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  • सीएम ने दिल्ली विधानसभा में पहली बार आयोजित यूथ संसद को संबोधित किया
  • सीएम ने कहा दिल्ली सरकार लोकतंक्ष में जनता के प्रत्यक्ष शासन की पक्षधर

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा में पहली बार महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर दिल्ली यूथ संसद का आयोजन 6 से 8 नवंबर तक किया जा रहा है। विधानसभा की विभिन्न विधायी प्रक्रियाओं से युवाओं को रू ब रू कराने के लिए दिल्ली यूथ संसद का आयोजन किया जा रहा है। सत्र के पहले दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा हॉल में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेज के छात्रों को संबोधित किए। इस दौरान सीएम ने कहा लोकतंत्र शासन का सबसे बेहतर स्वरूप है। दिल्ली सरकार लोकतंत्र में जनता के प्रत्यक्ष शासन की पक्षधर है लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। इस कारण हमारी सीमित शक्तियां है।

यूथ संसद से छात्रों को विधाई प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि छात्रों को संसद के कार्यों का लाइव डेमो मिलेगा। यह पहली बार है जब बाहरी लोगों को विधानसभा भवन में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है। केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही प्रवेश करने की अनुमति होती है। यहां तक ​​कि अधिकारियों को भी आगंतुकों की गैलरी में बैठने की अनुमति होती है। मुझे उम्मीद है कि यह यूथ संसद कार्यशाला आपको विधायिका की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगी। सीएम ने कहा मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं और दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 2015 में कई विधायी प्रक्रियाओं को नहीं जानता था। फिर धीरे-धीरे काम करते करते जानकारी हुई।

सीएम ने कहा कि इस कार्यशाला में छात्र संसदीय शासन प्रणाली के बारे में जानेंगे, जो हमारे देश में शासन की आत्मा है। मुझे उम्मीद है कि यह आपको सही और गलत, सकारात्मक और नकारात्मक को समझने में मदद करेगा। शासन के हर रूप में खामियां हैं, लेकिन सार्वभौमिक रूप से लोकतंत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। लोकतंत्र में राष्ट्रपति और संसदीय स्वरूप में शासन होता है। हमारे पास संसद में विभिन्न विभागीय समितियां भी हैं, जो विभिन्न विभागों के समुचित कार्य को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श व बैठकें आयोजित करती हैं। राष्ट्रपति और संसदीय दोनों शासन के अप्रत्यक्ष रूप हैं। जनता अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है और वह अगले पांच वर्षों के लिए नेता बन जाते है। यदि वह शासन में कुशल नहीं है, तो आप जो अधिकतम कर सकते हैं, वह पांच साल बाद उसके लिए मतदान नहीं कर सकते है। लेकिन आप निर्वाचित होने के बाद पांच साल की अवधि के लिए उनके शासन को सहन करने को मजबूर होते हैं। जनता की दिन-प्रतिदिन के शासन में कोई भूमिका नहीं है। दुनिया भर में ऐसे देश और राष्ट्र हैं, जहाँ शासन का प्रत्यक्ष रूप भी अपनाया गया है।

लोकतंत्र में जनता का प्रत्यक्ष शासन नहीं

लोकतंत्र के अप्रत्यक्ष रूप में लोग यह नहीं कह सकते हैं कि धन कहाँ खर्च किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर मैं स्थानीय मुद्दों के बारे में बात करूं तो सरकार एक विशेष क्षेत्र में सड़क नवीकरण पर खर्च कर सकती है जहां इसकी आवश्यकता भी नहीं है। दूसरी ओर, यदि किसी अन्य क्षेत्र में सड़क के नवीनीकरण की तुलना में पानी की आवश्यकता अधिक आवश्यक है तो यह सरकार को तय करना है कि पहले क्या कार्य करना है।
यदि कोई अधिकारी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे है तो जनता को उसे पद से हटाने में सक्षम होना चाहिए। लेकिन लोकतंत्र में यह संभव नहीं है। लोकतंत्र के प्रत्यक्ष रूप में आम जनता का धन, कार्य और सिस्टम पर नियंत्रण होता है। 2015 में हमारी सरकार के गठन के बाद हमने प्रत्यक्ष शासन मॉडल को अपनाने के लिए पूरी दिल्ली को 3200 सोसाइटी में विभाजित किया। यह सोसाइटी के लोगों को एक साथ आने और यह तय करने के लिए था कि धन कैसे और क्या खर्च किया जाना चाहिए। यदि उनके क्षेत्र का कोई अधिकारी अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से नहीं निभा रहा है तो जनता को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए और अधिकारी को हटा दिया जाना चाहिए।

पूर्ण राज्य न होने के कारण दिल्ली सरकार के अधिकार सीमित

सीएम ने कहा शासन के इस रूप को स्वराज कहा जाता है, जो मेरा सपना है। किसी राज्य की राज्य के मुद्दों, राष्ट्रीय मुद्दों और स्थानीय मुद्दों पर शासन का प्रत्यक्ष रूप हो सकता है। हमारा सपना दिल्ली राज्य में शासन के इस रूप को लागू करना है। लेकिन दिल्ली सरकार की शक्तियां बहुत सीमित हैं। दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है, जिसके कारण हम लोकतंत्र के प्रत्यक्ष स्वरूप का मॉडल नहीं बना सकते हैं। लेकिन, हम प्रयोग के तौर पर दिल्ली में इसे लागू करना चाहेंगे, यह देखने के लिए कि क्या आम जनता शासन के कामकाज में शामिल हो सकती है। उसी के कई ऐतिहासिक उदाहरण हैं।
मुझे उम्मीद है कि छात्र इस कार्यशाला के माध्यम से विधानसभा के कामकाज के बारे में जानेंगे। मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।

Democracy is the best form of governance: CM Arvind Kejriwal

  • CM Arvind Kejriwal addresses first ever Youth Parliament at the Delhi Assembly
  • Vision is to bring direct democracy to Delhi: CM Arvind Kejriwal

New Delhi: Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal addressed the youth at the Delhi Youth Parliament workshop at Delhi Vidgan Sabha on Wednesday. The Delhi Youth Parliament has been organized from 6th to 8th November to mark the 150th birth anniversary of Mahatama Gandhi and to familiarize the youth with various legislative procedures of the assembly.

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal said, “I hope that the students will get a live demo of how the parliament functions. This is the first time that outsiders have been permitted to enter the Vidhan Sabha hall. Only the elected representatives are allowed to enter the hall, and even the bureacrats are allowed to sit in the visitors’ gallery. I hope that this Youth Parliament workshop will aid you in understanding the procedures of the legislature. I hope that you will learn about the functioning of the assembly through this workshop. I wish you the best of luck for your experience.”

CM Kejriwal also explained the seating arrangement of the parliament hall to the youth. “All my cabinet ministers sit on the right, and the BJP MLAs sit on the four seats on my left. Rest all the seats are occupied by AAP MLAs.”

We had to learn a lot about legislative procedures after coming to power: CM Arvind Kejriwal

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal said that he belongs to a middle-class family, and after winning the Delhi assembly elections in 2015, he was not famililar with many legislative procedures. “We were also learning about how the parliament and the legislative business functions. In this workshop, you will learn about the parliamentary form of governance and the presidential form of governance in our country. I hope it will also give you a sense of right and wrong, positive and negative. Every form of governance has loopholes, but universally, democracy is supposed to be the best form of governance. We also have various departmental committees in the parliament, which hold deliberation meetings with the officers to ensure proper functioning of various departments.”

General public should have a say in governance: CM Arvind Kejriwal

“In democracy, there is a presidential and parliamentary form of governance, which are both indirect forms of governance. The public elects its representative, and he/she becomes a leader for the next five years. If he is not efficient in his governance, the maximum you can do is not to vote for him after five years. But you are forced to bear his governance for the duration of five years once he is elected. The public has no role to play in the day to day governance. There are countries and nations across the globe, where a direct form of governance has been adopted,” said the Chief Minister.
He added that the general public should have a say in the governance. He said, “In the indirect form of democracy, people do not have a say in where the funds are supposed to be spent. For instance, if I may talk about local issues, government may spend on road renovation in a particular area where it is not even needed. On the other hand, if water requirement is more necessary than road renovation in another area, it is upon the government to decide what task to take up first, and so the people of the area do not get a say in it. If a bureaucrat is not performing well, the public should be able to remove him from his duties. But, that is not possible. In the direct form of democracy, the general public has control over funds, functions and functionaries.”

Hope to bring a direct form of governance in Delhi: CM Arvind Kejriwal

CM Arvind Kejriwal briefed the youth how they tried to bring a direct governance model in Delhi but was unsuccessful in doing it because of the limited powers of Delhi. “After the formation of our government in 2015, we divided the entire Delhi in 3200 mohallas to adopt the direct governance model. The idea was for the people of these mohallas to come together and decide how and on what should the funds be spent in their societies. If an officer of their area is not performing their duties well, the public should pass a resolution and the officer should be terminated from his duties. This form of governance is called Swaraj. It is our vision to bring Swaraj to Delhi. There can be a direct form of governance in the day to day activities of a state, or at state issues, national issues and local issues. Our dream is to implement this form of governance in the state of Delhi. But the powers of Delhi are very limited. Delhi is not a full state, because of which we cannot create the model of a direct form of democracy. But, we would like to implement this in Delhi at some point as an experiment, to see if the general public can be involved in the functioning of the governance. There are many historical examples of the same in the world.”

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sudhir

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