दिल्ली सरकार में नौकरशाही की मनमानी का एक और उदाहरण सामने आया है। शिक्षा मंत्री आतिशी ने करीब ढाई माह पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी के लिए 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था, लेकिन वो पैसा यूनिवर्सिटी तक नहीं पहुंचा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजीव झा ने जानबूझ कर सैलरी देने में देरी करने का अरोप लगाते हुए कहा कि 19 जून को ही शिक्षा मंत्री ने 100 करोड़ स्वीकृत कर दिया था, लेकिन वित्त सचिव द्वारा यूनिवर्सिटी को पैसा जारी नहीं किया गया। शिक्षा मंत्री ने 25 अगस्त को भी वित्त सचिव को एक चिट्ठी लिखकर तत्काल फंड जारी करने का निर्देश दिया। फिर भी शिक्षकों को सैलरी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी है। इसीलिए सैलरी रोक कर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। हम अपील करते हैं कि शिक्षा मंत्री के पत्र का वित्त सचिव संझान लें और यथा शीघ्र शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी जारी करें।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजीव झा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा के साथ राजपाल, नरेंद्र पांडे, प्रेम चंद और सीमा दास भी मौजूद रहे। संजीव झा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली यूनिवर्सिटी में ऐसा खेल खेला जा रहा है, जिससे डीयू के शिक्षकों व कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है। डीयू के प्रोफेसरों की सैलरी जारी करने में जानबूझ कर देरी की जा रही है। ‘‘आप’’ की सरकार का हमेशा से प्रयास रहा है कि डीयू के प्रोफेसरों और कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। इसलिए 19 जून को दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने 100 करोड रुपए जारी कराया था, लेकिन ये फंड डीयू तक नहीं पहुंच पा रहा था। इसके बाद एडीटीए ने शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर जानकारी दी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी तक फंड नहीं पहुंचने की वजह से शिक्षकों व कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल पाई है। एडीटीए ने यह भी चिट्ठी मे बताया कि प्रमोशन का एरियर, पेंशन, एलटीसी, मेडिकल बेनिफिट का फंड भी नहीं दिया है। इस पर 25 अगस्त को शिक्षा मंत्री ने चिट्ठी लिखा कि जब 19 जून को ही फंड स्वीकृत कर दिया गया था, तो अभी तक सैलरी क्यों नहीं मिली। शिक्षा मंत्री ने तत्काल फंड जारी करने और इसमें देरी करने के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच करने के निर्देश दिए। मंत्री ने वित्त सचिव को लिखा कि सभी बकाया फंड को तत्काल क्लीयर किया जाए।
विधायक संजीव झा ने कहा कि 25 अगस्त को शिक्षा मंत्री द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बावजूद अभी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सैलरी नहीं मिली है। सैलरी न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। सैलरी देने में इतनी देर करने का कोई कारण भी समझ नहीं आ रहा है। शिक्षा मंत्री ने हाईकोर्ट को बताया है कि सरकार ने फंड स्वीकृत कर दिया है लेकिन वित्त सचिव के स्तर पर वो फंड जारी नहीं हो पा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने वित्त सचिव को नोटिस दिया है। मुझे लगता है कि सैलरी में देरी करके केजरीवाल सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा से सबसे ज्यादा प्राथमिकता दिया है। हमारे उपर चाहे जो भी आरोप लगाना हो, लगाएं, लेकिन इससे शिक्षकों का नुकसान नहीं होना चाहिए। यह बहुत गंदी राजनीति है। आजादी के बाद से अब तक के इतिहास में यह कहीं नहीं देखा गया कि मंत्री फंड स्वीकृत कर दे और वित्त सचिव उसे रोक दे।
विधायक संजीव झा ने बताया कि जब पहली बार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी को 132 करोड़ रुपए दिए जाते थे, जबकि 2023-24 में दिल्ली सरकार ने 400 करोड़ रुपए दिल्ली यूनिवर्सिटी को जारी किया है। साथ ही सरकार ने जरूरत पड़ने पर और भी फंड देने का आश्वासन दिया है। दिल्ली सरकार डीयू की तीसरी किश्त भी जारी करने वाली है। इसके बाद भी अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी को पैसा देने से रोका जाए तो यह ठीक नहीं है। मेरी अपील है कि शिक्षा मंत्री की ओर से जो स्वीकृत फंड और बकाया बेनिफिट के बारे में लिखा है, उस पर वित्त सचिव तत्काल संज्ञान लें और जल्द से जल्द दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कर्मचारियों को सैलरी दी जाए। सैलरी न मिलने से शिक्षकों और कर्मचारियों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है।
इस दौरान एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा ने कहा कि मैं 1990 से शिक्षक राजनीति में सक्रिय हूं और चुनाव लड़े। लेकिन मैने इतनी नीच राजनीति आज तक नहीं देखी, जो अब की जा रही है। शिक्षा मंत्री ने 19 जून को 100 करोड़ स्वीकृत कर वित्त विभाग को जारी करने का निर्देश दिया, लेकिन अभी तक यह पैसा शिक्षकों के खाते में नहीं पहुंचा है। शिक्षक ईएमआई में डिफाल्टर हो चुके हैं। बच्चों की फीस देने, घर का खर्च चलाने के लिए पैसा नहीं है। जो लोग अपनी राजनीति रोट सेंक रहे हैं, डूटा के अध्यक्ष हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि सैलरी रोक कर कौन सा आनंद पा रहे हैं। केंद्र में आपकी ही सरकार है, एलजी भी आपके ही हैं। नौकरशाही की जवाबदेही एलजी के पास है। यह दिल्ली की जनता भी समझ रही है। डीयू के शिक्षकों को अभी तक सैलरी नहीं मिलने की जवाबदेही एलजी की है।
उन्होंने कहा कि 19 जून को फंड स्वीकृत कर दिया गया था, ये पैसा दो-चार दिन में ही कर्मचारियों के खाते में चला जाना चाहिए था। लेकिन अभी तक नहीं गया, क्योंकि ये चाहते हैं कि कर्मचारी तड़पें और ये प्रचार करते रहें कि पैसा नहीं है। डीयू के शिक्षकों की सैलरी रोक कर घटिया राजनीति करने वाले बताएं कि इससे उनको क्या मिल रहा है। डूटा ने 80 फीसद प्रोफेसरों को निकाल दिया है और ये डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं। डूटा के इशारे पर ही अभी तक सैलरी नहीं मिली है। सभी शिक्षा ये बात समझ रहे हैं। अब एडीटीए खामोश होकर नहीं बैठेगा। जानबूझ कर नौकरशाही की तरफ से सैलरी देने में देर की जा रही है ताकि शिक्षक तड़पें। दिल्ली सरकार शिक्षा का बजट बढ़ा रही है और 2023-14 में केंद्र सरकार शिक्षा को 4.70 फीसद बजट देती थी, जो अब घट कर 2.50 फीसद हो गया है। इसमें भी हेफा का लोन भी शामिल है।