नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2024
दिल्ली के अंदर बनावटी संवैधानिक संकट पैदा करने की कोशिश कर रही भाजपा पर आम आदमी पाटी ने करारा हमला बोला है। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा दिल्लीवालों में यह धारणा पैदा करने की कोशिश कर रही है कि संवैधानिक संकट पैदा हो गया है, ताकि वो इसे आधार बनाकर राष्ट्रपति शासन लगा सके। भाजपा का देश के संविधान और लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है। इसलिए वो दिल्ली में प्रचंड जनादेश को अपने जूते की नोंक पर रखना चाहती है। दिल्ली में संवैधानिक संकट पैदा करने के लिए साजिश के तहत भाजपा की केंद्र सरकार खाली पदों को नहीं भर रही है। वहीं, एलजी जिन कामों को स्थानांतरित विषय का बता कर दिल्ली सरकार को घेर रहे थे, अब उन्हीं विषयों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिख रहे हैं कि मंत्री बैठकों में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्लीवाले केजरीवाल सरकार के मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं को एक हजार देने की घोषणा समेत अन्य कामों से बेहद खुश है। दिल्ली में कोई संवैधानिक संकट नहीं है और सरकार पूरी ईमानदारी से जनता के लिए काम कर रही है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिमारपुर से विधायक दिलीप पांडे ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि भाजपा का देश के संविधान और लोकतांत्रिक आस्थाओं से कोई वास्ता नहीं है, वो दिल्ली के प्रचंड जनादेश को अपने जूते की नोंक पर रखने की तैयारी में है। भाजपा दिल्ली में एक ऐसे संवैधानिक संकट की धारणा बनाने की कोशिश कर रही है, जिसको आधार बनाकर लोकप्रिय सरकार और जनता के जनादेश को दरकिनार कर राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है। उन्होंने कहा कि एलजी साहब दिल्ली में सालों से खाली पड़े पदों को नहीं भर रहे हैं, अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असफल हैं। इसके बावजूद वो केंद्रीय गृह मंत्रालय को लगातार स्थानांतरित विषयों पर चिट्ठी लिख रहे हैं। जबकि एलजी साहब ने खुद सार्वजनिक रूप से स्थानांतरित विषयों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बता चुके हैं। दिल्ली में जब प्रदूषण की बात आती है तो वो इसे स्थानांतरित विषय बताते हैं, जब अवैध कॉलोनियों की बात आती है तो उसे स्थानांतरित मामला बताकर दिल्ली सरकार को असफल करार देते हैं। अब एलजी इन्हीं स्थानांतरित विषयों पर गृह मंत्रालय को चिट्ठियां लिख रहे हैं। एलजी साहब दोहरा मापदंड अपना रहे हैं। वो गृह मंत्रालय को लिखी चिट्ठियों में कह रहे हैं कि मैं संबंधित मंत्रियों को मीटिंग के लिए बुला रहा हूं, लेकिन वो नहीं आ रहे हैं। दिल्ली सरकार नियम-प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं चल रही है।
विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि जब दिल्ली में जरूरी मेंटेनेंस कार्य को लेकर अधिकारियों को बुलाया जाता है, तब एलजी बीजेपी के इशारे पर आचार संहिता का हवाला दे देते हैं। इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी इस समय दिल्ली के लोगों में संवैधानिक संकट की धारणा बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि जनादेश को मिट्टी में मिलाते हुए राष्ट्रपति शासन लगा सके। सभी दिल्लीवासी आम आदमी पार्टी की सरकार से पूरी तरह से खुश है। बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक और हाल ही में मुख्यमंत्री महिला सम्मान राशि योजना के तहत हर महीने एक हजार रुपये देने की घोषणा से पूरी दिल्ली की महिलाएं जय-जयकार कर रही हैं। इसके बावजूद इस तरह का घटिया प्रयास करना भजपा के मुंह पर कालिख पोतता है और यह बताता है कि भाजपा को संविधान और लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है।
विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 में यह बताया गया है कि राष्ट्रपति शासन किन परिस्थितियों में लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने वाली पीआईएल पर जुर्माना लगाते हुए तीन बार खारिज किया है। इससे यह सिद्ध होता है कि दिल्ली में कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 356 के सेक्शन 93 में छह बिन्दु दिए गए हैं और ये संवैधानिक संकट की स्थिति को परिभाषित करते हैं। इनमें से किसी बिंदु का पालन न होेन पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। वहीं, जब दिल्ली में ऐसी किसी भी तरह की स्थिति नहीं है। फिर बीजेपी ऐसी परिस्थियां क्यों पैदा करना चाहती है, जिनकी आड़ में वो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दें। सभी दिल्लीवासी अपने नेता अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ खड़े हैं। दिल्ली के लोग, विधायक और पार्षद कल भी बीजेेेपी से लड़े ेरहे थे, आज भी ेेलड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।
इन बिंदुओं के आधार पर किसी राज्य में लग सकता है राष्ट्रपति शासन
1. संवैधानिक संकट तब कहा जा सकता है, जब दिल्ली में सरकार अल्पमत में हो, लेकिन दिल्ली में अल्पमत का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
2. दिल्ली में खराब कानून व्यवस्था को आधार बनाकर भी राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यह सीधे-सीधे एलजी और केंद्र सरकार के अधीन आती हैं।
3. दिल्ली सरकार ने ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है, जो केंद्र सरकोर के बनाए कानून के खिलाफ हो।
4. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के किसी विधि सम्मत आदेश को भी मानने से इन्कार नहीं किया है।
5. दिल्ली सरकार ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जो सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देता हो।
6. दिल्ली सेेेरकार ने भारत की संप्रभुता के खिलाफ कोई काम नहीं किया है