केजरीवाल सरकार के अथक प्रयासों की बदौलत दिल्ली में मुनक नहर के जरिए आने वाले पानी का ट्रांसमिशन लाॅस 25 फीसद तक की कमी आई है, साथ ही 35 सौ किलोमीटर पाइप लाइन बदलने और 73 सौ किलोमीटर नई पाइप लाइन डालने से लीकेज अंतरराष्ट्रीय मानक से भी कम हो गया है। सरकार ने मुनक नहर के ट्रांसमिशन लाॅस रोकने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किया है और इससे पानी की बर्बादी 30 से घटकर 5 फीसद पर आ गई है। पिछले 9 सालों में लीकेज से पानी की बर्बादी रोकने के लिए 3500 किलोमीटर की पाइपलाइन को बदला गया है, 3285 फ्लो मीटर लगाए गए हैं, जल बोर्ड ने 1323 चालान किए और 179 अवैध कनेक्शन काटे हैं। वर्तमान में हरियाणा से यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़े जाने की वजह से दिल्ली में पानी का प्रोडक्शन 50 एमजीडी तक कम हो गया है। इस कारण कई इलाकों में पानी की किल्लत हो रही है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर दिल्ली में पानी की बर्बादी को रोकने और पानी का उत्पादन बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दी है।
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने सचिवालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि, दिल्ली में चल रहे जलसंकट पर पिछले एक सप्ताह से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कल सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में, दिल्ली सरकार से पूछा था कि दिल्ली सरकार पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए क्या क्या कदम उठा रही है? आज दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पिछले 1 साल से उठाये जा रहे कदमों को और वर्तमान में जलसंकट की स्थिति में पिछले 1 महीने से उठाये जा रहे कदमों के बारे में बताया।
दिल्ली सरकार की तरफ से पानी की बर्बादी को रोकने के लिए उठाए गए कदम
जलमंत्री ने साझा करते हुए बताया कि, दिल्ली में हरियाणा से वज़ीराबाद और अनलाईनड दिल्ली सब ब्रांच के ज़रिए आने वाले पानी में पहले 30 फीसद का ट्रांसमिशन लॉस होता था। लेकिन दिल्ली जलबोर्ड ने 500 करोड़ रुपये के खर्चे के साथ सीएलसी का निर्माण करवाया और उस ट्रांसमिशन लॉस को 30 फीसद से घटाकर 5 फीसद तक ला दिया।
जलमंत्री ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने लीकेज और बर्बादी को रोकने के पिछले 9 सालों में 3500 किलोमीटर लीक करती हुई पानी की पाइपलाइन को बदला है। उन्होंने कहा कि, पहले दिल्ली के जिन इलाक़ों में पानी की पाइपलाइन नहीं थी, उन इलाक़ों में मुख्य पाईपलाइनों का अवैध तरीक़े से टैपिंग कर पानी चुराया जाता था लेकिन इसके रोकथाम के लिए दिल्ली में 7300 किलोमीटर पाइपलाइन डलवाई गई। इससे अनाधिकृत कालोनियों में, झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर्स में अब लोगों तक बेहतर ढंग से पानी पहुँच पाता है।
उन्होंने कहा कि, इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने पानी के फ्लो को मापने के लिये पूरी दिल्ली में बड़े स्तर पर 3285 बल्क फ्लो मीटर लगाए गए है। ताकि जिन जगहों से पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से बाहर निकलता है, जिन पॉइंट्स पर पानी की पाइपलाइन अलग होती है, जिन पॉइंट्स पर पानी की पाइपलाइन यूजीआर तक पहुँचती है। उन हर पॉइंट्स पर फ्लो मीटर लगाए गए है।
जलमंत्री आतिशी ने कहा कि, दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से प्राथमिक यूजीआर और यूजीआर पर हाल ही में करवाए गए वाटर ऑडिट के अनुसार यहाँ अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी कम पानी की लीकेज है।
साथ ही दिल्ली सरकार ने शहर में पाइपलाइन लीकेज से पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सभी एडीएम-एसडीएम स्तर के अधिकारी पानी की पाइपलाइन की मॉनिटरिंग पर लगाया है। मेन वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की मॉनिटरिंग के लिए ये स्पेशल टीमें मुख्य जलस्रोत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और वहाँ से प्राथमिक यूजीआर तक मेन वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की मॉनिटरिंग करेंगी। आज जलमंत्री आतिशी ने ख़ुद अक्षरधाम स्थित पानी की एक मेन डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन का निरीक्षण किया। इन पाइपलाइनो में वज़ीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी आता है और दक्षिणी दिल्ली में पानी की सप्लाई देता है। यहाँ कोई भी लीकेज देखने को नहीं मिली।
जलमंत्री आतिशी ने कहा कि, बहुत जगह ये अफ़वाहें फैलाई जा रही है कि, कई जगह पर पाइपलाइनों में बहुत ज़्यादा लीकेज हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। जब पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से यूजीआर तक नहीं पहुँचता तबतक न सिर्फ़ फ्लो मीटर बल्कि दिल्ली जलबोर्ड द्वारा बनाई गई पेट्रोलिंग टीम पानी की सभी मुख्य डिस्ट्रीब्यूशन लाइन की मॉनिटरिंग करते है।
उन्होंने कहा कि, मैं दिल्लीवालों को आश्वासन देती हूँ कि दिल्ली में जितने पानी का उत्पादन हो रहा है वो पानी दिल्लीवालों को मिल रहा है। और कही भी बड़े स्तर पर लीकेज नहीं है और अगर लीकेज होती है तो 12 घंटे में उसे दूर कर दिया जाता है।
जलमंत्री ने आगे कहा कि, दिल्ली जल बोर्ड ने पानी की बर्बादी को रोकने के लिए शहर में एनफोर्समेंट टीमें लगाई है। जो पिछले 10 दिनों से सुबह 7 बजे लगातार फील्ड में जाते है और यदि कहीं भी लोगों द्वारा पानी बर्बाद किया जा रहा है तो उसका चालान काट रहे है। उन्होंने साझा किया कि, अबतक 1323 चालान काटे जा चुके है। साथ ही अबतक पानी के 179 अवैध कनेक्शन जहां से पानी की चोरी और बर्बादी हो रही थी, उन्हें काटा गया है।
साथ ही जलबोर्ड द्वारा एक कमांड और कण्ट्रोल सेंटर बनाया गया है, जहां सभी फ्लो मीटर का डेटा जाँचा जाता है और एक लीक डिटेक्शन सेल द्वारा डेटा और ग्राउंड इंस्पेक्शन के माध्यम से पिछले 6 महीने में 2000 से ज़्यादा पाइपलाइन लीकेज को पहचान कर उसे दूर किया गया है।
जलमंत्री आतिशी ने कहा कि, दिल्ली सरकार पानी की बर्बादी को रोकने के लिए हर ज़रूरी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली में वास्तव में पानी की कमी है। दिल्ली के सभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और रेनी वेल को मिलाकर दिल्ली में रोज़ाना लगभग 1000 से 1005 एमजीडी पानी का उत्पादन होता है। ये पानी दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में जाता है लेकिन पानी की कमी से ये उत्पादन पिछले एक सप्ताह में कम हुआ है।
उन्होंने साझा करते हुए कहा कि, 6 जून को दिल्ली में 1002 एमजीडी पानी का उत्पादन हुआ। 7 जून को ये घटकर 993 एमजीडी हुआ। 9 जून को ये 973 एमजीडी पहुँच गया और कल 12 जून को ये 951 एमजीडी पर पहुँच गया। यानी आज दिल्ली में पानी का उत्पादन 50 एमजीडी तक कम हो रहा है। इससे दिल्ली के बहुत से इलाक़ों में पानी की कमी हो रही है।
जलमंत्री आतिशी ने कहा कि, ये डेटा हमनें सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि ये एक टेक्निकल मुद्दा है, जिसपर अपर यमुना रिवर बोर्ड ही फ़ैसला लेगा। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने अपर यमुना रिवर बोर्ड को निर्देश दिए है कि इस मुद्दे पर बैठक करें और जल्द से जल्द फ़ैसला ले।
जलमंत्री आतिशी ने सभी दिल्लीवालों से अपील करते हुए कहा कि, दिल्ली में पानी की कमी हो रही है ऐसे में सभी दिल्लीवालों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो सोच समझकर पानी का इस्तेमाल करें और किसी भी तरह से पानी की बर्बादी न करें। घरों में पानी की टंकी को ओवरफ़्लो होने से होने वाली बर्बादी को रोके, गाड़ियों को पाइप से न धोये, ज़बतक पानी की समस्या नहीं सुलझती है तबतक सप्लाई के पानी का इस्तेमाल गॉर्डनिंग, छत-बालकनी धोने के लिए न करें। जिन इलाक़ों में बड़े प्राइवेट गार्डन है वो दिल्ली जलबोर्ड से टैंकर मँगवाकर रियूजेबल पानी का इस्तेमाल करें।
उन्होंने कहा कि, दिल्ली में अभी पानी की विकट समस्या है और जबतक अगले 2-3 दिनों में अपर यमुना रिवर बोर्ड का फ़ैसला नहीं आता तबतक दिल्ली में पानी की कमी चलेगी। ऐसे में सभी दिल्लीवासियों को साथ मिलकर इस जलसंकट से लड़ने की ज़रूरत है। और यदि दिल्लीवालों को कही भी पानी की पाइपलाइन लीक होते दिखती है तो सोशल मीडिया पर दिल्ली जलबोर्ड के ट्विटर हैंडल @delhijalboard पर टैग करें।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर जल संकट के समाधान को लेकर उठाए गए कदम की जानकारी दी
पार्ट 1: दिल्ली सरकार ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए उठाए ये कदम-
- हरियाणा से दिल्ली आने वाले पानी की बर्बादी 30 फीसद से घटाकर 5 फीसद पर लाया गया।
- पहले यमुना, रावी और व्यास से पानी यमुना नदी के रास्ते और बिना पक्की दिल्ली सब-ब्रांच (डीएसबी) के माध्यम से वजीराबाद और हैदरपुर आता था, जिससे 30 फीसद पानी बर्बाद हो जाता था।
-दिल्ली जल बोर्ड ने लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत से कैरीड लाइन्ड चैनल बनाया, जिससे नदी के रास्ते में होने वाली 30 फीसद पानी की बर्बादी घटकर 5 फीसद हो गई।
- 3500 किमी पुरानी पाइप लाइनों को बदला गया और 7300 किमी नई पाइप लाइनों को जोड़ा गया।
• पुरानी और लीकेज पाइपलाइनों को बदलना: पिछले 8 सालों में 3500 किमी पाइपलाइनों को बदला गया है (यानि हर साल 437 किमी)।
• अनधिकृत कॉलोनियों में नई पाइप लाइनों को बिछाना: पिछले 10 सालों में 5200 किमी नई पाइप लाइनों को अनधिकृत कॉलोनियों में बिछाया गया है। - पानी के दुरुपयोग को रोकना: रोजान निरीक्षण, रिपोर्टिंग और त्वरित प्रतिक्रिया दल:
• रोजाना निरीक्षण और कार्रवाई: दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को रोजाना अपने क्षेत्रों में निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि पीने वाले पानी की बर्बादी पर नजर रखी जा सके। जैसे पानी की टंकियों का ओवर फ्लो, अवैध कनेक्शन, और निर्माण स्थलों पर पानी का उपयोग आदि पर आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।
• रिपोर्टिंग: अधिकारियों को कार्रवाई की दैनिक रिपोर्ट और फोटो सौंपनी होती है।
• क्विक रिस्पॉन्स टीम का गठन: तुरंत और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम का गठन किया गया है-
i. पानी टैंकर्स और अन्य पानी संबंधी शिकायतों के प्रबंधन के लिए।
ii.क्यूआरटी को मेन वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की निगरानी और जांच के लिए निर्देश दिया गया है और सुनिश्चित किया जा रहा है कि पाइपलाइन में कोई लीक न हो।
iii. किसी भी तरह के लीकेज पाए जाने पर उसे 12 घंटे के अंदर ठीक करने का आदेश दिया गया है।
iv. पीने के पानी की कमी के मद्देनजर सड़कों पर पानी छिड़कने जैसी गतिविधियों को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं
4 विभिन्न पहलों के माध्यम से गैर-राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू) को कम करना:
“एनआरडब्ल्यू वह पानी होता है जिसका बिल नहीं दिया गया है, इसे वेस्ट वॉटर नहीं माना जाता है। यह इस्तेमान के लिए अभी भी उपलब्ध है”
ए. देश के बाकी शहरों में एनआरडब्ल्यू ज्यादा हैं। (कोलकाता (75 फीस), पुणे (100 फीसद), गुवाहाटी (66 फीसद) जो कि दिल्ली (52 फीसद) से अधिक हैं, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड एनआरडब्ल्यू के अनुपात को कम करने के लिए काम कर रहा है।
बी. डीजेबी ने हाउस सर्विस कनेक्शन के रखरखाव का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया है।
सी. गलत मीटरों को बदलना और खुले बाजार से पानी के लीगल मीटर खरीदने की प्रणाली में सुधार किया गया है।
डी. गलत मीटर वाले उपभोक्ताओं को अपने मीटर लगाने की अनुमति दी गई है। वह चाहे तो मीटर की सिक्योरिटी राशि वापस ले सकते हैं या उसे पानी के बिल के साथ समायोजित कर सकते हैं।
ई. 1010 डिस्ट्रिक्ट मीटर्ड एरियाओं (DMAs) को मजबूत करना।
i. डीजेबी ने डेटा का विश्लेषण करने और एनआरडब्ल्यू को कम करने के लिए आंतरिक रूप से 100 डीएमए का निर्माण किया है।
ii. डीएमए को चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (170) के कमांड इलाकों में लागू किया गया है, जिसमें मालवीय नगर (9) और नांगलोई (35) जल उपचार संयंत्रों में काम चल रहा है। इस प्रयास से एनआरडब्ल्यू में 20 फीसद से 30 फीसद की कमी आई है और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार हुआ है।
iii. चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 170 डीएमए लागू करने के लिए दिल्ली सरकार ने 300 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
iv. वाटको (ओडिशा जल निगम) के सहयोग से 796 डीएमए का निर्माण हुआ है, जिससे ओडिशा के 7 शहरों में एनआरडब्ल्यू 50 से 15 फीसद से भी कम पर आ गया है।
एफ. लीकेज और पानी के खर्च की लगातार मॉनिटरिंग से 2000 लीकेज रोकी गई हैं, और 3285 बल्क फ्लो मीटर्स लगाना शुरू हुआ है-
आई. झंडेवालान में एक डेटा सेंटर स्थापित किया गया है जहां पानी उपभोक्ता का ऑनलाइन डेटा रीयल टाइम से मिलान किया जाता है।
ii. लीक डिटेक्शन सेल को मजबूत किया गया है, जिसने पिछले 6 महीनों में लगभग 2000 लीकेज का पता लगाया है।
iii. प्राइमरी और सेकेंडरी यूजीआर में लगभग 3285 बल्क फ्लो मीटर्स की लगाने का प्रजोक्ट शुरु हुआ हैं।
जी. समर एक्शन प्लान के तहत 2024 के तहत विशेष अभियान शुरु किया गया है, जिसका उद्देश्य पानी की बर्बादी को रोकना है और 31 मई 2024 से पानी के अवैध कनेक्शनों को रेग्यूलर या डिस्कनेक्ट करना है। इसके लिए अब तक 1323 चालान जारी किए गए हैं और 11 जून 2024 तक 179 अनधिकृत कनेक्शन काटे गए हैं।
एच. बकाया और अनधिकृत पानी के कनेक्शनों की वसूली के लिए रिकवरी अभियान भी शुरु किया गया है। इससे 31 मई 2024 तक 2237 कनेक्शन काटे गए हैं और 3133 उपभोक्ताओं से 32.77 करोड़ की राशि वसूली गई है।
i. चरणबद्ध तरीके से स्मार्ट मीटरिंग: टेंडरिंग चल रही है:
ए. दिल्ली जल बोर्ड ने 17 जनवरी 2024 को आयोजित 167वीं बैठक में फैसला किया था कि स्मार्ट मीटरिंग को चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा। पहले चरण में, सभी कॉमर्शियल और बल्क कनेक्शन शामिल किए जाएंगे।
बी. 16 फरवरी को अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करके संभावित विक्रेताओं से रुचि प्राप्त करने के बाद, 12 विक्रेताओं ने अपने बिजनेस मॉडल और उत्पाद प्रदर्शित किए।
सी. स्मार्ट मीटरिंग के लिए वेंडर्स के चयन के लिए टेंडरिंग प्रक्रिया जारी है।
- टैंकर माफिया को समाप्त करना:
- दिल्ली में पानी की कमी वाले इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए टैंकरों की जरूरत पड़ती है। इनका इस्तेमाल अचानक जल आपूर्ति बाधाओं (जैसे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के रखरखाव के दौरान) को पूरा करने के लिए भी किया जाता है।
- दिल्ली में दिल्ली जल बोर्ड और निजी टैंकरों द्वारा प्रदान की जाने वाले पानी की मिलावट 5-6 एमजीडी है, जो की कुल जल आपूर्ति का केवल 0.5 फीसद है।
-दिल्ली जल बोर्ड ने पानी के टैंकरों की उपलब्धता में सुधार करने का प्रयास किया है ताकि निजी टैंकरों को सार्वजनिक टैंकरों से बदला जा सके। याचिकाकर्ता सरकार द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल (जो वर्तमान में कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रभारी हैं) को कई पत्र लिखे गए हैं।
टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा की ओर सक्रिय है। यानी पानी की चोरी सीएलसी या डीएसबी तक पानी पहुंचने से पहले शुरु होती है। यह डीजेबी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
- जल निकायों और बारिश के पानी की संचयन प्रणाली में सुधार करके पानी की उपलब्धता को बढ़ना
- दिल्ली जल बोर्ड ने बारिश के पानी का संचयन करने के लिए अपनी 594 और पीडब्ल्यूडी द्वारा रखरखाव की जाने वाले 89 स्थानों स्ट्रक्चर बनाए हैं।
-दिल्ली जल बोर्ड ने 100 वर्ग मीटर और इससे ऊपर के प्लॉट साइज़ वाली सभी इमारतों में बारिश के पानी के संचयन को लागू करने का निर्देश दिया है। लोगों को इसके प्रति प्रोत्साहित करने के लिए, वर्षा जल संचयन के सर्टिफिकेट मिलने पर उन्हें पानी बिल पर 10 फीसद की छूट दी जाती है।
-दिल्ली के लोगों को अपनी संपत्ति में वर्षा जल संचयन प्रणाली लागू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड 50,000 रुपए या 50 फीसद राशि की वित्तीय सहायता देता है।वर्षा जल संचयन प्रणाली के कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने प्रत्येक राजस्व जिले में जल शक्ति केंद्र और वर्षा जल संचयन प्रणाली के लिए एक डेडिकेटेड सेंटर बनाया है।
- आदेश का अनुपालन न किए जाने पर सजा का प्रवधान है। जल संचयन प्रणाली स्थापित न होने तक टैरिफ को 1.5 गुणा बढ़ा दिया जाता है और इसे संबंधित क्षेत्रीय राजस्व अधिकारी को सूचित किया जाता है।
पार्ट-2: पाइपलाइन में और भी बहुत कुछ
- भूजल संसाधनों की वृद्धि*
ए- 10 कृत्रिम झीलों, 62 डीडीए और 131 अन्य जल निकायों का पुनरुद्धार, एसटीपी से शोधित पानी का इस्तेमाल कर मौजूदा भूजल रिचार्ज
बी- डीजेबी 10 कृत्रिम झीलें विकसित कर रहा है। आने वाले समय में 25 कृत्रिम झीलों और 1000 जल निकायों को विकसित करने की प्रक्रिया चल रही है।
i- डीजेबी पहले से ही 7 डीडीए जल निकायों पर काम कर रहा है। 24 डीडीए जल निकायों को शामिल किए जाने की उम्मीद है। इस तरह डीजेबी द्वारा 62 जल निकायों का कायाकल्प किया जा रहा है।
ii – इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार के 131 जल निकायों को भी शामिल किया जा रहा है। डीडीए से डीजेबी को भूजल निकालने की अनुमति देने के साथ-साथ सीमांकन और कायाकल्प के लिए 381 जल निकायों का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया है।
- अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों, विशेषकर नई दिल्ली, शाहदरा, दक्षिणी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली के जिलों में भूजल निकालना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
- उच्च भूजल स्तर वाले स्थानीय क्षेत्रों में ट्यूबवेल स्थापित करके भूजल निकालना।
- रैनी कुंओं से प्राप्त भूजल के साथ ही ओखला में 6 एमजीडी अमोनिया निष्कासन संयंत्र लगाया गया है।
- पटपड़गंज और विकास मार्ग पर 4 नये रैनी कुओं की स्थापना की गई है।
- जल उपचार संयंत्रों की क्षमता बढ़ाई गई है।
दूसरा द्वारका डब्ल्यूटीपी (50 एमडीजी): द्वारका में 50 एमजीडी क्षमता के मौजूदा डब्ल्यूटीपी के अलावा, द्वारका सब सिटी, उजवा, दौलतपुर, नजफगढ़ और आसपास की कॉलोनियां, दिल्ली हवाई अड्डा, मालम, उत्तम नगर की कॉलोनियों, सागरपुर की कॉलोनियों, बिजवासन और राजोकरी गांव में रहने वाले 14 से 15 लाख निवासियों की 100 एमजीडी की पानी की मांग को पूरा करने के लिए इतनी ही क्षमता का दूसरा डब्ल्यूटीपी बनाया जा रहा है। अगस्त 2021 में इस पर काम शुरू हुआ और दिसंबर 2024 में पूरा कर लिया जाएगा।
दिल्ली सरकार चंद्रावल डब्ल्यूटीपी का विकास कर रही है। इससे करीब 22 लाख निवासियों की पानी की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है, जो दिल्ली की कुल आबादी का 11 फीसद होगा। इसमें पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक, पहाड़ी धीरज, जामा मस्जिद, सदर बाजार, पहाड़गंज, ईदगाह, सिविल लाइंस, करोल बाग, कमला नगर, मलकागंज, राजेंद्र नगर, शादीपुर, पटेल नगर, नारायणा, पालम विहार समेत एनडीएमसी और छावनी क्षेत्र का इलाका शामिल है। अगस्त 2019 में चंद्रावल में 477 एमएलडी क्षमता का डब्ल्यूटीपी के निर्माण के लिए 598.57 करोड़ रुपए दी गई थी। इसकी ओएंडएम की अवधि 16 वर्ष है। पूरी परियोजना को छह पैकेजों में पूरा करने का प्रस्ताव है और इसे जनवरी 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। 477 एमएलडी डब्ल्यूटीपी के निर्माण के लिए संयंत्र के पैकेज 1 भाग को दिसंबर, 2024 तक आंशिक रूप से चालू (यानी, 50 फीसद) होने की उम्मीद है और मार्च 2025 तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है।
मास्टर बैलेंसिंग रिजर्वायर (एमबीआर)/भूमिगत जलाशय (यूजीआर)
यह पल्ला में ट्यूबवेल के पानी को एकत्र करेगा और जरूरत के अनुसार होलंबी, सिरसपुर, बुराड़ी, नरेला के क्षेत्रों में आपूर्ति करेगा। दिसंबर 2024 में इसे पूरा होने की उम्मीद है।
रजोकरी (5.8 एमएल): यूजीआर पानी की कमी वाले क्षेत्र को राहत प्रदान करेगा, जिससे रजोकरी गांव और आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ लगभग 1.27 लाख आबादी को इससे लाभ होगा। इस कार्य में 10 साल का ओ एंड एम शामिल है, जिसमें 16.97 करोड़ रुपये की लागत होगी। इस पर 29 मई 2019 को काम शुरू हुआ और दिसंबर 2024 में पूरा होने की उम्मीद है।
बिजवासन (9.1 एमएल): यह डब्ल्यूटीपी पानी की कमी वाले क्षेत्रों बिजवासन, सालापुर, कापसहेड़ा और समालका के करीब 1.80 आबादी को राहत प्रदान करेगा। इस कार्य की लागत 20.50 करोड़ रुपए है। इसमें 10 साल का ओ एंड एम शामिल है। इस कार्य को 29 मई 2019 को शुरू हुआ और दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित निगरानी
- दिल्ली जल बोर्ड सुपरवाइजरी कंट्रोल और डेटा प्राप्त करने (एससीएडीए) पर आधारित एक सिस्टम तैयार करने की प्रक्रिया में है, जो उसके डैशबोर्ड पर पानी खपत की लाइव जानकारी देगा।
- सभी प्राइमरी और सेकेंडरी यूजीआर की निगरानी आईओटी आधारित सिस्टम से की जाएगी।
- ट्यूबवेल और बोरवेल को भी इसके अंतर्गत लाने का काम चल रहा है।
- सभी टैंकर पहुंचने के साथ जीपीएस को सक्षम करने की प्रक्रिया जारी हैं और सभी फिलिंग स्टेशनों पर नियंत्रण की जा रही है।
- वर्षा जल संचयन प्रणालियों को बढ़ाना: 9688 सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) प्रणाली प्रदान की गई हैं। 7121, 1362 इमारतों में आरडब्ल्यूएच सिस्टम स्थापित किया जाना बाकी है और 1205 भवनों में यह संभव नहीं है।