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नई दिल्ली, 09 मई 2024

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की लीगल टीम ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत के विरोध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर हलफनामे पर कड़ी आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें ईडी के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताया गया है। खासकर यह देखते हुए कि मामला पहले से ही शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसले के लिए निर्धारित है और ईडी का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना प्रस्तुत किया गया।

आम आदमी पार्टी ने सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर ईडी की आपत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कथित शराब घोटाले में ईडी की दो साल की जांच के बाद भी, पार्टी के किसी भी सदस्य के खिलाफ एक भी पैसा या कोई सबूत बरामद नहीं किया गया है। इसके अलावा, सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, सरथ रेड्डी, सत्य विजय नाइक और एक पूर्व-भाजपा मुख्यमंत्री के सहयोगी द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित है। “आप” ने इस बात पर भी बल दिया कि ईडी का मामला काफी हद तक इन आरोपियों से गवाह बने लोगों की गवाही पर निर्भर करता है और इन में से सबका भाजपा से सीधा संबंध है और उन्हें फायदा होता है। उदाहरण के लिए, एनडीए से लोकसभा टिकट पाने वाले मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने अपने बेटे राघव रेड्डी की जमानत कराने के लिए एक बयान दिया। इसी तरह, पी. सरथ रेड्डी ने कथित तौर पर जमानत पाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से भाजपा के खाते में 60 करोड़ रुपए दिए। सत्य विजय नाइक, जिन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2022 गोवा विधानसभा चुनाव लड़ा था, उनके गोवा के सीएम प्रमोद सावंत के साथ करीबी संबंध है और उन्होंने पहले 2012 और 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसके अलावा, सरकारी गवाह बना एक अन्य आरोपी भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का करीबी सहयोगी था। इस तरह सभी 4 आपत्तिजनक बयान भाजपा से निकटता से जुड़े व्यक्तियों के हैं।

“आप” ने आगे कहा कि इन बयानों में एक पैटर्न साफ दिखता है, जब इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, तब इनके बयानों में अरविंद केजरीवाल का कहीं जिक्र नहीं था। ईडी ने बार-बार उनकी जमानत पर आपत्ति जताई, लेकिन जब उन्होंने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान दिए, तब ईडी ने कोई आपत्ति नहीं जताई और उन्हें जमानत या माफी दे दी गई। ईडी ने उन सभी बयानों को जानबूझ कर नजरअंदाज कर दिया, जिनमें अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। इनमें से कुछ बयान मनी लॉन्ड्रिंग या किसी भी तरह के अपराध की ओर इशारा नहीं करते हैं। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए आधार के तौर पर दिखाए गए सबूत इन सभी लोगों की गिरफ्तारी के बाद आए हैं, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि गिरफ्तारी को पूरी प्लानिंग के तहत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के लिए एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

‘‘आप’’ ने यह भी कहा कि ईडी ने 21 मार्च 2024 को यानि आम चुनावों की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के 5 दिन बाद एक सिटिंग मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को गैरकानूनी रूप से उठा लिया। मौजूदा आम चुनाव में आम आदमी पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को सीधे टक्कर दे रही है। 17 अप्रैल 2024 से लोकसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं। इस दौरान जब राजनीतिक गतिविधि अपने चरम पर है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की अवैध गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी को नुकसान हो रहा है और केंद्र में भाजपा को इससे चुनावी बढ़त मिलेगी। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की पहली शर्त सभी के लिए समान अवसर प्रदान करना है, जबकि अरविंद केजरीवाल की गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तारी से इसपर सवाल उठ रहे हैं।

पार्टी ने जोर देकर कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने न केवल अपारदर्शी और तानाशाही रवैया अपनाया है, बल्कि ये ‘सजेस्टियो फाल्सी’ और ‘सप्रेसियो वेरी’ यानि झूठे सुझाव देने और सच्चाई को दबाने का भी काम कर रही है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और संघवाद पर हमला है, जबकि यह दोनों संविधान की मूल संरचना के अभिन्न अंग हैं। ईडी ने आम चुनाव के बीच अपनी गिरफ्तारी की शक्ति का दुरुपयोग किया है और उन्हीं चीजों पर भरोसा किया है, जो उसके पास गिरफ्तारी से महीनों पहले से थीं।

आम आदमी पार्टी ने आगे बताया कि पीओसी यानि प्रोसीड ऑफ क्राइम से जुड़े किसी भी मामले में पार्टी के किसी नेता के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, चाहे छिपाना, कब्ज़ा करना, अधिग्रहण करना या उपयोग करना शामिल हो, या फिर इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करना शामिल हो। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आम आदमी पार्टी को साउथ ग्रुप से कोई फंड मिला। ईडी ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपने जवाबी हलफनामे में पहले ही स्वीकार कर लिया है कि अरविंद केजरीवाल किसी भी तरह के पैसे की लेन-देन में शामिल नहीं थे।

“आप” ने साझा किया कि ईडी ने दायर किए अपने जवाब में स्पष्ट रूप से कहा है कि अरविंद केजरीवाल का नाम ईसीआईआर में आरोपी के रूप में नहीं है और न ही उन्हें सीबीआई द्वारा दर्ज अपराध में आरोपी के रूप में नामित किया गया है, जो कि ईसीआईआर में कार्यवाही का आधार है। इस मामले में गिरफ्तार करने की शक्ति कानून की उचित प्रक्रिया के साथ-साथ स्थापित कार्य प्रणाली का पूरी तरह से दुरुपयोग है। ईडी का यह रवैया मौलिक रूप से निष्पक्ष जांच, निष्पक्ष सुनवाई और कानून के शासन सहित आपराधिक न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है

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