कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने भारत में जाति, नृजातीय, धार्मिक अल्पसंख्यक एवं महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर संगोष्ठी में हिस्सा लिया
समाज के पिछड़े एवं हाशिए पर रहने वाले तबकों को शिक्षा एवं रोजगार के माध्यम से मुख्यधारा में लाने की दिशा में अनेक कदम उठाए
अपने निवास स्थान पर मान्यवर साहेब कांशी राम जी के 13वें महापरिनिर्वाण दिवस पर पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया
• दिल्ली सरकार ने समाज के पिछड़े एवं हाशिए पर रहने वाले तबकों को शिक्षा एवं रोजगार के माध्यम से मुख्यधारा में लाने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। यह बात दिल्ली के अनुसूचित जाति/जनजाति मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने आज राजनीतिक प्रतिनिधित्व परिचर्चा में ‘भारत में जाति, नृजातीय, धार्मिक अल्पसंख्यक एवं महिला भागीदारी’ विषय पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक संगोष्ठी में कही।
इस अवसर पर गौतम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने कार्यकाल में ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ और ‘डॉक्टर अंबेडकर उच्च शिक्षा फैलोशिप योजना’ जैसे कल्याणकारी शैक्षिक कदम उठाए हैं । इन योजनाओं के क्रियान्वयन में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि वंचित समाज के बच्चों को वे सभी समान अवसर प्राप्त हो, जिससे वे इन योजनाओं द्वारा यह अपने उज्जवल भविष्य निर्माण में सफल हो सके।
एक ऐसा ही उदाहरण है इन बच्चों को ढाई हजार रुपए की राशि कोचिंग सेंटर तक आने-जाने के लिए दी जा रही है, इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों ने बड़ी संख्या में कोचिंग में दाखिला लिया।
उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘सीवर सफाई मशीनीकरण योजना’ के तहत इस कार्य में लगे समाज के विशेष वर्ग के लोगों को आर्थिक मजबूती देने का प्रयास हुआ है । एक तरफ जहां मशीनीकरण से सीधे तौर पर सीवर सफाई में अमानवीय भूमिका खत्म हुई है, वहीं मशीनीकरण से जुड़े कार्यों में समाज के विशेष लोगों के लिए रोजगार सृजन हुआ है जिससे मानवीय गरिमा के साथ रोजगार की संभावना बनी है।
गौतम ने कहा कि बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान के परिणाम स्वरुप जनप्रतिनिधि आरक्षित सीटों पर विधानसभाओं और संसद में पहुंचते हैं। यह प्रतिनिधि अपने समाज की आवाज को सदन में सही तरीके से उठाएं तो कोई कारण नहीं कि समाज का समग्र विकास ना हो।
जनप्रतिनिधियों से ऐसी अपेक्षा उचित भी है क्योंकि इस काम के लिए उन्हें चुना जाता है आरक्षित स्थानों से चुने जाने वाले प्रतिनिधि ही विधानसभाओं और संसद में शब्दों के अक्षरशः भाव को आचरण में उतार कर ही डॉक्टर अंबेडकर को उचित श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
इसके बाद, गौतम ने अपने निवास स्थान पर मान्यवर साहेब कांशी राम जी के 13वें महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। उन्हें याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज समाज को कांशी राम जी जैसे नेतृत्व कि जरूरत है और मेरी कोशिश है कि मैं बाबासाहेब अम्बेडकर और मान्यवर कांशी राम के पदचिन्हों पर चलते हुए समाज को एकजुट करने का प्रयास कर, जाति विहीन समाज की कल्पना को हकीकत बना सकें। इसी दिशा में लगातार समाज को जागृत करने का काम कर रहा हूं।
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