिल्ली के लोगों को गलत बताया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वर्तमान में भी मुकेश गोयल के ऊपर कोई एफआईआर नहीं है। जबकि मुकदमा तो देश के सबसे बड़े सदन लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला के ऊपर भी है। वह कैसे फुल टाइम स्पीकर बन गए।

उन्होंने कहा कि दो नाम यह कहकर हटा दिए कि यह पांचवी और दसवीं पास हैं। जबकि एलजी कुछ दिन पहले कह रहे थे कि क्वालिफिकेशन तो पैसे खर्च की रसीद होती है। कभी वह कुछ कहते हैं और कभी कुछ कहते हैं। पांचवी पास में अगर ऐतराज है तो चौथी फेल पर तो ज्यादा होना चाहिए। इसके बाद आखरी में बची दो महिलाओं को लेकर कहते हैं कि नीमा भगत एमए हैं और सत्या शर्मा शर्मा बीए है। लेकिन सत्या शर्मा मेयर क्ष रही हैं इसलिए सत्या शर्मा को बना दिया। यहां भी एलजी ने मनगढ़ंत मानदंड अपनाया। असलियत यह है कि नीमा भगत भी मेयर रही हैं। क्योंकि कोई क्राइटेरिया ही नहीं था और अपनी मर्जी से प्रोटेम स्पीकर बना दिया था। लेकिन बाद में लीपापोती के लिए क्राइटेरिया का बहाना बनाने लग गए।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी ऑफिस में बैठकर इस तरीके के मनगढ़ंत क्राइटेरिया लगाना गलत है। एलजी से निवेदन है कि दिल्ली सरकार ने सोच समझकर सीनियर मोस्ट सदस्य मुकेश गोयल का नाम भेजा है। उनके ऊपर कोई केस दर्ज नहीं है। ऐसे में एलजी जो परंपरा चल रही है उस परंपरा के साथ रहें। इस देश में प्रजातंत्र आज भी है क्योंकि लोक परंपराओं का पालन कर रहे हैं। एलजी नैतिकता की जो दुहाई देते हैं वह उनके ऊपर भी लागू होती है। ऐसे में सोच समझकर अपने पद का इस्तेमाल करें।

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