- संस्कृत अकादमी पूरी दिल्ली में 75 सेंटर खोलेगी
- तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स चलाया जाएगा
- लोगों में संस्कृत सीखने का शौक पैदा करने के मकसद से की जा रही है ये पहल
- अपने आसपास, पूजा-पाठ, संस्कार इत्यादि में प्रयोग होने वाली संस्कृत सीख सकेंगे लोग
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार व्यवहारिक जीवन में उपयोग में आने वाली संस्कृत सिखाएगी। इसके लिए बाकायदा तीन महीने का कोर्स होगा और सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज ये जानकारी दी।
दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा को रुचिकर बनाने के प्रयास के तहत दिल्ली सरकार की संस्कृत अकादमी आम लोगों के लिए तीन महीने का एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करेगी। पूरी दिल्ली में इसके 75 सेंटर शुरू किये जाएंगे। इस कोर्स की फीस भी बहुत नाममात्र होगी।
मनीष सिसोदिया ने कहा, “हम लोग कम से कम 10वीं तक संस्कृत तो पढ़ते ही हैं लेकिन वहां हम भाषा पर जोर देते हैं। व्याकरण, रूप इत्यादि पर वहां जोर दिया जाता है लेकिन संस्कृत का व्यवहारिक ज्ञान नहीं मिल पाता। इसलिए हम ये पहल कर रहे हैं कि लोग संस्कृत को सीख सकें, संस्कृत को समझ सकें। हमारी कोशिश ये है कि लोग अपने आसपास की संस्कृत, अपने पूजा-पाठ, संस्कार इत्यादि में प्रयोग होने वाली संस्कृत सीख सकें। इसका एक कोर्स हम डिजाइन करा रहे हैं।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा, “आम जनता में संस्कृत सीखने का शौक पैदा करने के उद्देश्य से ये कोर्स डिजाइन किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य यह है कि जिस तरह लोग उर्दू और व्यवहारिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली अंग्रेजी सीखते हैं, उसी तरह संस्कृत भी सीखने के लिए प्रेरित हो सकें।“
इससे संबंधित एक उदाहरण देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि जब हम पूजा-पाठ करवाते हैं तो आमतौर पर हमें पता ही नहीं होता कि संस्कृत के मंत्रों का क्या भाव है, उनका क्या अर्थ है। हम बस पंडित-पुरोहित के इशारे पर फूल-माला, पैसा इत्याति चढ़ाते रहते हैं लेकिन हमें इसका भाव पता नहीं होता। इस कोर्स से लोग इस तरह की व्यवहारिक संस्कृत सीख सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि मनीष सिसोदिया ने हाल ही में कला, संस्कृति और भाषा मंत्रालय का कार्यभार संभाला है।
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