नई दिल्ली, 09 अक्टूबर 2023
हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा अपने किसानों को कोई समाधान नहीं दिए जाने के कारण पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने लगा है। आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की खट्टर सरकार को आड़े हाथ लिया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि किसानों को पराली का समाधान देने में हरियाणा की खट्टर सरकार पूरी तरह से विफल रही है। इसलिए मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ‘‘आप’’ की राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का कहना है कि खट्टर सरकार के पास पराली का कोई समाधान नहीं है। हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले अब तक तीन गुना ज्यादा पराली जलाई जा चुकी है। हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 2021 में 62, 2022 में 80 और 2023 में अब तक 277 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि दिल्ली और पंजाब सरकार के प्रयासों से पराली के प्रदूषण में कमी आई है।
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर कहा कि दिल्ली में एक पढ़ी-लिखी और एक ईमानदार सरकार है, जो लगातार जनता के हित में काम करती आई है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पर्यावरण को लेकर सिर्फ दिल्ली सरकार ही लगातार सक्रिय दिखती है। चाहे दिल्ली सरकार द्वारा लाई गई ट्री प्लांटेशन पॉलिसी हो, जिसके तहत हम इस साल 53 लाख पौधे लगाएंगे और 43 लाख पहले ही लगाया जा चुके हैं। चाहे इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बात हो, हमारी ईवी पॉलिसी के तहत दिल्ली में करीब 16.8ः प्राइवेट व्हीकल इलेक्ट्रिक हैं। लगातार प्रयासों की वजह से हमारी ईवी पॉलिसी के लिए हमें स्टेट लीडरशिप अवार्ड मिला है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज सभी इंडस्ट्रीज के लिए पीएनजी का इस्तेमाल करना अनिवार्य है। 24 घंटे बिजली देने के बाद से दिल्ली में इनवर्टर और जनरेटर की जरूरत खत्म हो गई। जिससे दिल्ली में प्रदूषण में काफी कमी आई है। दिल्ली में दो थर्मल प्लांट थे, सरकार उन्हें बंद करा चुकी है। पिछले कुछ सालों से दिल्ली में ग्रेड एक्शन प्लान, समर एक्शन प्लान और विंटर एक्शन प्लान चलता है। जबसे आम आदमी पार्टी सरकार एमसीडी में भी आई है तो हम लोग निर्माण से उत्पन्न होने वाले मलबे और धूल मिट्टी को भी लगातार टारगेट कर रहे हैं। दिल्ली सीएम केजरीवाल ने बुराड़ी में देश का सबसे ज्यादा क्षमता वाला कंस्ट्रक्शन वेस्ट प्लांट का उद्घाटन किया है। यहां पर मलबा रिसाइकल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हाल में पार्लियामेंट में इकोनामिक सर्वे 2022-2023 की एक रिपोर्ट पेश की गई थी जिसमें बताया गया कि 2016 से लेकर 2021 तक पीएम 2.5 में 22ः की कमी आई है और पीएम 10 में 27ः की कमी आई है। 2022 में दिल्ली की हवा में 8ः सुधार हुआ था और 2023 में यह सुधार करीब 31ः हो गया है। इसी वर्ष मिनिस्ट्री आफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज ने एक रिपोर्ट छापी, जिसमें कहा गया कि बीते 8 वर्षों में, जिसमें कोविड पीरियड को शामिल नहीं किया गया, 2023 में दिल्ली की हवा सबसे साफ रही। लेकिन हम इस सुधार से अभी भी खुश नहीं हैं, हमें और सुधार करना है।
प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि अगर हम एक्यूआई का रियल टाइम डाटा देखें तो दुनिया के टॉप 100 सबसे प्रदूषित शहरों में तीसरे नंबर पर मेरठ, आठवें नंबर पर वलसाड, 11वें नंबर पर अलवर, तेरह नंबर पर नवसारी, चौदह नंबर पर हापुड़, 22 नंबर पर सोनीपत, 23 नंबर पर करनाल, 24 नंबर पर सूरत, 26 नंबर पर गांधीनगर, 27 नंबर पर गोरखपुर, 28 नंबर पर मुजफ्फरनगर और 29 नंबर पर थाने है। इसमें दिल्ली कहीं भी नहीं है। हम अक्सर एक ज्वाइंट एक्शन प्लान की मांग करते रहते हैं, पर यह आज तक हुआ नहीं है। दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र में एक ऐसी सरकार बैठी है जो सिर्फ मन की बात करके चली जाती है। ज्वाइंट एक्शन प्लान में विश्वास नहीं रखती है।
उन्होंने कहा कि हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली वालों को पराली का प्रदूषण झेलना पड़ता है। पंजाब में ‘आप’ सरकार आते ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कई तरह से पराली का समाधान निकाला। नतीजन, 2021 के मुकाबले पिछले साल पराली का प्रदूषण काफी कम था। 2023 में हम सुनिश्चित करेंगे कि पराली का प्रदूषण पंजाब में 50 फीसद और कम हो। सीएक्यूएम रिपोर्ट में हमने पंजाब के 6 जिला शामिल किए जहां पर जीरो फायर सुनिश्चित करेंगे। इसमें होशियारपुर, मलेरकोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएस नगर मोहाली और एसबीएस नगर शामिल हैं।
प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि जल संरक्षण के लिए पंजाब और हरियाणा ने धान और गेहूं को बोने और फसल काटने के समय को एक एक्ट के तहत निर्धारित किया हुआ है। भगवंत मान सरकार पिछले एक साल से युद्धस्तर पर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसमें 4000 वॉलिंटियर्स हैं जो हमारे किसानों को जागरूक करने का काम करते हैं। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की सरकार ने इस बार दो तरह के तरीके अपनाए हैं, एक इनसीटू है और दूसरा एक्ससीटू है जो मौके पर ही पराली का समाधान कर देंगे। इसमें बायो- डीकंपोजर और क्रॉप रेसिड्यू मशीनें शामिल हैं। ये मशीनें 1.7 लाख पहले ही मौजूद थीं, जहां पर उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी वहां पर भेजा गया। उसके बाद 24000 मशीनें और मंगाई गई, जो अभी बांटी जा रही हैं। इस पर हमने 80 फीसद सब्सिडी दी है। चावल की पूसा गुणवत्ता 44 थी, भगवंत मान सरकार ने इस गुणवत्ता के चावल पर बैन लगा दिया क्योंकि इसका मेच्योरिटी पीरियड काफी लंबा होता था और इसमें पानी की खपत भी बहुत ज्यादा लगती थी। साथ ही एक्ससीतू के तहत पराली आधारित इंडस्ट्रीज में हमने 15 बॉयलर यूनिट्स को पैडी देना शुरू किया। पंजाब के ईटों के भट्टों पर अनिवार्य कर दिया गया है कि 20 फीसद पैडी इस्तेमाल की जाएगी। हमने एचपीसीएल से टाइ कर लिया है जो 50,000 टन पैडी लेगा। यह पैडी इथेनॉल बनाने के काम आएगी। इसी प्रकार से गुजरात और राजस्थान से भी बात हो रही है कि वह पैडी लेकर चारे में उपयोग करें। ये बात लोकल के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी हो रही है।
उन्होने कहा कि आज पांच बायोगैस प्लांट ऑपरेशनल हैं, आगे 34 और प्लांट्स खोले जाएंगे। साथ ही हमने जिला कलेक्टर्स को ट्रेनिंग दी जो जीपीएस मैपिंग द्वारा एफआईआर को ट्रैक करते हैं। कल भी पटियाला के डीसी ने जाकर फायर टेंडर टीम का इस्तेमाल करके पराली की आग बुझाई। हम वहां पर किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं कि पराली नहीं जलाने वालों को इनाम दिया जाएगा। हम और भी बहुत कुछ करने की तैयारी कर रहे हैं। रविवार को खबर आई कि हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले 3 गुना ज्यादा पराली जलाई जा चुकी है। मॉनसून के समय नंगल चौधरी विधानसभा से भाजपा के विधायक ने कहा कि औद्योगीकरण के कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। जिसके बाद उनको जवाब मिला कि अब इसकी मॉनिटरिंग होगी। हैरानी की बात है कि 2023 में वह मॉनिटरिंग की बात कर रहे हैं। अगर खट्टर सरकार के पास कोई समाधान नहीं है तो उनको तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए।
आम आदमी पार्टी से हरियाणा के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कहा कि दिल्ली और आसपास का इलाका जिसमें हरियाणा भी आता है, वह वायु प्रदूषण का शिकार बनते हैं। इसका मुख्य कारण पराली का जलना है। पराली जलने का सिलसिला अभी शुरू हुआ है और अभी से स्थिति खराब है। हरियाणा सरकार बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन प्रदूषण को कम करने के लिए जो योजनाएं बनाई गई, वह जमीनी स्तर पर बिल्कुल भी लागू नहीं हो रही हैं। 4 अक्टूबर 2021 को दो खेतों में आग लगी थी, 2022 में सात खेतों में आग लगी और 8 अक्टूबर 2023 में 29 खेतों में आग लगी थी। आग की घटनाएं 2021 में कुल 62 थीं, 2022 में कुल 80 थीं, 2023 में अबतक 277 घटनाएं देखी जा चुकी हैं। क्या हरियाणा सरकार जानबूझकर हरियाणा और दिल्ली के लोगों को इस प्रदूषण की आग में झोंकना चाहती है? हमारा मानना है कि इन चीजों के लिए किसानों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। ना उन्हें कभी जागरूक किया गया, ना ही उन्हें संसाधन उपलब्ध कराए गए।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसान पहले से ही बाढ़ का प्रकोप झेल चुके हैं, ऊपर से पराली का दोष भी किसानों पर डाल दिया जाता है। सरकार पुलिस को भेजकर किसानों के खिलाफ एफआईआर करती है। किसानों पर लाखों रुपए के फाइन लगा दिए जाते हैं। लेकिन सरकार ने क्या किया? दो महत्वपूर्ण चीज हैं, पहला बेलर मशीन है, जिसके जरिए परली के गट्ठे बनाए जाते हैं। दूसरा बायो-डीकंपोजर है, जिनको लेकर तीनों राज्यों के बीच एक सहमत बनी थी कि यह दो कदम जरूर लागू करने हैं। हरियाणा सरकार द्वारा बेलर मशीन के लिए 5 लाख की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। आश्चर्य की बात है कि 1500 करोड़ रुपए के आसपास की सब्सिडी दी जा चुकी है लेकिन जमीनी स्तर पर जांच की गई तो 50 फीसद से ज्यादा का स्कैम सामने आया। जमीनों पर मशीनें उपलब्ध ही नहीं हैं, इसका मतलब है कि सब्सिडी गलत तरीके से सिर्फ कागजों पर दी गई। हरियाणा सरकार 80 हज़ार मशीनें देने का दावा करती है, मेरा चौलेंज है हरियाणा का कोई भी मंत्री या नेता हमारे साथ चलकर देखे कि 20 हज़ार बेलर मशीनें तक ग्राउंड पर उपलब्ध नहीं हैं। जिसके बिना पराली का समाधान नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल दिल्ली सरकार ने किसानों को मुफ्त में बायो-डीकंपोजर उपलब्ध कराया। हरियाणा सरकार ने भी कहा कि हम भी इसी तरह से मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे। पिछले साल जो स्टेट की मीटिंग हुई उसमें कहा गया कि हम बड़े स्तर पर किसानों को बायो-डीकंपोजर उपलब्ध कराएंगे लेकिन आज आग की घटनाएं तीन-चार गुना बढ़ गई हैं। आज की स्थिति यह है कि जिलों के अंदर जो डिस्ट्रीब्यूशन केंद्र होते हैं वहां पर बायो-डीकंपोजर का एक पैकेट भी नहीं पहुंचा है। खट्टर सरकार इस मिशन में पूरी तरह फेल हो गई है। मेरा खट्टा साहब से सीधा सवाल है कि जब आपको पहले से ही पता था कि इन दिनों देश की राजधानी और हरियाणा के ज्यादातर इलाके प्रदूषण की चपेट में आते हैं, हमारे लोगों का जीना मुहाल हो जाता है तो आपने इन योजनाओं को जमीन पर लागू करने का इंतजाम क्यों नहीं किया? अगर हजारों लाखों लोगों को आप प्रदूषण के धुएं में घुटते हुए देख सकते हैं तो क्या मुख्यमंत्री के तौर पर आपको कुर्सी पर बैठे रहने का अधिकार है?