दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली जल बोर्ड को राजनीति से प्रेरित निर्देश पर कड़ा ऐतराज जताया। मंत्री ने अधिकार क्षेत्र में होने के बाद भी डीजेबी के कामकाज में दखल देने के लिए उपराज्यपाल कार्यालय की कड़ी आलोचना भी की।
दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बयान जारी कर कहा है कि एलजी साहब इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों की तरह दिल्ली जल बोर्ड भी फंड की कमी से जूझ रहा है। यह समस्या कई महीनों से बनी हुई है क्योंकि वित्त विभाग के अधिकारी बार-बार बेवजह जानकारी मांग रहे हैं। प्रमुख सचिव वित्त द्वारा सितंबर 2022 से ही बार बार जानकारी मांगने की वजह से डीजेबी को दिल्ली सरकार द्वारा 2021-22 के लिए आवंटित पूरी धन राशि भी प्राप्त नहीं हुई है। इस संबंध में विधानसभा समितियों, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बैठकों के साथ-साथ सार्वजनिक मंचों के माध्यम से उपराज्यपाल के संज्ञान में लाया गया है।
उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए कैबिनेट और विधान सभा द्वारा विधिवत स्वीकृत बजट को प्रमुख सचिव वित्त क्यों रोके हुए हैं। एलजी साहब निर्वाचित सरकार द्वारा शुरू किए गए यमुना की सफाई के काम का श्रेय लेने के लिए मीडिया के साथ नावों पर सवारी करने में रुचि रखते हैं, लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र के तहत मुद्दों को हल करने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाते, चाहे वो कानून- व्यवस्था हो, डीडीए की अक्षमता हो या सर्विस से जुड़े मामले हो।
दिल्ली विधानसभा से कई बार एलजी साहब से अनुरोध किया गया था कि वह प्रमुख सचिव वित्त के खिलाफ कार्रवाई करें। वे दिल्ली सरकार के कार्यों में रोड़े अटका रहे हैं। यह अविश्वसनीय है कि एक अधिकारी सर्विस विभाग के प्रभारी एलजी साहब के समर्थन के बिना निर्वाचित सरकार के निर्देशों की अवहेलना कर सकता है। डीजेबी को फंड जारी करने के लिए मंत्री (वित्त), मंत्री (जल), प्रमुख सचिव वित्त, सीईओ, डीजेबी और डीजेबी और वित्त विभागों के अन्य अधिकारियों के स्तर पर विभिन्न उच्च स्तरीय बैठकें की गई हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वित्त विभाग के प्रमुख सचिव डीजेबी की सेवाओं को बाधित करने पर आमादा हो।
उपराज्यपाल कार्यालय एक ओर नियमित प्रेस विज्ञप्ति भेज रहा है जैसे कि वही डीजेबी के प्रशासन को चला रहा है और दूसरी ओर दोषी अधिकारियों के खिलाफ एलजी की निष्क्रियता के चलते दिल्ली सरकार में वित्तीय संकट पैदा हो रहा है। इससे समझा जा सकता है कि दोषी अधिकारियों को किस तरह का एलजी से समर्थन प्राप्त है।
डीजेबी ने हरियाणा द्वारा लगातार छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी को वजीराबाद पौंड में उपचार करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। इसी तरह, यमुना की सफाई के लिए तैयार की गई अन्य योजनाएं भी वित्त सचिव द्वारा दिल्ली जल बोर्ड को फंड जारी करने में जानबूझकर की जा रही देरी के कारण अटकी हुई हैं।
जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी हरियाणा के रेत माफिया और हरियाणा में डीडी-2 और डीडी-8 के जरिए औद्योगिक कचरा डालने के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। बता दे कि 8 मार्च 2023 को मंत्री द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया घरानों को साक्ष्य साझा किया गया कि हरियाणा में 32 से अधिक स्थानों पर बड़े स्तर पर अवैध रेत खनन हो रहा है और हरियाणा द्वारा डीडी-2 और डीडी-8 द्वारा औद्योगिक कचरे को यमुना में डाल दिया जाता है। इससे ध्यान हटाने के लिए एलजी ने वजीराबाद डब्ल्यूटीपी का दौरा किया और अधिकारियों को इस तरह डांट लगाई जैसे कि डीजेबी अधिकारियों द्वारा ही औद्योगित कचरे को डाला गया हो। ऐसा लगता है कि एलजी कार्यालय से सोमवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति अवैध बालू खनन के मुद्दे से मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए एलजी की एक चाल है।
सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा है कि एलजी साहब दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख होने के बावजूद भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। एलजी साहब ने दिल्ली के हिस्से का पानी छोड़ने के लिए हरियाणा के साथ कोई प्रयास नहीं किया है और न तो रेत खनन और हरियाणा से औद्योगिक कचरा डालने के मुद्दे को ही आगे बढ़ाया है। यमुना में अवैध रेत खनन अभी भी चल रहा है।
हाल ही में 2022 के ओए संख्या 581 के मामले में केंद्र सरकार की एजेंसी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा कोर्ट में एक हलफनामादायर किया गया। इसमें एनएमसीजी ने कहा है कि भाजपा शासित हरियाणा सरकार द्वारा केंद्र सरकार 7 अक्टूबर 2016 को जारी आदेश का उल्लंघन करते हुए यमुना में अवैध खनन की गतिविधि को अंजाम दे रही है।
“ऐसा लगता है कि उपराज्यपाल हरियाणा की भाजपा सरकार के संरक्षण में चल रहे अवैध खनन मामले में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों पर दोष मढ़कर रेत माफियाओं को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि ये अधिकारी अपने सीमित संसाधनों में दिल्ली को साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। डीजेबी के अधिकारियों को दोष दे रहे एलजी को उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए जो दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के कामकाज को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। विधानसभा समितियों ने मोहल्ला क्लीनिकों, अस्पतालों, वरिष्ठ नागरिकों को कल्याणकारी पेंशन, यमुना की सफाई आदि सामाजिक कार्यों को रोकने में वर्तमान प्रमुख सचिव वित्त की भूमिका को स्पष्ट रूप से बताया। तथ्यात्मक रूप से गलत स्थिति के आधार पर इस तरह के पत्र जारी कर एलजी साहब एनजीटी द्वारा दिए गए निगरानी समिति के अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पेयजल आपूर्ति में एलजी की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह राज्य का विषय है और वे इस तरह के पत्र लिखकर और विभाग के अधिकारियों को हतोत्साहित करके अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं।