आम आदमी पार्टी ने सोमवार को रेलवे में यात्री सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही पर मोदी सरकार पर हमला बोला। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजीव झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री सिर्फ प्रचार करने में व्यस्त हैं, जबकि रेलवे की हालत बदतर हो गई है। प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को प्रचार छोड़कर रेलवे की कमियों को दूर करके सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए। उन्होंने मानवीय चूक के चलते हो रहे ट्रेन हादसे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार पहले हुए रेल हादसों से सबक लेती तो उड़ीसा के बालासोर में इस सदी की सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना नहीं हुई होती। देश में 70 फीसद ट्रेन हादसे पटरी का सही रखरखाव न होने की वजह से हुए हैं। इसके बाद भी 2017-18 की तुलना में 2022-23 में 50 फीसद कर्मचारी ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि जो प्रधानमंत्री ठीक से ट्रेन नहीं चला सकता, वो देश क्या चलाएगा। इसलिए अब देश को योग्य और समस्याओं का समाधान देने वाले लोगों की जरूरत है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजीव झा ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि उड़ीसा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना इस सदी की सबसे भीषण रेल दुर्घटना थी। इस दुर्घटना ने न केवल पूरे देशवासियों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि ट्रेन की सुरक्षा व मानवीय चूक को लेकर भी कई सारे सवाल खड़े किए। यह कोई पहली चूक नहीं थी, बल्कि इससे पहले भी कई चूक हुई हैं। अगर उनसे सबक लिया जाता तो इतनी भीषण दुर्घटना नहीं होती और देशवासियों को इतना बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ता। 2021-22 में 35 रेल दुर्घटनाएं और 2022-23 में 48 रेल दुर्घटनाएं हुई थी। सिग्नल और इंडिकेटर खराब होने जैसी छोटी मोटी समस्याओं के चलते 162 दुर्घटनाएं हुई। अगर इन सभी रेल दुर्घटनाओं में हुई चूक को समय रहते दुरूस्त किया जाता तो इतनी बड़ी रेल दुर्घटना नहीं होती।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी पूरी टीम केवल प्रचार तंत्र में विश्वास रखती है। रेल मंत्री ने संसद में कहा था कि आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने अपने देश के इंजीनियरों के साथ मिलकर रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवच तकनीक बनाई है। इसके बाद पता चला कि यह तकनीक तो पहले से ही देश में मौजूद थी। केवल उसका नाम बदल कर कवच दिया गया और कहा गया कि कवच के आने से अब कोई बड़ी रेल दुर्घटना नहीं होगी।
विधायक संजीव झा ने कहा कि देश में 70 हजार किलोमीटर का ट्रेन नेटवर्क है। इस नेटवर्क को जोड़ने में सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपए का खर्च उठाना है। लगातार रेलवे के बजट में कटौती की जा रही है। वर्ष 2021-22 में 133 करोड़ रुपए और 2022-23 में 273 करोड़ रुपए ही रेलवे पर खर्च किए गए। 29 मार्च को सदन में रेल मंत्री ने कहा था कि 455 किलोमीटर के ट्रेन नेटवर्क में कवच लगाने पर काम चल रहा है। इस पर 22 करोड़ रुपए खर्च होगा। इसके बाद 1455 किलोमीटर नेटवर्क में कवच लगाने का प्लान कर रहे हैं। विधायक संजीव झा ने कहा कि रेलवे बोर्ड के मेंबर और राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने बोर्ड बैठक में कहा था कि ट्रेन हादसे को रोकने के लिए एंटी कॉलिजन सिस्टम और एंटी डिरेलमेंट सिस्टम को तत्काल दुरूस्त करने की जरूरत है। लेकिन यह बात प्रधानमंत्री और उनकी टीम 9 साल में भी नहीं समझ पाई।
विधायक संजीव झा ने कहा कि एक्सपर्ट के मुताबिक 70 फीसद ट्रेन हादसे सिर्फ पटरी का ठीक से रखरखाव नहीं होने के कारण होते है। 2017-18 में पटरियों के रखरखाव में जितने लोग लगाए गए थे, 2021-22 में उसमें से 50 फीसद लोग कम कर दिए गए। मेंटिनेंस में जब लोग ही नहीं रहेंगे तो ट्रेप दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकेगा? देश में लगातार पटरियों से ट्रेनों के उतरने की घटनाएं हो रही हैं। इसके बावजूद पटरियों के रखरखाव के लिए कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। संसद में रेल मंत्री ने बताया था कि रेलवे में 3,11,438 पद खाली हैं। इसके बाद भी इन पदों को भरने के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। रेल मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए। सीएजी के अनुसार, रेलवे की संपत्तियों और उपकरणों के रखरखाव के लिए बजट में 20,488 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। जबकि केवल 3 हजार 25 करोड़ रूपए खर्च किया गया। वहीं, टेलीकम्युनिकेशन और मरम्मत के लिए 3,253 करोड़ रूपए बजट था और केवल 4 करोड़ 65 लाख रुपए ही खर्च हुए। 2020 में विनिर्माण में 46 फीसद सामान लगाया गया और लोको इंजन केवल 100 दिन के अंदर खराब हो गया। यानी लोको इंजन की मरम्मत में अन्य मार्केट से सामान खरीदकर लगाया जा रहा है। इसका ऑडिट कभी नहीं हुआ। इसलिए प्रधानमंत्री व उनकी टीम की लापरवाही और प्रचार का खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है।
विधायक संजीव झा ने कहा कि ट्रेन में पहले जब कोई व्यक्ति एसी-3 टायर का टिकट लेता था, वो आराम से सफर करता था। वहीं, आज लोगों की भीड़ के चलते एसी-3 टायर की स्थिति बहुत बुरी हो चुकी है और टिकट कंफर्म होने के बाद भी लोग अपनी सीट पर बैठ नहीं सकते है। ट्रेन की साफ-सफाई की हालत भी बहुत खराब है। ट्रेनों के शौचालयों की साफ-सफाई के लिए कर्मचारी नहीं है। वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में 2,74,587 ट्रेनें लेट हुई। इसके चलते रेलवे के 4,46,206 घंटे बर्दाद हुए। इसके बाद भी प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का ध्यान इन समस्याओं पर नहीं जाता रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में रेलवे की हालत बद से बदतर कर दी है। सिर्फ वंदे भारत का प्रचार किया जा रहा है। पहले ट्रेन ट्रैक से गुजरती थी तो लोग अपने जानवर को ट्रेन से बचाते थे, लेकिन अब जानवरों से वंदे भारत ट्रेन को बचाना पड रहा है। ऐसी इनकी वंदे भारत ट्रेन है।
उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर सवाल है कि जो प्रधानमंत्री ठीक से ट्रेन नहीं चला सकता है, वो देश क्या चलाएगा? आज देश को चलाने के लिए प्रचार करने वाले की नहीं, बल्कि समझदार, योग्य और समस्याओं के समाधान पर बात करने वाले लोगों की जरूरत है। देश में ट्रेनों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। लोग परेशान हैं और समय से घर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को प्रचार को छोडकर ट्रेन में सुरक्षा व्यवस्था और रेलवे की कमियों को ठीक करना चाहिए।