मोदी सरकार ने अपनी संस्थागत विफलता को छिपाने के लिए आनन-फानन में नीट का रिजल्ट जारी किया था। एनटीए ने 14 जून को नीट का रिजल्ट जारी करने का समय निर्धारित किया था, लेकिन मोदी सरकार ने सरकारी सिस्टम की विफलता को छिपाने के लिए 4 जून को हो रहे लोकसभा चुनाव की मतगणना के साथ ही नीट का रिजल्ट जारी कर दिया। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय महासचिव संगठन एवं सांसद डॉ. संदीप पाठक ने मोदी सरकार पर यह तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा नेताओं का नीट परीक्षा में स्थानीय स्तर पर गड़बड़ी होने का दावा पूरी तरह गलत है, क्योंकि देश के कई हिस्सों में पेपर लीक हुए। साथ ही, इसकी मार्किंग में भारी गडबड़ियां हुई है। बिना आधार के ग्रेस मार्क दिए। मार्किंग में गड़बड़ी का होना केंद्रीय शिक्षा मंत्री के स्थानीय स्तर पर गड़बड़ी होने के दावे को गलत साबित करता है। अब शिक्षा मंत्री ने परीक्षा में गड़बड़ी की नैतिक जिम्मेदारी ले ली है। इसलिए प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए और अपने शिक्षा मंत्री से इस्तीफा ले लेना चाहिए।
सांसद डॉ. संदीप पाठक ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि 4 जून को लोकसभा चुनाव और नीट परीक्षा के रिजल्ट आए। सवाल उठता है कि ऐसे क्या कारण थे, जिसकी वजह से आपने लोकसभा चुनाव के नतीजे वाले दिन ही नीट परीक्षा के परिणाम भी घोषित किए। क्या सरकार ने अपनी संस्थागत विफलताओं को दबाने के लिए जानबूझकर उसी दिन रिजल्ट निकाला। भाजपा सरकार और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि केवल कुछ ही जगहों पर नीट परीक्षा में धांधली हुई है। लेकिन इस परीक्षा में दो तरह की धांधली हुई है। पहला, नीट परीक्षा के पेपर लीक हुए हैं। गुजरात, हरियाणा, बिहार में पेपर लीक हुए हैं और पुलिस ने इसमें कई लोगों को गिरफ्तार किया है। 50-60 लाख रुपए में पेपर बेचा गया। शुक्रवार को पता चला कि रांची में भी नीट का पेपर लीक हुआ है। इससे पता चलता है कि पेपर लीक का ये मामला किसी एक जगह तक सीमित या स्थानीय नहीं है। ये इंटर स्टेट नेटवर्क है। अभी कुछ ही जगहों का राज बाहर आया है। आने वाले समय में हमें इस नेटवर्क के बारे में और भी पता चलेगा।
उन्होंने कहा कि दूसरी समस्या मार्किंग की है। अगर आप पेपर लीक की बात एक तरफ कर दें तो बच्चों की मार्किंग में भी गड़बड़ियां हुई हैं। हरियाणा में झज्जर के एक ही सेंटर के 67 बच्चों की पहली रैंक आई है। कई बच्चों को 718-719 मार्क्स मिले हैं, जो असंभव है। वहीं, ग्रेस मार्क्स का आधार भी साफ नहीं है। मार्किंग की ये गड़बड़ियां शिक्षा मंत्री के तर्क को ध्वस्त करती है। अगर ये स्थानीय असफलता होती तो माना जा सकता था कि पूरे सिस्टम में किन्हीं एक-दो लोगों ने पेपर बेच दिया। लेकिन जब आपकी मार्किंग में भी गड़बड़ियां दिखती हैं तो पेपर लीक का मामला उसके सामने बड़ी छोटी सी लगता है। यह एक संस्थागत धांधली है। जो कि मार्किंग और ग्रेस मार्किंग में साफ दिख है।
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि पहले दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ लोग जान बूझकर इसपर राजनीति कर रहे हैं। कुछ दिन बाद जब और चीजें सामने आने लगीं तब उन्होंने कहा कि यह केवल कुछ जगहों पर ही हुआ है। जब उनसे पूछा गया कि इतना सब होने के बात भी आप इस परीक्षा को रद्द क्यों नहीं करते हैं? इसपर उनका जवाब है कि जो बच्चे पास हुए हैं, उनके साथ गलत हो जाएगा। लगता है कि शिक्षा मंत्री को ये नहीं मालूम कि नीट परीक्षा में प्रतिशत के आधार पर रैकिंग की जाती है। अगर 2-3 प्रतिशत का भी अंतर आ जाता है तो पूरा रैंक बदल जाता है। इससे जनरल, ओबीसी, एससी एसटी समेत सारे बच्चों के कट ऑफ में बदलाव हो जाता है। जब कट-ऑफ थोड़ा भी शिफ्ट होता है तो हजारों बच्चे रैंकिंग में उपर-नीचे आ जाते हैं। कट ऑफ में बदलाव होने से समान्य वर्ग, ओबीसी और एससी, एसटी के सारे बच्चों कट ऑफ बदल जाएंगे। क्योंकि आपने एक विशेष एरिया में पेपर को बेचकर उन बच्चों के नंबर को बढ़ा दिया। ऐसे में पेपर को रद्द न करना उन बच्चों के साथ नाइंसाफी होगी जो पेपर लीक के चलते कट ऑफ चेंज होने के कारण हजारों बच्चे पास नहीं हो पाए। ये एक संस्थागत धोखाधड़ी और धांधली का मामला है। नीट पेपर लीक का मामला कई राज्यों से संबंधित मामला है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसमें पूरा एनटीए फेल हुआ है। इसके लिए सीधे तौर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं।
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि कुछ समय पहले यूजीसी और नेट की भी परीक्षाएं हुई थी। जिस दिन यूजीसी नेट की परीक्षाएं हुई, उसके दूसरे दिन ही इसे रद्द कर दिया गया। क्योंकि इस परीक्षा का पेपर भी लीक हो गया था। एक के बाद एक पेपर लीक होने के मामले सामने आ रहे हैं। यह पूरे के पूरे सिस्टम की असफलता और धोखाधड़ी को दर्शाता है। 18 और 19 फरवरी को उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा हुई थी। इसका भी पेपर लीक हो गया था। यह परीक्षा कराने के लिए गुजरात की एक प्राइवेट कंपनी एक्यूटेस्ट प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी दी गई थी। क्या पूरे सरकार का इतना बड़ा तंत्र खाली है जो एक प्राइवेट कंपनी को परीक्षा कराने के लिए दे रहे हैं? उस कंपनी का मालिक देश छोड़कर अमेरिका भाग गया। प्रधानमंत्री मोदी ने उसे क्यों भागने दिया। सीएम योगी बुलडोजर चलाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वो गुजरात की उस कंपनी के पास बुल्डोजर लेकर नहीं गए। जिसने आपके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। आप गरीब असहाय लोगों के घर पर बुलडोजर लेकर पहुंच जाते हो। यहां आप क्यों नहीं गए?
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि इस देश में पैदा होने वाले हर बच्चे और उनके माता पिता को उम्मीद होती है कि उनका बेटा डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस या आईएएस बनेगा। उन्हें उम्मीद होती है कि उनके पास भले ही पैसे नहीं है लेकिन इसमें धांधली नहीं है, मेरा बच्चा मेहनत करके इस परीक्षा को निकाल लेगा। गांव का जब कोई बच्चा बाहर शहर में परीक्षा की तैयारी करने जाता है तो उसके मां-बाप अपनी चीजें गिरवी रख देते हैं। ताकि आधे पेट खाना खाकर अपने बच्चे को पढ़ा सकें और उनका बच्चा परीक्षा पस कर ले। इसी तरह नीट में 24 लाख बच्चे परीक्षा करने के लिए बैठते हैं, जेईई में 14 लाख, यूजीसी नेट में 9 लाख, यूपीएसी में 15-16 लाख, कैट में 3 लाख, एसएससी में 13 लाख, क्लर्क में 30-40 लाख, बैंक पीयू में 25 लाख और रेलवे में लाखों बच्चे परीक्षा के लिए बैठते हैं। पिछले सात सालों में एक के बाद एक 70 पेपर लीक हुए हैं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है। मेरा सबसे निवेदन है कि इस पर राजनीति न करें, ये देश के भविष्य का सवाल है। पिछले 10 साल से प्रधानमंत्री मोदी की सरकार है, लेकिन उन्होंने पेपर लीक के खिलाफ कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी श्रेष्ठ भारत बनाने की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ वो अपने देश के बच्चों के भविष्य को बेच रहे हैं।
सांसद डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि मध्यप्रदेश में व्यापम परीक्षा में हुई धांधली में पहली एफआइआर दर्ज होने में 8 साल लग गए। भाजपा सरकार भर्ती परीक्षाओं में घोटाले और गड़बड़ियां रोकने के लिए प्रिवेंशन ऑफ अनलॉफुल एक्टिविटीज का कानून लेकर आई। इस कानून में यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकार को इस मुद्दे से कुछ लेना-देना नहीं है। ये लोग इसे ठीक ही नहीं करना चाहते हैं। यह कानून कहता है कि अगर परीक्षा में अगर पेपर लीक की सामान्य घटना होती है तो 4-5 साल की सजा होगी और 5 से 10 लाख का जुर्माना होगा। वहीं, संगठित अपराध होने पर 10 साल की सजा और 1 करोड़ का जुर्माना देना होगा। जबकि यहां एक पेपर 1 करोड़ में बिक रहा है। हम देश के बच्चों को बताना चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। हम सदन में उनकी आवाज उठाएंगे। पूरा देश उनके साथ है।
सांसद डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को देश के सामने माफी मांगते हुए देश को भरोसा देना चाहिए कि ऐसा दोबारा नहीं होगा और अपने शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करें। पेपर लीक के मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए। साथ ही, पेपर लीक के अपराधियों को आजीवन कारावास होनी चाहिए। क्योंकि लाखों करोड़ों बच्चों के भविष्य को बेचने से ज्यादा बड़ा कोई अपराध नहीं है। यह देशद्रोह है। अगर ये संगठित अपराध है तो एनटीए भी इस पेपर लीक के लिए जिम्मेदार है। शिक्षा मंत्री को इसपर जवाब देना चाहिए। इस परीक्षा को तुरंत रद्द करके इसे दोबारा कराया जाए। प्रधानमंत्री जी, अगर आप कोई संस्था बना नहीं सकते हैं तो बनी बनाई संस्था को मत तोड़िए, देश बर्बाद हो जाएगा।