केजरीवाल सरकार, 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने, दिल्ली के हर घर को 24 घंटे नल से साफ पानी देने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने को लेकर बेहद गंभीरता से काम कर रही है। इसी कड़ी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नरेला विधानसभा क्षेत्र के जिंदपुर में 22 एमजीडी क्षमता वाले सीवर पपिंग स्टेशन (एसपीएस) व 15 एमजीडी एसटीपी और हिरंकी में 9 एमजीडी एसपीएस के निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना से नरेला और बुराड़ी की 40 अनाधिकृत कॉलोनियों और 14 गांव के करीब 4.17 लाख लोगों को फायदा होगा। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डीजेबी के अधिकारियों को परियोजना को उम्मीदों के अनुरूप बनाने और समयसीमा के अंदर गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए है।
जिंदपुर में 15 एमजीडी एसटीपी से शोधित पानी के दोबारा उपयोग पर दिया जाएगा जोर
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड की ओर से जिंदपुर में 15 एमजीडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। आधुनिक तकनीक से लैस इस एसटीपी के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। साथ ही इस एसटीपी से शोधित पानी के दोबारा उपयोग पर जोर दिया जाएगा। एसटीपी से आने वाला उपचारित पानी न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि अन्य चीजों के लिए भी उपयोगी है। इसे बागवानी और दिल्ली की झीलों का कायाकल्प करने आदि के उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा, ताकि पीने योग्य पानी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
12.45 एमजीडी सीवर का पानी यमुना में शोधित होकर गिरेगा
जिंदपुर में बनाए जाने वाले आधुनिक तकनीक से लैस एसटीपी के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। इससे करीब 12.45 एमजीडी सीवर का पानी यमुना में शोधित होकर गिरेगा। दरअसल, सीवर के पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 250 तक होती है। गंदे पानी को शोधित कर 10 तक लाया जाता है। इसके बाद नाले में डाल दिया जाता है। सीवर के शोधित पानी में दो बातों को देखा जाता है। पहला बीओडी और दूसरा सीओडी होता है। बीओडी ऑक्सीजन की मात्रा है जो एरोबिक स्थितियों के तहत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हुए बैक्टीरिया द्वारा खपत होती है। वहीं, सीओडी पानी में कुल कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। इसके अलावा टीएसएस (टीएसएस) भी पानी की गुणवत्ता जांचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) सूक्ष्म कणों का वह भाग है, जो पानी में निलंबन में रहता है। वर्तमान डीपीसीसी मानदंडों के अनुसार बायो न्यूट्रिएंट रिमूवल के साथ ट्रीटेड एफ्लुएंट के पैरामीटर बीओडी<10एमजी/आई और टीएसएस>10 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। इसलिए जिंदपुर में आधुनिक तकनीक से लैस एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।
केजरीवाल सरकार जिंदपुर और हिरंकी में करेगी दो सीवर पपिंग स्टेशन का निर्माण
केजरीवाल सरकार ने सीवर के पानी को पंप कर एसटीपी तक पहुंचाने के लिए जिंदपुर में 22 एमजीडी क्षमता वाले एसपीएस और हिरंकी में 9 एमजीडी एसपीएस बनाने का फैसला लिया है। जिन घरों से इंटरनल सीवर लाइन कनेक्टिड होगी, वहां से पानी को एसटीपी तक पहुंचे के लिए सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) अहम भूमिका निभाएगा। एसपीएस में मोटर पंप के माध्यम सीवर को एसटीपी तक भेजा जाएगा।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इन सीवेज पंपिंग स्टेशनों में पानी ओवरफ्लो होने या किसी तरह की खराबी के बारे में चेतावनी देने के लिए अलार्म लगाए जाएंगे। इससे दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को तुरंत चेतावनी मिल जाएगी की सीवेज ओवरफ्लो का खतरा बढ़ गया है, ताकि समय रहते उचित कदम उठाया जा सके। बता दें कि सीवर पंपिंग स्टेशनों की निगरानी आईओटी मॉनिटरिंग डिवाइस के जरिये की जाएगी। इस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगा सेंसर यह सुनिश्चित करेगा कि पपिंग स्टेशन में सीवर का गंदा पानी एक तय लेवल तक भरते ही वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट चला जाए। इससे की सीवेज पंपिंग स्टेशन पर मौजूद ऑपरेटर की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय की जा सकें।
इन अनाधिकृत कॉलोनियों और गांवों के लोगों को होगा फायदा
इब्राहिमपुर, मुखमेलपुर, कादीपुर, नंगलीपूना, कुशक-1, कुशाक-2, गढ़ी खसरू, जिंदपुर, अलीपुर, खेड़ा कलां, बुधपुर, हिरंकी, मोहम्मदपुर, रमजानपुर, कुशक-3, नरेला की शिव एनक्लेव, जिनदपूर एक्सटेंशन, जीतराम कॉलोनी, लक्ष्मण कॉलोनी, खेराकलां, स्वरूपनगर, सुल्लतानपुर डबास, बालाजी एनक्लेव, दुर्गा एनक्लेव, इब्राहिमपुर एक्सटेंशन, शास्त्रीपार्क, कुशक एक्सटेंशन, प्रदीप विहार, कादीपूर एक्सटेंशन, दुर्गा एनक्लेव।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को 2025 तक पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। हाल ही दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में बुराड़ी और नरेला की इन 40 अनाधिकृत कॉलोनियों व 14 गांव में 217 किमी लंबी सीवरेज लाइन बिछाने की परियोजना को मंजूरी दी थी। सीवरेज सिस्टम न होने के कारण यहां गंदा पानी तालाबों-सेप्टिक टैंक और आखिर में यमुना नदी में गिरता है। ऐसे में इन इलाकों में सीवर लाइन बिछने और एसपीएस व एसटीपी के निर्माण के बाद लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी। साथ ही यमुना तक एसटीपी से ट्रीटेड साफ पानी पहुंचेगा।
केजरीवाल सरकार, 2025 तक यमुना की सफाई पूरी करने, दिल्ली के हर घर को 24 घंटे नल से साफ पानी देने और सभी अनाधिकृत कॉलोनियों के घरों को सीवर लाइन से जोड़ने को लेकर बेहद गंभीरता से काम कर रही है। इसी कड़ी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नरेला विधानसभा क्षेत्र के जिंदपुर में 22 एमजीडी क्षमता वाले सीवर पपिंग स्टेशन (एसपीएस) व 15 एमजीडी एसटीपी और हिरंकी में 9 एमजीडी एसपीएस के निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना से नरेला और बुराड़ी की 40 अनाधिकृत कॉलोनियों और 14 गांव के करीब 4.17 लाख लोगों को फायदा होगा। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डीजेबी के अधिकारियों को परियोजना को उम्मीदों के अनुरूप बनाने और समयसीमा के अंदर गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए है।
जिंदपुर में 15 एमजीडी एसटीपी से शोधित पानी के दोबारा उपयोग पर दिया जाएगा जोर
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड की ओर से जिंदपुर में 15 एमजीडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। आधुनिक तकनीक से लैस इस एसटीपी के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। साथ ही इस एसटीपी से शोधित पानी के दोबारा उपयोग पर जोर दिया जाएगा। एसटीपी से आने वाला उपचारित पानी न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि अन्य चीजों के लिए भी उपयोगी है। इसे बागवानी और दिल्ली की झीलों का कायाकल्प करने आदि के उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा, ताकि पीने योग्य पानी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
12.45 एमजीडी सीवर का पानी यमुना में शोधित होकर गिरेगा
जिंदपुर में बनाए जाने वाले आधुनिक तकनीक से लैस एसटीपी के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। इससे करीब 12.45 एमजीडी सीवर का पानी यमुना में शोधित होकर गिरेगा। दरअसल, सीवर के पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 250 तक होती है। गंदे पानी को शोधित कर 10 तक लाया जाता है। इसके बाद नाले में डाल दिया जाता है। सीवर के शोधित पानी में दो बातों को देखा जाता है। पहला बीओडी और दूसरा सीओडी होता है। बीओडी ऑक्सीजन की मात्रा है जो एरोबिक स्थितियों के तहत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हुए बैक्टीरिया द्वारा खपत होती है। वहीं, सीओडी पानी में कुल कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। इसके अलावा टीएसएस (टीएसएस) भी पानी की गुणवत्ता जांचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) सूक्ष्म कणों का वह भाग है, जो पानी में निलंबन में रहता है। वर्तमान डीपीसीसी मानदंडों के अनुसार बायो न्यूट्रिएंट रिमूवल के साथ ट्रीटेड एफ्लुएंट के पैरामीटर बीओडी<10एमजी/आई और टीएसएस>10 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। इसलिए जिंदपुर में आधुनिक तकनीक से लैस एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।
केजरीवाल सरकार जिंदपुर और हिरंकी में करेगी दो सीवर पपिंग स्टेशन का निर्माण
केजरीवाल सरकार ने सीवर के पानी को पंप कर एसटीपी तक पहुंचाने के लिए जिंदपुर में 22 एमजीडी क्षमता वाले एसपीएस और हिरंकी में 9 एमजीडी एसपीएस बनाने का फैसला लिया है। जिन घरों से इंटरनल सीवर लाइन कनेक्टिड होगी, वहां से पानी को एसटीपी तक पहुंचे के लिए सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) अहम भूमिका निभाएगा। एसपीएस में मोटर पंप के माध्यम सीवर को एसटीपी तक भेजा जाएगा।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इन सीवेज पंपिंग स्टेशनों में पानी ओवरफ्लो होने या किसी तरह की खराबी के बारे में चेतावनी देने के लिए अलार्म लगाए जाएंगे। इससे दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को तुरंत चेतावनी मिल जाएगी की सीवेज ओवरफ्लो का खतरा बढ़ गया है, ताकि समय रहते उचित कदम उठाया जा सके। बता दें कि सीवर पंपिंग स्टेशनों की निगरानी आईओटी मॉनिटरिंग डिवाइस के जरिये की जाएगी। इस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगा सेंसर यह सुनिश्चित करेगा कि पपिंग स्टेशन में सीवर का गंदा पानी एक तय लेवल तक भरते ही वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट चला जाए। इससे की सीवेज पंपिंग स्टेशन पर मौजूद ऑपरेटर की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय की जा सकें।
इन अनाधिकृत कॉलोनियों और गांवों के लोगों को होगा फायदा
इब्राहिमपुर, मुखमेलपुर, कादीपुर, नंगलीपूना, कुशक-1, कुशाक-2, गढ़ी खसरू, जिंदपुर, अलीपुर, खेड़ा कलां, बुधपुर, हिरंकी, मोहम्मदपुर, रमजानपुर, कुशक-3, नरेला की शिव एनक्लेव, जिनदपूर एक्सटेंशन, जीतराम कॉलोनी, लक्ष्मण कॉलोनी, खेराकलां, स्वरूपनगर, सुल्लतानपुर डबास, बालाजी एनक्लेव, दुर्गा एनक्लेव, इब्राहिमपुर एक्सटेंशन, शास्त्रीपार्क, कुशक एक्सटेंशन, प्रदीप विहार, कादीपूर एक्सटेंशन, दुर्गा एनक्लेव।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को 2025 तक पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। हाल ही दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में बुराड़ी और नरेला की इन 40 अनाधिकृत कॉलोनियों व 14 गांव में 217 किमी लंबी सीवरेज लाइन बिछाने की परियोजना को मंजूरी दी थी। सीवरेज सिस्टम न होने के कारण यहां गंदा पानी तालाबों-सेप्टिक टैंक और आखिर में यमुना नदी में गिरता है। ऐसे में इन इलाकों में सीवर लाइन बिछने और एसपीएस व एसटीपी के निर्माण के बाद लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी। साथ ही यमुना तक एसटीपी से ट्रीटेड साफ पानी पहुंचेगा।