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आम आदमी पार्टी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर कई सवाल खड़े किए है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री जी की डिग्री के बारे में दिल्ली और गुजरात यूनिवर्सिटी ने क्यों इतना रहस्य बना रखा है? इसमें कुछ तो गड़बड़ है ? “आप” के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री होने के नाते बाध्यता है कि उन्हें अपनी डिग्री देश को दिखानी चाहिए। सीएम अरविंद केजरीवाल से उनकी ग्रेजुएशन डिग्री, कॉलेज और टीचर्स के बारे में पूछ लीजिए, वह सारी जानकारी विस्तार से बता देंगे। वेरिफिकेशन के तय तरीके से प्रधानमंत्री की डिग्री वेरिफाई हो सकती है। इतनी बहस इसलिए हो रही है क्योंकि कुछ तो गड़बड़ है। कंपनी के एचआर के पास इतनी शक्ति है कि वह कर्मचारी की डिग्री का वेरिफिकेशन कर सकता है। मगर पीएम की डिग्री पर इतनी चर्चा क्यों? नाली में पाइप लगाकर गैस से चाय बनाना मुमकिन नहीं है। यह प्रधानमंत्री भी जानते हैं मगर वह देशवासियों को मूर्ख समझते हैं? नकली डिग्री लाकर पूरे देश को बेवकूफ बनाने की कोशिश करने वाले इस तरह के व्यक्ति की नैतिकता पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसा व्यक्ति जिसने नकली डिग्री बना रखी है, क्या ऐसे व्यक्ति को पीएम, सांसद, विधायक होना चाहिए?

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में आज महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के विषय में इतना रहस्य क्यों बना हुआ है? डिग्री और क्वालिफिकेशन रहस्य नहीं रह सकती है। वह तभी तक रहस्य रह सकती है जब आप अपनी डिग्री को लेकर घर बैठ जाएं। ना आपको नौकरी करनी, ना आपको उसके विषय में कोई एफिडेविट देना है। तब असली या नकली है, इससे किसी को कोई लेना देना नहीं है। मगर यदि आप अपनी शैक्षिक योग्यता के हिसाब से कोई दावा करते हैं तो उस पर वेरिफिकेशन होना स्वाभाविक है। हम सभी लोग किसी ना किसी समय पर नौकरियों के लिए अप्लाई करते हैं। 10वीं पास करने के बाद मार्कस के आधार पर 11वीं में कॉमर्स, ह्यूमैनिटी, साइंस मांगते हैं। कॉलेज में एडमिशन फॉर्म भरते वक्त 12वीं कक्षा के स्कूल की जानकारी और 5 सब्जेक्ट में मार्क्स से जुड़ी जानकारी होती है। डिग्री की विशेषता है कि जब आप अपनी डिग्री कहीं दिखाएंगे और मार्क्स बताएंगे तो उसमें वेरिफिकेशन का प्रोसेस इनबिल्ट है। इसकी वेरिफिकेशन के तय मापदंड हैं।

उन्होंने कहा कि अगर आप अपनी डिग्री को देकर दावा करते हैं कि यह मेरी डिग्री है तो उसको वेरीफाई करने के तरीके वर्षों से उपलब्ध हैं। इसी वजह से आपको कॉलेजों में एडमिशन मिल पाता है। वरना कोई भी आदमी अपनी डिग्री लेकर कह दे कि मैंने आईआईटी कानपुर से बीटेक कंप्यूटर साइंस किया है। उसे केवल आईआईटी कानपुर की किसी भी डिग्री पर नाम बदलकर फोटोशॉप करना है। मगर वो ऑर्गेनाइजेशन आपको नहीं लेगी। एक साधारण प्राइवेट कंपनी के एचआर के पास भी उस यूनिवर्सिटी के अंदर अपनी क्वेरी डालने की शक्तियां है। एचआर डिपार्टमेंट जान सकता है कि उस व्यक्ति ने किस साल में डिग्री ली और किस सब्जेक्ट में कितने मार्क्स हैं। इसमें ऐसी कोई चीज ही नहीं है, जिसके लिए पूरा देश बहस कर रहा है। आज तक कभी इस बहस की जरूरत नहीं पड़ी। लाखों-करोड़ों लोग अपनी डिग्री और मार्क्स के हिसाब से नौकरियों में अप्लाई करते हैं। डिग्री की वेरिफिकेशन का एक तरीका है, जिससे डिग्री वेरीफाई होती है। मगर वेरिफिकेशन के तरीके के अनुसार प्रधानमंत्री की डिग्री वेरीफाई क्यों नहीं हो रही है? उन तरीकों से प्रधानमंत्री जी की डिग्री के बारे में उनकी यूनिवर्सिटी खुलकर सामने क्यों नहीं आ रही है? क्यों दिल्ली यूनिवर्सिटी और गुजरात यूनिवर्सिटी ने इतना रहस्य बना कर रखा है? कुछ तो गड़बड़ और रहस्य है। वह इस देश के प्रधानमंत्री है, उन्हें यह सच देश के सामने बताना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी कह रही है कि हम क्यों दिखाएं। यह बात गलत है। इससे शक और गहरा होता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, लोकसभा सांसद, विधानसभा में विधायक या किसी राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं है। अगर किसी व्यक्ति के पास डिग्री नहीं है और उसने कहा कि मेरे पास पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री है। उसने नकली डिग्री बनाकर प्रकाशित कर रखी है। यह सवाल नैतिक अधमता का है। एक व्यक्ति नैतिक तौर पर इतना ज्यादा संकीर्ण हो कि अपनी डिग्री भी नकली बना कर रखी है, तो क्या ऐसा व्यक्ति इस देश में सांसद, विधायक, मंत्री या प्रधानमंत्री होना चाहिए? इसका जवाब है नहीं। नकली डिग्री लाकर पूरे देश को बेवकूफ बनाने की कोशिश करने वाले इस तरह के व्यक्ति की नैतिकता पर बड़े सवाल खड़े होते हैं।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह चाय बनाने वाले किसी दुकानदार को जानते हैं। जहां पर वह एक चाय बनाता है, वहां एक नाली बहती है। उसी नाली पर उसने बर्तन रखकर पाइप निकालकर अपनी गैस में जोड़ रखा है। उसपर चाय बनती है। प्रधानमंत्री भी जानते हैं कि यह संभव नहीं है। किसी ने उन्हें बता दिया होगा कि बायोगैस में सिल्ट से गैस बना सकते हैं, मगर उसका एक प्रोसेस है। उन्हें लगता है कि उनके सामने उनकी बात सुनने वाले मूर्ख हैं। आखिर प्रधानमंत्री इस देश के करोड़ों लोगों को क्यों मूर्ख समझते हैं? इस देश में पढ़े लिखे लोग हैं, जो प्रधानमंत्री के इस झूठ को जानते हैं।

उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी का एक इंटरव्यू देख रहा था। उसमें उन्होंने कहा कि मैंने सोचा बारिश है, बादल है, इसका फायदा उठाना चाहिए। अटैक कर लेते हैं। प्रधानमंत्री को मालूम है कि वह झूठ बोल रहे हैं। उनको सामने वाले बेवकूफ लगते है। एक अन्य जगह प्रधानमंत्री ने कहा कि क्लाइमेट चेंज कुछ नहीं है। हमारे सहने की शक्ति कम हो गई। जहां क्लाइमेट चेंज पर काम करने के लिए बड़े-बड़े अरबपतियों ने अपनी पूरी संपत्ति दे दी। पूरी दुनिया के अंदर कार्बन क्रेडिट्स का सिस्टम चल रहा है। हर साल पूरी दुनिया के देश इस विषय पर चिंता जताते हैं। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि यह क्लाइमेट क्लाइमेट चेंज नहीं है, बल्कि हमारे सहने की शक्ति कम हो गई है। ऐसी बात कोई पढ़ा-लिखा आदमी नहीं कहेगा। आजकल पांचवी कक्षा के बच्चे को भी स्कूल में क्लाइमेट चेंज के बारे में पढ़ाया जाता है। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि ए प्लस बी इनटू स्क्वेयर, ए प्लस बी इनटू ब्रैकेट इनटू स्क्वेयर। जब ऐसी बातें देश के प्रधानमंत्री करते हैं तो किसी भी शिक्षित व्यक्ति के मन में यह सवाल आता है कि इस तरीके की पढ़ाई प्रधानमंत्री ने कहां से की है? प्रधानमंत्री बनने के लिए पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आपने पढ़ाई नहीं की है और आप कह रहे हैं कि पढ़ाई की ही है। उस विषय में डिग्रियां दिखा रहे हैं, फिर उन डिग्रियों के बारे में जानकारियां मांगने पर जानकारियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उस पर रहस्य उत्पन्न होता है।

कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आप सीऐम अरविंद केजरीवाल से उनकी ग्रेजुएशन के बारे में पूछ लीजिए। उनसे टीचर्स, दोस्तों और कॉलेज कैंटीन तक के बारे में पूछ लीजिए। वह सारी जानकारी विस्तार से दे देंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बता देंगे कि उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की है। इसके अलावा 5 मास्टरों के नाम, कॉलेज की कैंटीन बता देंगे। वह अपने 15 सहपाठियों के नाम बता देंगे। आप आईआईटी खड़गपुर में जाकर अरविंद केजरीवाल की मार्कशीट के लिए आरटीआई लगा लीजिए। अगर अरविंद केजरीवाल उस आरटीआई का विरोध करते हैं तो बड़ा सवाल खड़ा होता है। इसलिए जब डिग्री जैसी सामान्य चीज पर भी बहस हो, तो उसमें बड़े सवाल खड़े होते हैं। मैं समझता हूं कि भारतीय जनता पार्टी को उन सभी सवालों का जवाब देना चाहिए। यह पूरे देश के लिए जानना बहुत जरूरी है।

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