दिल्ली सचिवालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के सतबड़ी वन्य क्षेत्र में गैरकानूनी तरीके से काटे गए 1100 पेड़ों के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत किये I उन्होंने डीडीए विभाग द्वारा की गई ईमेल की प्रतियाँ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत की I मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस ईमेल को पढ़ते ही प्रथम दृश्या यह स्पष्ट हो जाता है, कि 3 फरवरी को उपराज्यपाल महोदय सतवड़ी वन्य क्षेत्र का दौरा करने गए थे और इन 1100 वृक्षों को गैर कानूनी तरीके से काटने का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय विनय सक्सेना जी द्वारा ही दिया गया था I उन्होंने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच के समक्ष इन 1100 वृक्षों को गैरकानूनी तरीके से काटने के मामले में आपराधिक अवमानना के मामले की सुनवाई की गई और इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकीलों ने एक बार फिर इस देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष झूठ बोला I उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाली डीडीए को एक झूठ छुपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दोबारा झूठ बोलना पड़ा, परंतु अब डीडीए विभाग अपने ही झूठ के जाल में फस गया है I
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का हवाला देते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पहला झूठ तो केंद्र सरकार की डीडीए ने यह बोला कि लॉ ऑफिसर को इस बात की जानकारी नहीं थी, कि पेड़ों की कटाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होगी, और दूसरा झूठ यह बोला गया की 3 फरवरी को उपराज्यपाल महोदय ने जिस जगह का दौरा किया था, वह कोई दूसरी जगह थी I अपनी बात को सत्यापित करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने डीडीए विभाग के एक बड़े अधिकारी द्वारा अपने चीफ इंजीनियर तथा अन्य अधिकारियों को भेजी गई ईमेल को पढ़ते हुए बताया, कि इसमें साफ तौर पर डीडीए का यह अधिकारी कह रहा है, कि 3 फरवरी को इस जगह पर उपराज्यपाल महोदय ने दौरा किया और उन्होंने ही इन 1100 वृक्षों को काटने का आदेश दिया I जिस आदेश के पश्चात विभाग ने बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लिए गैर कानूनी तरीके से इन 1100 वृक्षों को काट दिया I प्रेस विज्ञप्ति के साथ ईमेल की प्रतियाँ संलग्न हैं I
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों को बताया कि डीडीए विभाग के अधिकारी द्वारा भेजी गई इन ईमेल को पढ़ने से साफ तौर पर यह बात समझ आती है, कि डीडीए विभाग को और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को यह बात भली-भांति पता थी, कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेना आवश्यक होता है I बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के एक भी पेड़ नहीं काटा जा सकता I यहां तक की फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने डीडीए विभाग को इस बात के लिए चेताया भी था, कि बिना परमिशन के पेड़ों की कटाई करना गैरकानूनी है I परंतु केवल उपराज्यपाल महोदय के मौखिक आदेश पर सभी नियम और कानूनों को ताक पर रखकर इन 1100 भरे पूरे पेड़ों को बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लिए गैरकानूनी तरीके से काट दिया गया I
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यदि कोई RWA अपने क्षेत्र में पेड़ों की छटाई भी करवा दे तो डीसीएफ साउथ कार्यालय RWA के ऊपर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगा देता है I उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी मुझे इसलिए है क्योंकि यह मेरा ही विधानसभा क्षेत्र है I उन्होंने कहा कि यहां 1100 बड़े वृक्षों को गैर कानूनी तरीके से सारे अधिकारियों की जानकारी में, डीडीए विभाग की जानकारी में होते हुए भी, कि पेड़ों को काटने की परमिशन नहीं है, फिर भी मौखिक रूप से उपराज्यपाल महोदय विनय सक्सेना जी के द्वारा दिए गए आदेश पर पेड़ों को काट दिया गया और किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, सभी अधिकारी, सारे विभाग खामोश बैठे हैं I उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में सभी लोग मिले हुए हैं I इस गैर कानूनी कृत्य में फॉरेस्ट डिपार्मेंट, डीडीए विभाग और उपराज्यपाल महोदय सभी लोग मिले हुए हैं और मिलकर दिल्ली की हरियाली को, दिल्ली के लोगों को और देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट को धोखा देने का काम कर रहे हैं I