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देश के हर बच्चे को अगर अच्छी शिक्षा दे दी जाए तो यह बच्चे ही देश को विकसित बना देंगे। दिल्ली में हमने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर यह दिखा दिया है। मेरा मानना है कि देश के अंदर अमीर और गरीब सभी बच्चों को एक समान शिक्षा मिलनी चाहिए। हमारी सरकार ने दिल्ली के अंदर सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा उपलब्ध कराने की उपलब्धि हासिल कर लिया है। इसके लिए हमने सभी सरकारी स्कूलों में अच्छा माहौल दिया, शानदार सुविधाएं दी और ट्रेनिंग के लिए टीचर्स को विदेश भेजा। इसका नतीजा यह रहा कि हमारे टीचर्स ने मात्र 7-8 साल में ही दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति लाकर दिखा दिया। दिल्ली की शिक्षा क्रांति की आज जो देश और दुनिया में चर्चा हो रही है, उसका श्रेय हमारे सरकारी स्कूलों के टीचर्स को जाता है। गुरुवार को त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवार्ड 2023 समारोह में 10वीं और 12वीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 218 बच्चों और स्कूलों को पुरस्कृत करने के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह बातें कहीं। इस दौरान सीएम ने एसकेवी राजोकरी को दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ स्कूल का अवार्ड देकर सम्मानित किया।

दिल्ली के सरकारी, एडेड और प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को 10वीं और 12वीं में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवार्ड-2023 से सम्मानित किया गया। त्यागराज स्टेडियम में आयोजित अवार्ड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिरकत की। त्यागराज स्टेडियम के गेट पर मुख्यमंत्री को बैंड द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर किया गया और एनसीसी कैडेट्स उन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाए। सीएम समेत अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया और डीओई के टीचर्स ने स्वागत गीत पेश किया और मंच पर सीएम को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी, क्षेत्रीय विधायक मदन लाल, विधायक शिवचरण गोयल, विधायक भूपेंद्र जून, विधायक राजेश गुप्ता और विधायक महेंद्र समेत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

हम सरकारी स्कूलों को हर तरह की सुविधाएं दे रहे हैं, ताकि हर बच्चा अपने हुनर को निखार सके- अरविंद केजरीवाल

इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सभी बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि हर बच्चा भगवान की देन है। हर बच्चे की अपनी जिदंगी और यात्रा होती है। कुछ बच्चों को आज शिक्षा के क्षेत्र में अवार्ड मिले। इसका मतलब यह नहीं है कि जिन बच्चों को अवार्ड नहीं मिले, वो किसी मामले में कम हैं। भगवान ने हर बच्चे को कुछ न कुछ देकर भेजा है। हर बच्चे में कुछ न कुछ अच्छा होता है। हमारे स्कूलों और शिक्षा प्रणाली का फर्ज है कि हर बच्चा पूरी तरह से अपनी क्षमता को हासिल कर पाए, उसके लिए वैसा अवसर प्रदान करे। दिल्ली सरकार की हमेशा यही कोशिश रहती है। इसलिए हम दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में तरह-तरह की सुविधाएं देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि हर बच्चा अपने हुनर को निखार पाए। इसलिए जिन बच्चों को अवार्ड नहीं मिला है, उन्हें मायूस होने की जरूरत नहीं है। आप अपने क्षेत्र में अपने हुनर को आगे बढ़ाएं, हम आपके साथ खड़े हैं।

दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति का सबसे बड़ा श्रेय हमारे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जाता है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 7-8 साल के अंदर दिल्ली के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में आई क्रांति की चर्चा पूरी देश और विश्व में हो रही है। दिल्ली के अंदर आई शिक्षा क्रांति का श्रेय हमारे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जाता है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में 60-70 हजार टीचर काम करते हैं। हमारी सरकार ने किसी टीचर को बदला नहीं, आज भी वही टीचर हैं, जो पहले थे। मैं यह जरूर मानता हूं कि हमारी सरकार ने सरकारी स्कूलों में अच्छा माहौल दिया। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अंदर सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं हैं। शिक्षकों को सम्मान मिलता है, टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए आईआईएम और विदेशों में भेजा जाता है। अच्छा माहौल मिलते ही हमारे टीचर्स ने कमाल करके दिखा दिया। ऐसा लग रहा था कि जैसे टीचर्स अवसर मिलने का इंतजार कर रहे थे। हमारे स्कूलों के टीचर्स ने मात्र 5-7 साल के अंदर ही कमाल करके दिखा दिया और अब हमारे स्कूलों के बच्चे आईआईटी, मेडिकल के एग्जाम क्वालिफाई कर रहे थे।

हमारे टीचर्स का कमाल ही है कि अवार्ड पाने वाले ज्यादातर बच्चे टीचर बनना चाहते हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि आईआईटी व मेडिकल की परीक्षा पास करने वाले एक से डेढ़ हजार बच्चों और उनके पैरेंट्स के साथ मैंने त्यागराज स्टेडियम में संवाद किया था। लगभग हर बच्चे ने अपनी सफलता का श्रेय अपने किसी न किसी टीचर को दिया। कई बच्चों ने बताया कि उनके टीचर ने अपनी सैलरी के पैसे से किताब खरीद कर दी। ऐसे टीचर जिंदगी भर याद रहते हैं। 10वीं, 11वीं और 12वीं में ही बच्चे अपने आगे का रास्ता तय करता है। मुझे 10वीं क्लास के सारे टीचर्स के नाम आज भी याद है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार लेने आने वाले सभी बच्चों से पूछा कि वो आगे जाकर क्या बनना चाहते हैं तो 70-80 फीसद बच्चों ने जवाब दिया कि वो टीचर बनना चाहते हैं। हमारे सरकारी स्कूलों के टीचर ने ऐसा कमाल और जादू कर दिया है कि ज्यादातर बच्चे टीचर बनना चाहते हैं। इसका मतलब यह है कि हमारे टीचर्स बच्चों के सामने रोल मॉडल की तरह पेश आ रहे हैं।

1830 से पहले भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत शानदार थी, नालंदा व तक्षशिक्षा विश्वविद्यालय में दुनिया भर से बच्चे पढ़ने आते थे- अरविंद केजरीवाल

सीएम ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली 1830 के पहले बहुत शानदार थी। अगर हम प्राचीन भारत के इतिहास को देखे तो नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरी दुनिया के बच्चे पढ़ने आते थे। अंग्रेजों के आने के पहले हर गांव के अंदर एक गुरुकुल होता था और टीचर का दर्जा सबसे सुप्रीम होता था। गांव-समाज के अंदर सबसे ज्यादा इज्जत टीचर (गुरु) की होती थी। अंग्रेजों ने महसूस किया कि अगर हमने भारत की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद नहीं किया तो भारत के उपर राज करना मुश्किल होगा। अंग्रेजों ने लार्ड मैकाले को भेजा। मैकाले ने 1830-40 के बीच एक-एक कर सारे गुरुकुल बर्बाद कर हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। गुरुकुल में बच्चों को तरह- तरह के हुनर भी सिखाए जाते थे, रट्टा नहीं मरवाया जाता था। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर अंग्रेज रट्टा मारने वाली शिक्षा प्रणाली लेकर आए, जिसमें तरह-तरह की डिग्रियां तो मिलने लगीं, लेकिन रोजगार नहीं मिलता है।

अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली केवल क्लर्क पैदा करती है, इसे बदलने की जरूरत है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल कहा कि दुर्भाग्य वश यह हुआ कि आजादी के बाद हम लोगों ने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को नहीं बदला। सीएम ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके लिए मैं किसी को भी दोष नहीं दे रहा हूं, क्योंकि आजादी के बाद और बहुत सारे काम करने थे। शायद इसलिए शिक्षा प्रणाली की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया। आजादी के बाद दो काम करना बेहद जरूरी था। एक, हर गांव के अंदर पहले जो शिक्षा प्रणाली का विस्तार था, उसी तरह हमें गांव-गांव में स्कूल बनाने की जरूरत थी, वो स्कूल नहीं बनाए। दूसरा, अंग्रेजों के करिकुलम को बदलने की जरूरत थी। अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली केवल क्लर्क पैदा करती है। अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली बदलने की जरूरत थी। दिल्ली के अंदर हमने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को बदलने की शुरूआत की है, लेकिन हमारी बहुत छोटी सी सरकार है। जितना हम कर सकते हैं, उतनी कोशिश कर रहे हैं। मेरा मानना है कि अगर देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा दे दो तो ये बच्चे ही अपने परिवार व देश की गरीबी दूर कर देंगे और देश को विकसित बना देंगे। हमने दिल्ली में अच्छी शिक्षा देकर दिखा दिया है। आज दिल्ली के अंदर गरीब से गरीब बच्चे को भी अच्छी शिक्षा मिल रही है।

पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी, लेकिन अब प्राइवेट स्कूलों का मुकाबला कर रहे हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम ने कहा कि पूरे देश की तरह दिल्ली के अंदर भी पहले दो तरह की शिक्षा प्रणाली थी। एक प्राइवेट स्कूल थे और दूसरे सरकारी। पैसा है तो आप अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेजो और पैसा नहीं है तो मजबूरी में लोगों को सरकारी स्कूल में भेजने पड़ते थे। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के नाम कोई सुविधा नहीं थी। ऐसा नहीं है कि सारे प्राइवेट स्कूलों में सारी सुविधाएं हैं। फिर भी एक आदमी अपना पेट काटकर अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में ही भेजना चाहता था। राजनीति में आने से पहले मैं एक एनजीओ के जरिए झुग्गी-बस्तियों में काम करता था। वहां मैंने देखा है कि बहुत सारे लोग अपने बच्चे का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराते थे, लेकिन कुछ महीने में ही निकाल लेते थे, क्योंकि पढ़ाई नहीं होती थी। लेकिन अब दिल्ली के अंदर पहले वाला सिस्टम बदल गया है। अब दिल्ली के सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों का मुकाबला कर रहे हैं।

हमारे सरकारी स्कूलों के हर तरह की सुविधाएं हैं, जो प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा बेहतर है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकारी स्कूलों में बदलाव के शुरूआत दौर का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमारी सरकार बनी तो कई लोगों ने कहा कि सरकारी स्कूलों को ठीक करना है तो यह अनिवार्य कर दीजिए कि सभी मंत्रियों, विधायकों, अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे। मुझे यह अनिवार्य करने वाला सिस्टम ठीक नहीं लगा। हमने कहा कि हम सरकारी स्कूलों को इतना अच्छा करेंगे कि लोग अपनी मर्जी से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजेंगे। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी कि हम यह उपलब्धि इतनी जल्दी हासिल कर लेंगे। हमें लगा था कि 15-20 साल लग जाएंगे। आज मुझे बेहद खुशी है कि हमने 7-8 साल के अंदर ही यह उपलब्धि हासिल कर ली कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों से मुकाबला कर रहे हैं। सरकारी स्कूलों के नतीजे, प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं। नीट और जेईई के क्षेत्र में उत्तीर्ण होने का औसत सरकारी स्कूलों का प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रही है। सरकारी स्कूलों के अंदर स्पोर्ट्स, कल्चरल समेत तरह-तरह की सुविधाएं हैं, ये सुविधाएं प्राइवेट स्कूलों से 90 फीसद ज्यादा बेहतर है।

अब संपन्न घरों के बच्चे बड़े प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में आ रहे हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में हमारा उद्देश्य समान शिक्षा प्रणाली देने का था। हमारा मानना है कि अमीर और गरीब के बच्चों एक जैसी शिक्षा मिलनी चाहिए, आज हमने यह उपलब्धि हासिल कर ली है। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अमीर-गरीब दोनों के बच्चे पढ़ने जाते हैं। सीएम ने एक सरकारी स्कूल की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे पता चला था कि कई संपन्न लोगों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर उस स्कूल में भर्ती कराया है। मैंने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवा कर उस क्लास में पढ़ रहे बच्चों के बारे में पूछा तो 7-8 बच्चे ऐसे निकले। उनमें से एक बच्चे ने बताया कि वो सेंट कोलंबस स्कूल से नाम कटवा कर आया है। सेंट कोलंबस स्कूल से कोई बच्चा नाम कटवा कर हमारे सरकारी स्कूल में पढ़ने आया है तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है? मैं समझता हूं कि आज हमने दिल्ली के अंदर एक समान शिक्षा प्रणाली स्थापित की है।

हमारे बच्चे बड़ी-बड़ी डिग्रियां तो ले लेते हैं, लेकिन उनको नौकरी नहीं मिलती है, ऐसी शिक्षा का क्या फायदा?- अरविंद केजरीवाल

सीएम ने आगे कहा कि आज हमारे देश के अंदर रोजगार की बहुत बड़ी समस्या हो गई है। हमारे बच्चे शिक्षा को पूरी कर लेते हैं, कई डिग्रियां भी ले लेते हैं, लेकिन उनको नौकरी नहीं मिलती है। अगर नौकरी ही नहीं मिले तो ऐसी डिग्री और शिक्षा का क्या फायदा। इसलिए हम लोगों ने दिल्ली के स्कूलों के अंदर बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया था। यह प्रोग्राम 11वीं और 12वीं बच्चों के लिए है, जिसमें उनको बिजनेस करना सिखाया जाता है। हर बच्चे को सीड मनी दी जाती है। इस पैसे से बच्चे छोटा-छोटा बिजनेस शुरू करते हैं। इस बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम से एक बड़ी बात यह हुई कि अब जब हम सरकारी स्कूलों के 11वीं, 12वीं के बच्चों से बात करते हैं, तो सब बच्चों ने कहा कि आगे जाकर अपना बिजनेस करूंगा और दो-चार लोगों को नौकरी दूंगा। हर बच्चे ने कहा कि उसे नौकरी देने वाला बनना है, नौकरी मांगने वाला नहीं बनना है। सब बच्चों में अब यह भावना आ गई है।

हमारी शिक्षा का मतलब तभी सार्थक होगा, जब बच्चा अपना रोजगार करने में सक्षम होगा- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने अंत में कहा कि अब हम बिजलेस ब्लास्टर्स और आंत्रप्रिंन्योरशिप प्रोग्राम को कॉलेजों में शुरू करना चाहते हैं। हम कॉलेजों में फाइनल इयर और प्री-फाइनल इयर के बच्चों को बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम के अंदर लेकर आएंगे, ताकि जब ये बच्चे कॉलेज से डिग्री लेकर बाहर निकलें तो वो नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनना शुरू करें। आज हमारी अर्थव्यवस्था के अंदर तरह-तरह के अवसर हैं। अगर बच्चे इस मानसिकता के साथ कॉलेज से डिग्री लेकर बाहर निकलें कि मुझे बिजनेस करना है, नौकरी नहीं मांगनी है। अगर हम बच्चों की इस मानसिकता को बदलने में कामयाब हो गए कि नौकरी नहीं, बिजनेस करना है तो देश की अर्थव्यवस्था के अंदर बहुत बड़ी क्रांति आ जाएगी। हम इस साल बजट के अंदर दिल्ली के कॉलेजों में बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोगाम और आंत्रप्रिन्योरशिप के लिए पैसा रख रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि जैसे स्कूलों में यह प्रोग्राम सफल हुआ है, वैसे ही कॉलेजो में सफल होगा। इसके बाद हमारी शिक्षा का एक मतलब तभी सार्थक होगा जब शिक्षा पाने के बाद बच्चा अपना रोजगार करने में सक्षम बनेगा।

दिल्ली के सरकारी स्कूल, प्राइवेट से आगे निकल गए हैं, चार साल में 3 लाख से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर हमारे स्कूलों में एडमिशन लिया – आतिशी

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि हम अपने स्कूलों में जो देख रहे हैं, वह सिर्फ आज की तस्वीर नहीं है, बल्कि आने वाले सालों में हमारे देश की क्या तस्वीर होने वाली है, वह दिखाती है। आज हमारे स्कूलों में पढ़ाई का जो माहौल है. बच्चों में जिस एक्सीलेंस को देख रहे है. शिक्षकों के टीचिंग-लर्निंग के तरीकों में जो बदलाव देख रहे हैं, इन सब पर बहुत गर्व होता है. ये बातें दिखाती है कि आने वाले 20-30 सालों में हमारा देश किन ऊंचाइयों तक जाएगा। उन्होंने कहा कि आज जिन देशों को विकसित मानते हैं. जिन्हें हर चीज में आगे माना जाता है। चाहे वह अमेरिका हो या फिर यूरोपीय देश। ये सारे देश दुनिया में विकसित इसलिए माने जाते हैं, क्योंकि इन सभी देशों ने अपने हर अमीर और गरीब बच्चे को सबसे शानदार शिक्षा दी। यह सपना दिल्ली और दिल्ली के हर बच्चे के लिए 9 साल पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देखा था। अमीर और गरीब, हर परिवार से आने वाले बच्चे को बराबरी का अवसर मिलना चाहिए। इसी प्रयास में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति आई है। जिसको हमारे बच्चे अपने एकेडमिक और अन्य क्षेत्रों में एक्सीलेंस के माध्यम से दिल्ली सहित पूरे देश को दिखा रहे हैं।

पिछले 7 साल से लगातार दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं- आतिशी

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि हम यह सपना देखा करते थे कि एक दिन सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से आगे निकल जाएंगे। 9 साल पहले जब यह बात हुआ करती थी तो बहुत से लोग हम पर हंसते थे। उनको लगता था कि टूटे-फूटे सरकारी स्कूल, जहां ग़रीब परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं, टीचर पढ़ाते नहीं हैं, वो सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से आगे कैसे निकल सकते हैं। लेकिन आज 9 साल के अथक प्रयास के बाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने हर क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 7 साल से लगातार दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट से बेहतर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक जमाना था कि जब प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए लंबी लाइन लगा करती थी। इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए सिफारिशें आती थीं, लेकिन अब दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में 6 हजार सीटों के लिए 1.5 लाख से ज़्यादा बच्चों ने आवेदन किया है। मंत्री आतिशी ने कहा कि आज सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के लिए प्राइवेट स्कूल के बच्चे कतार में खड़े हैं। पिछले 4 साल में 3 लाख से ज़्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया है। हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे नई ऊंचाइयां छू रहे हैं और आईआईटी, जेईई, नीट की परीक्षाएं पास कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। पिछले साल इनकी संख्या 2 हजार से अधिक रही। शिक्षा मंत्री ने कहा कि एकेडमिक्स के अलावा भी हमारे बच्चे दूसरे क्षेत्रों में अव्वल हैं। चाहे वह स्पोर्ट्स हो, डिबेट हो या फिर कोई एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी। पहले माना जाता था कि ऐसी गतिविधियां केवल प्राइवेट स्कूलों में होती हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में भी दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आगे बढ़ रहे हैं।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का भी हो रहा सर्वांगीण विकास- आतिशी

उन्होंने कहा कि एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास पर भी विशेष बल दिया जाता है। एक जमाना ऐसा था, जब किसी घर में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा देना तो दूर उन्हें घर के भीतर हो रखा जाता था, लेकिन आज दिल्ली सरकार के स्कूलों ने इन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया है और आज हमारे स्कूलों में 23 हज़ार से ज़्यादा विशेष आवश्यकता वाले बच्चे शानदार शिक्षा ले रहे हैं। दिल्ली सरकार उनकी हर प्रकार की विशेष आवश्यकताओं के लिए स्पेशलाइज्ड शिक्षक मुहैया करवा रही है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि जहां पूरे देश में शिक्षा के अधिकार के तहत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को 8वीं कक्षा तक की सुविधा दी जाती है, उस समय भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ऐसे बच्चों को 12वीं तक सुविधाएं देते हैं।

प्रिंसिपल, शिक्षक और एसएमसी ने निभाई अहम भूमिका- आतिशी

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि आज हमारे स्कूल जहां पहुंचे हैं, उसके लिए हमारे प्रिंसिपल और शिक्षकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। इनके साथ-साथ हमारे स्कूलों के पैरेंट्स और हमारी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने भी स्कूलों को शानदार बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने पिछले 8 सालों से जी-जान लगाकर स्कूलों को बेहतर बनाने का काम किया है। मुझे खुशी है कि आज एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवार्ड के तहत हम अपने स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों को भी सम्मानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 9 साल पहले जो सपना देखा, उसकी वजह से हमारे सरकारी स्कूल और उसमें पढ़ने वाले बच्चे नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। आज सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाला बच्चा न केवल सपने देख सकता है, बल्कि अपने सपनों को साकार भी कर सकता है। मुझे लगता है ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है।

मेधावी दिव्यांग बच्चों ने सीएम को किया प्रभावित

सबसे पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों और 5 सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के 49 बच्चों को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले दिव्यांग बच्चों को सम्मानित किया गया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने हाथों से इन दिव्यांग बच्चों को सम्मानित किया। इस दौरान सीएम ने इन बच्चों से बात भी की और इनके उत्साह और प्रदर्शन बेहद प्रभावित हुए।

शानदार प्रदर्शन करने वाले बच्चों के साथ स्कूल भी पुरस्कृत

इस दौरान दो कटेगरी में पुरस्कार दिए गए। पहली कटेगरी में 10वीं और 12वीं के छात्रों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया था। दूसरे कटेगरी में स्कूलों को सम्मानित किया गया। दिल्ली के अंदर स्टेट, डिस्ट्रक्ट और जोनल स्तर पर अच्छा काम करने वाले स्कूलों को चिंहित किया गया और उन्हें सम्मानित किया गया। इसमें दिल्ली के सरकारी, एडेड और प्राइवेट तीनों स्कूलों को शामिल किया गया था। इसके अलावा, जिन स्कूलों ने अपने प्रबंधन में अच्छी उपलब्धियां हासिल की है, उनको भी सम्मानित किया गया।

बच्चों ने हरियाणवी लोकगीत पेश कर किया मंत्रमुग्ध

इस दौरान स्कूली बच्चों ने हरियाणवी लोकगीत भी प्रस्तुत किया। यह गीत नव विवाहिताओं में शादी में मिले उपहार को लेकर कैसी खुशी होती है, उसे उजागर करता है। स्कूली बच्चों ने गीत को बड़ी शानदार तरीके से प्रस्तुत किया, जिसने स्टेडियम में मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सीएम ने इन कटेगरी में स्कूलों को किया पुरस्कृत

स्टेट बेस्ट स्कूल के लिए चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी 1 स्कूल दिया गया। डिस्ट्रिक्ट बेस्ट स्कूल के लिए एजुकेशन मिनिस्टर ट्राफी से 13 स्कूलों को नवाजा गया। जोनल बेस्ट स्कूल के खिताब 20 स्कूलों को दिए गए। बेस्ट आरपीवी/एसओई/एसओएसई की ट्रॉफी 1 स्कूल को दी गई। रीजन बेस्ट गवर्नमेंट एडेड स्कूल का खिताब 1 स्कूल को मिला। वहीं, रीजन बेस्ट रिकॉगनाइज्ड प्राइवेट अनएडेड स्कूल का पुरस्कार 3 स्कूलों को दिया गया। गवर्नमेंट स्कूल विद बेस्ट एसएमसी अवॉर्ड 2023 (डिस्ट्रिक्ट लेवल) 12 स्कूलों ने हासिल किया।

218 बच्चों ने किया टॉप

दिल्ली के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले 54 डिफ्रेंटली एबल्ड समेत कुल 218 बच्चों ने विभिन्न स्तर पर टॉप किया है। इनमें से 19 ने राज्य स्तर, 141 ने जिला स्तर और 58 बच्चों ने जोनल स्तर पर टॉप किया है।

सरकारी स्कूल के टॉपर बच्चे

सरकारी स्कूलों के 12वीं में पढ़ने वाले कुल 91 बच्चों ने विभिन्न स्ट्रीम में टॉप किया। इनमें से 3 बच्चों ने स्टेट लेवल पर टॉप किया है। जबकि, जिला स्तर पर 50 बच्चों ने टॉप किया है। जोनल लेवल की बात की जाए तो इसमें 38 बच्चों ने जगह बनाई है। वहीं, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 10वीं के बच्चों की बात करें तो इसमें 30 बच्चों ने टॉप किया है। इनमें से 2 बच्चों ने स्टेट लेवल पर टॉप किया है. जबकि, 17 बच्चों ने जिलास्तर पर मेरिट में अपनी जगह बनाई है। वहीं, 11 बच्चों ने जोनल लेवल पर टॉप किया है।

सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के टॉपर बच्चे

सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले 12वीं के कुल 23 बच्चों ने विभिन्न स्ट्रीम में जिला स्तर पर टॉप किया है। वहीं, 10वीं के बच्चों की बात की जाए तो 10 बच्चों ने जिला स्तर पर टॉप किया है।

राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय (आरपीवीवी) के टॉपर बच्चे

आरपीवीवी में पढ़ने वाले 12वीं के बच्चों की बात की जाए तो इनमें से विभिन्न स्ट्रीम में 3 ने स्टेट लेवल पर टॉप किया है। वहीं, 10वीं में 1 बच्चे ने स्टेट लेवल पर टॉप किया है।

स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (एसओई) और स्कूल ऑफ स्पेलाइज्ड एक्सीलेंस के टॉपर बच्चे

एसओई और एसओएसई के 12वीं में पढ़ने वाले विभिन्न स्ट्रीम के 5 बच्चों ने स्टेट लेवल पर टॉप किया है. जबकि, 10वीं में पढ़ने वाले 1 बच्चे ने राज्य में टॉप किया है।

सरकारी स्कूलों के डिफ्रेंटली एबल्ड टॉपर बच्चे

सरकारी स्कूलों में 12वीं में पढ़ने वाले विभिन्न स्ट्रीम के डिफ्रेंटली एबल्ड बच्चों में से कुल 31 ने टॉप किया है। इनमें से 3 ने राज्य स्तर, 22 ने जिला स्तर और 6 ने जोनल स्तर पर टॉप किया है। वहीं, 10वीं में पढ़ने वाले डिफ्रेंटली एबल्ड बच्चों में से 18 ने टॉप किया है। इनमें से 1 ने राज्य स्तर, 14 ने जिला स्तर और 3 ने जोनल स्तर पर जगह बनाई है।

सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के डिफ्रेंटली एबल्ड टॉपर बच्चे

सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 12वीं में पढ़ने वाले विभिन्न स्ट्रीम के डिफ्रेंटली एबल्ड बच्चों में से 2 ने जिला स्तर पर टॉप किया है। वहीं, 10वीं में 3 बच्चों ने जिलास्तर पर अपनी जगह बनाई है।

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